अपनी बात

झामुमो ने कांग्रेस और झारखण्ड में पूर्णतः मर चुकी राजद को दिया जवाब, राष्ट्रपति चुनाव में JMM करेगा द्रौपदी मुर्मू को वोट, कोई शक!

चार जुलाई को जिस प्रकार राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने एनडीए की राष्ट्रपति प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का अपने आवास पर स्वागत किया, अभिनन्दन किया, उस बॉडी लेग्वेंज से ही राजनीतिक पंडितों ने अनुमान कर लिया था कि राज्य का राजा हेमन्त सोरेन अंततः यशवन्त के गले में माला डालने पर प्रश्न चिह्न अवश्य लगायेगा और लीजिये हुआ भी यही।

पूर्व में दिल्ली जाकर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलना और फिर देवघर में 12 जुलाई को जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हेमन्त सोरेन ने अगवानी की, मंच शेयर किया, एक भी आपत्तिजनक शब्दों/व्यवहारों (जैसा कि ममता बनर्जी और फिलहाल तेलंगाना के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री मोदी जी के लिए कर रहे हैं) का प्रयोग नहीं किया। क्लियर था, कि हेमन्त सोरेन के मन में क्या चल रहा हैं? और लीजिये आज औपचारिता भी समाप्त हो गई।

जब झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के हस्ताक्षरित प्रपत्र से यह कथन जारी हुआ है कि झामुमो के सभी सांसद व विधायक एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान करेंगे। कहने को तो लोग ये कहेंगे कि यहां मामला आदिवासी का था, इसलिए झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने समर्थन दे दिया, जबकि ऐसा कुछ नहीं है, ऐसे कई मामले राजनीति में आये-गये हैं कि राजनीतिक दल इन सारी बातों को ध्यान न देकर, विपक्षी दलों की एकता पर विशेष ध्यान दिया है।

पर जैसे-जैसे राष्ट्रपति चुनाव का दिन नजदीक आता जा रहा हैं और जिस प्रकार से भाजपा ने राष्ट्रपति पद के लिए आदिवासी कार्ड खेला है, उस कार्ड में ही इतना तूफान भरा था कि उस तूफान से विपक्षी दलों में हड़कम्प मचना जरुरी था, तथा इस तूफान से विपक्षी दलों का दम निकलना तय था, तभी तो बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक सभी विपक्षी दलों के हाथ-पांव फूले हुए हैं और भाजपा गठबंधन ने अपनी ताकत का एक बार फिर ऐहसास करा दिया है।

हांलाकि भाजपा गठबंधन प्रत्याशी के लिए राष्टपति का चुनाव निकाल लेना कोई मुश्किल भी नहीं था, क्योंकि जैसे ही एनडीए ने प्रत्याशी का नाम जारी किया, सर्वप्रथम निर्विवाद नेता ओड़िशा के नवीन पटनायक ने समर्थन की घोषणा कर दी। इधर हेमन्त सोरेन ने आदिवासी राष्ट्रपति को लेकर जिस प्रकार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की हैं, उससे हेमन्त ने कई राजनीतिक शिकार किये है, पहला तो उन्होंने राज्य की कांग्रेस और झारखण्ड में पूर्णत मर चुकी राष्ट्रीय जनता दल को बता दिया कि राज्य में वही होगा, जो हेमन्त चाहेंगे।

हेमन्त ने यह भी एक तरह से कह दिया कि राज्य में भाजपा विरोधी सरकार चलाने की मजबूरी कांग्रेस की है, मजबूरी राजद की है, न कि मजबूरी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की। हेमन्त वहीं करेंगे, जैसा वे चाहेंगे, क्योंकि फिलहाल झारखण्ड में सिर्फ हेमन्त ही हैं, जो भाजपा विरोध के केन्द्र में हैं और अन्य दलों में ऐसा कोई नेता नहीं, जो भाजपा विरोध के कैमरे में फिट भी हो सकें। इसलिए कोई नहीं बोलेगा, इस बार झामुमो भाजपा गठबंधन की प्रत्याशी द्रौपदी मूर्मु को समर्थन करेगा, कोई शक।