भाजपा के मुकाबले झामुमो बेहतर स्थिति में, भाजपा कार्यकर्ताओं का भाजपा से हो रहा मोहभंग, पुतला दहन में 40 कार्यकर्ता तक नहीं जुट रहे
दो दिन पहले की बात है। भारतीय जनता युवा मोर्चा की रांची महानगर इकाई रांची के अलबर्ट एक्का चौक पर टीएमसी के एक मंत्री अखिल गिरि, जिसने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी, उसके विरोध में रांची के अलबर्ट एक्का चौक पर विरोध प्रदर्शन किया था और अखिल गिरि के पूतले फूके थे। वहां स्थिति क्या थी? रांची महानगर के लोगों के पास 40 कार्यकर्ता तक नहीं थे, उस कार्यक्रम मे गिनती के पच्चीस या तीस कार्यकर्ता होंगे, उससे अधिक नहीं थे।
अगर सच्चाई देखनी हो, तो आप 13 नवम्बर को रांची से प्रकाशित अखबार प्रभात खबर का पृष्ठ संख्या छह, राजपाट प्रभात पेज देख लीजिये, आपको पता चल जायेगा। यहीं नहीं आप देखने के लिए बीजेपी झारखण्ड का फेसबुक पेज भी देख सकते हैं, जहां ठीक ऐसा ही फोटो आपको देखने को मिलेगा, उस फोटो से भी आप अंदाजा लगा लीजियेगा कि रांची, वो भी राजधानी में भाजपा का क्या हाल हैं?
जबकि राजधानी रांची, हटिया, कांके सभी भाजपा बहुल मतदाताओं के क्षेत्र माने जाते हैं। इन इलाकों के विधायक भी भाजपाई है। रांची के सांसद भी भाजपाई है। पर जब से हेमन्त सरकार सत्ता में आई हैं। पता नहीं भाजपाइयों को क्या हो गया हैं? इनके कार्यकर्ता ऐसे गायब हुए हैं, जैसे गधे के सर से सींग। ये हाल है रांची के भाजपा महानगर का, भाजपा के युवा ईकाई का और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश का व्हाटसएप से बयान जारी होता है कि वे सत्ता में बैठी हेमन्त सरकार को उखाड़ फेकेंगे।
भाई कैसे हेमन्त सरकार को उखाड़ फेकेंगे? जेसीबी मशीन लाकर उखाड़ फेकेंगे या आंदोलन करेंगे और आंदोलन भी कैसे होगा? आपके पास तो राजधानी में ही कार्यकर्ताओं का टोटा होता जा रहा हैं। आपके पास गिनती के ही कार्यकर्ता रह गये हैं, वो भी बुलाने व आवभगत पर आते हैं, दूसरी ओर झामुमो ने भाजपा के सामने कार्यकर्ताओं की ऐसी शृंखला तैयार कर दी हैं कि आनेवाले समय में कही रांची की प्रतिष्ठित सीट झामुमो न जीत लें, क्योंकि जीत तो कार्यकर्ताओं के बल पर होती हैं, पर भाजपा के पास अब कार्यकर्ता हैं कहां?
ले-देकर ये भाजपा के कथित बड़े-बड़े बयानवीर नेता, अब तो कार्यक्रम भी प्रदेश कार्यालय में लेते हैं, अपने भाषण देते हैं और अपने ही सुनकर फिर व्हाट्सएप पर उसकी प्रेस विज्ञप्ति जारी कर देते हैं, ऐसे में पार्टी रहेगी या डूबेगी। स्वयं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व संगठन मंत्री ही इस मुद्दे पर चिन्तन करें, तो बेहतर होगा।
भाजपा के ही कई नेता नाम नहीं छापने के शर्त पर बताते है कि दो-ढाई साल पहले भाजपा की कार्यकारिणी समिति का गठन हो गया, पर क्या ये खबर किसी मीडिया में आई कि भाजपा की कार्यकारिणी में कौन-कौन लोग हैं, आखिर लोगों को पता कैसे चलेगा? या भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ही बता दे कि इसकी पूर्ण सूची कब जारी हुई? दरअसल इसकी आज तक सार्वजनिक घोषणा ही नहीं हुई। यह भाजपा के इतिहास में पहली बार देखने-सुनने को मिला।
भाजपा से नाराज कार्यकर्ता तो विद्रोही24 को साफ कहते है कि बयानबाजी से न तो सत्ता परिवर्तित होता हैं और न ही पार्टी मजबूत होती हैं। पार्टी मजबूत होती हैं, सत्ता परिवर्तित होता हैं संघर्ष से और भाजपा में फिलहाल संघर्ष करनेवाले नेताओं का अभाव है, सभी आराम की राजनीति फेसबुकिया राजनीति, इंस्टाग्राम की राजनीति, ट्विटर की राजनीति में लगे हैं तो ऐसे में ये सब राजनीति स्मार्टफोन पर ही दिखेगी, जनता की नजरों से तो पार्टी गायब ही रहेगी और इसी प्रकार कार्यकर्ता भी आपको स्मार्ट फोन पर ही नजर आयेंगे, जब पूतला फूंकने की बारी आयेगी तो जैसा कि दो दिन पहले देखने को मिला, कोई पार्टी कार्यकर्ता नजर नहीं आया, उसी तरह भाजपा भी कहीं नजर नहीं आयेगी। हेमन्त सोरेन और उनकी पार्टी को ये क्या चुनौती देंगे, पहले खुद को मजबूत करें, फिर बयानवीर बनें तो अच्छा भी लगेगा।