संतानों की दीर्घायु की कामना को लेकर किया जानेवाला जीवित्पुत्रिका व्रत पूरे बिहार-झारखण्ड में हर्ष व उल्लास के साथ संपन्न
अपने सौभाग्य व संतानों की रक्षा के लिए बिहार, झारखण्ड व उत्तरप्रदेश में मनाया जानेवाला जीवित्पुत्रिका व्रत जिसे आम तौर पर चलन्त भाषा में जीतिया भी कहा जाता है। आज जीतिया के पारण के साथ ही सर्वत्र धूम-धाम से संपन्न हो गया। हरितालिका तीज के बाद, जीतिया ही एक ऐसा व्रत है, जो महिलाओं के लिए काफी खास माना जाता है।
ज्ञातव्य है कि हरितालिका तीज के बाद, अगर दूसरी सबसे बड़ी व्रत महिलाओं के लिए होती हैं तो यह जीतिया ही हैं, जो अपने संतानों की रक्षा के लिए सनातनी महिलाएं बढ़-चढ़ कर करती हैं। बड़ी संख्या में इन राज्यों की महिलाओं ने जीतिया के लिए पहले से ही तैयारी कर रखी थी। जिसका प्रभाव सात अक्टूबर को देखने को मिला। जब बड़ी संख्या में कई जगहों पर महिलाओं ने समूहों में तो कई स्थानों पर एकान्त में ही इस व्रत को संपन्न किया।
इसके पहले यानी 6 अक्टूबर को इन महिलाओं ने जीतिया का नहाय-खा किया। दूसरे दिन यानी सात अक्टूबर को व्रत व उपवास रखा तथा आज पारण कर व्रत को तोड़ा। हालांकि इस व्रत को लेकर कई वर्षों की भांति इस वर्ष भी भ्रांतियां थी। लेकिन उन भ्रांतियों से अलग महिलाओं ने अपने-अपने भाव-स्वभावानुसार व्रत को संपन्न किया तथा ईश्वर से अपने सौभाग्य व संतान के दीर्घायु की कामना की।