राजनीति

JMM नेता सुप्रियो की नहीं गली दाल, उच्च न्यायालय ने दिया जोर का झटका, विवेकानन्द विद्या मंदिर में नया प्रशासक नियुक्त

झामुमो केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य को आज झारखण्ड उच्च न्यायालय से उस वक्त करारा झटका लगा, जब अदालत ने विवेकानन्द विद्या मंदिर के लिए अलग से एक प्रशासक नियुक्त कर दिया। ज्ञातव्य है कि सुप्रियो अपने भाई सुकृत को इस विद्यालय पर कब्जा दिलवाना चाहते थे, जिसके लिए रांची जिला प्रशासन ही नहीं, बल्कि मंत्री-विधायकों पर भी दबाव उनके द्वारा डाला गया था, पर अभय मिश्रा द्वारा ऐन वक्त पर  न्यायालय में  हस्तक्षेप याचिका डालने से मामला ही उलट गया।

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य के इशारे पर स्थानीय रांची जिला प्रशासन ने चार मार्च को रांची की बहुचर्चित संस्थान विवेकानन्द विद्या मंदिर पर कब्जा कर, सुप्रियो भट्टाचार्य के भाई सुकृत भट्टाचार्य को सौंपने का पूरा प्रबंध कर लिया था, जिसको लेकर भारी संख्या में पुलिस बल की नियुक्ति भी हो गई थी, और इसके लिए स्थानीय प्रशासन ने एक मजिस्ट्रेट भी नियुक्त करने जा रहा था।

इस बात की जानकारी जब झारखण्ड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं विवेकानन्द विद्या मंदिर के सचिव अभय मिश्रा को पता चला तो उन्होंने झारखण्ड उच्च न्यायालय में स्वयं के द्वारा पूर्व में दायर रिट याचिका में एक हस्तक्षेप याचिका दायर कर दी। जिसकी सुनवाई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में हुई।

अदालत में बहस करते हुए अभय मिश्रा के अधिवक्ता मनीष कुमार ने बताया कि राजनीतिक दबाव, विभागीय मंत्री के लिखित निर्देश तथा उप मुख्य सचिव के गैर कानूनी निर्देश दुर्भावना से प्रेरित होकर क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर, इस प्रकार का आदेश पारित किया गया है, जो संस्था निबंधन अधिनियम के प्रतिकूल है। राजनीतिक दबाव में आकर, इस प्रकार आदेश नहीं पारित किया जा सकता, क्योंकि कानून अंततः सर्वोपरि है।

इसके उपरांत न्यायाधीश ने वादी अभय मिश्रा से पूछा कि अगर अदालत, किसी अन्य को संस्थान का प्रशासक नियुक्त कर दें तो क्या उनको आपत्ति हैं। अभय मिश्रा ने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं, मगर प्रशासक उच्च न्यायालय का अवकाश प्राप्त न्यायाधीश होना चाहिए। जिस पर प्रतिवादी के अधिवक्ता ने एस के पी सिन्हा एवं सुविदानन्द महाराज तुपुदाना रामकृष्ण मिशन का नाम सुझाया।

जिस पर वादी अभय मिश्रा ने अदालत से अपील की कि वो ऐसे किसी व्यक्ति को प्रभार नहीं देंगे, जो पूर्व में संस्था से संबंध रखते हो और पारदर्शी न हो। जिस पर अदालत ने खुद ही अवकाश प्राप्त न्यायाधीश एन एन तिवारी को प्रशासक नियुक्त कर दिया और सोमवार को इन्हें प्रभार देने का वादी अभय मिश्रा को दिशा-निर्देश दिया। अदालत के इस फैसले से झामुमो केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य को बहुत बड़ा झटका लगा हैं, वो जो चाह रहे थे कि विद्यालय पर उनके भाई सुकृत का पूर्णरुपेण कब्जा हो जाये, उस पर सदा के लिए अदालत ने यह आदेश देकर विराम लगा दिया।