राजनीति

JMM का दावा झारखण्ड में भाजपा जिलाध्यक्ष के रुप में काम कर रहे DC के रहते, निष्पक्ष चुनाव असंभव

भयमुक्त, प्रशासनिक प्रभावमुक्त, शांतिपूर्ण तथा निष्पक्ष पांचवी झारखण्ड राज्य विधानसभा चुनाव को लेकर आज झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने एक पत्र भारत निर्वाचन आयोग के पदाधिकारी दल को सौंपा। पत्र में इस बात को रेखांकित किया गया है कि किस प्रकार झारखण्ड के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, राज्य में एक विशेष राजनीतिक दल के पक्ष में काम कर रहे हैं, बतौर इसके सबूत भी उक्त पत्र के साथ सौंपे गये हैं। इस बात की जानकारी संवाददाता सम्मेलन में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने दी।

पत्र में इस बात को इंगित किया गया है कि विगत 2014 में संपन्न चुनाव उपरांत गठित राज्य सरकार द्वारा अपने राजनीतिक स्वार्थ एवं हित साधन की दृष्टि से शासन कार्य सम्पादित किया जा रहा है। राज्य के प्रशासनिक सेवा एवं पुलिस सेवा के पदाधिकारियों द्वारा विशेष उद्देश्य के साथ भारतीय जनता पार्टी को प्रत्यक्ष राजनीतिक लाभ प्राप्त हो, विभिन्न प्रकार की गतिविधियां संचालित की जा रही है।

राज्य के सभी जिलों के उपायुक्त/जिलाधिकारी जो जिला निर्वाचन पदाधिकारी भी हैं के द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर अपना मंतव्य के साथ नियमित विकास कार्यों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। राज्य के सभी जिलों के उपायुक्त जिनमें रांची, पूर्वी सिंहभूम, देवघर, पाकुड़, लातेहार, चतरा, कोडरमा, लोहरदगा सहित सभी जिलों के उपायुक्त टिवटर, फेसबुक तथा अन्य सोशल प्लेटफार्म का उपयोग करते हुए इस मनोभाव के साथ मंतव्य दिये जा रहे हैं, कि सन् 2000 ई. में गठित प्रथम सरकारों से 2014 तक कार्यरत राज्य सरकारों द्वारा कोई प्रभावी विकास कार्य संपादित नहीं हुए एवं विगत पांच वर्षों में ही झाऱखण्ड राज्य के सर्वांगीण उन्नति के लिए वर्तमान राज्य सरकार ही कृतसंकल्पित है।

जिला के उपायुक्त एवं पुलिस पदाधिकारी का व्यवहार एवं सोच से यह परिलक्षित होता है कि वे विशेष राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सेवारत है। जिला के उपायुक्त स्वघोषित रुप से भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष के रुप में सरकारी कार्यक्रमों को प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, एवं सरकार के महिमा मंडन में कोई भी पीछे नहीं रहना चाहते। झामुमो ने उपायुक्तों का सोशल मीडिया प्लेटफार्म की सक्रियता का कुछ उदाहरण पत्र के साथ संलग्न भी किया हैं।

झामुमो ने आशंका व्यक्त की है कि वर्तमान पदाधिकारियों की उपस्थिति में निष्पक्ष, निष्प्रभाव, भयमुक्त निर्वाचन संपादित कराना असंभव हैं। भाजपा के समर्पित समर्थक एवं कार्यकर्ता के रुप में यदि कोई भी जिला निर्वाची पदाधिकारी (उपायुक्त) आसन्न चुनाव में अपने जिलों में कार्यरत रहेंगे, तो विश्व के सबसे बड़े मजबूत लोकतांत्रिक देश भारत में निष्पक्ष चुनाव करवाना संभव नहीं होगा।

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने राज्य में निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग के समक्ष तीन मांगे रखी है। पहली मांग है कि प्रशासनिक व्यवस्थाओं का सम्पूर्ण विश्लेषण उपरान्त यह सुनिश्चित किया जाय कि वर्तमान पदस्थापित जिला निर्वाची पदाधिकारी को निर्वाचन कार्य से अलग रखा जाय। दूसरी मांग है कि राज्य में एक ही चरण में मतदान कार्य सुनिश्चित किया जाय, क्योंकि यह आवश्यक है कि साधन सम्पन्नता से परिपूर्ण भारतीय जनता पार्टी को कोई विशेष राजनीतिक लाभ प्राप्त न हो। तीसरी मांग है कि आगामी विधानसभा निर्वाचन को यदि कई चरणों में सम्पादित करना हो तो यह सुनिश्चित किया जाय कि निर्वाचन प्रसार-प्रचार कार्य के 48 घंटे का उपयोग किसी भी प्रकार के चुनावी रैली या संबोधन के रुप में न किया जाय।