झामुमो ने केन्द्र को लगाई फटकार, कहा GST का बकाया ढाई हजार करोड़ झारखण्ड को जल्द उपलब्ध कराए मोदी सरकार
ऐसे तो पूरे देश की आर्थिक ढांचा चरमरा गई है, पर झारखण्ड की आर्थिक दशा सर्वाधिक चरमरा गई है। इसके लिए पूर्व की राज्य सरकार जितनी जिम्मेवार है, उतनी ही जिम्मेवार केन्द्र सरकार भी है, जिसने अभी तक झारखण्ड को उसका जीएसटी का बकाया ढाई हजार करोड़ रुपये देने से फिलहाल आनाकानी कर रही है। हालांकि केन्द्र सरकार को बार-बार इत्तिला किया जा रहा है, पर केन्द्र से कोई जवाब नहीं मिल पा रहा।
कल ही एक पत्र राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अंग्रेजी भाषा में लिखा था, और उस पत्र के माध्यम से राज्य की दशा और प्रभावित हो रहे विभिन्न विकास योजनाओं की चर्चा की थी, पर जो स्थितियां है, उसे देखकर नहीं लग रहा कि सीएम हेमन्त सोरेन के पत्र का जवाब या उनके पत्र पर मोदी सरकार संज्ञान भी लेगी।
इधर झामुमो के केन्द्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज रांची में संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर केन्द्र सरकार को जमकर फटकार लगाई और कहा कि कम से कम केन्द्र की मोदी सरकार राज्य का बकाया जीएसटी जो ढाई हजार करोड़ के लगभग है, उसे तो उपलब्ध कराये। सुप्रियो भट्टाचार्य ने केन्द्र सरकार पर ताना मारते हुए कहा कि पिछले 12 मई को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश जारी किया था, तो लोगों को आशा बंधी थी कि प्रधानमंत्री कुछ उनके लिए बेहतरी करेंगे, पर हुआ क्या? नतीजा सामने है।
उन्होंने कहा कि यह वह वक्त था, जब पूरे देश में अफरातफरी थी। देश का मजदूर सड़कों पर था, वह अपने घरों की ओर जाने के लिए पैदल ही चल पड़ा था, लोग पटरियों पर कट रहे थे, रास्तों पर शहीद हो रहे थे, लोग दाने-दाने को मोहताज थे, पर उसके लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। इधर राज्य की हेमन्त सरकार, अपने तरीके से लोगों को भोजन उपलब्ध करा रही थी, उसी समय प्रधानमंत्री देश को 20 लाख करोड़ राहत पैकेज देने की घोषणा करते हैं।
वो घोषणा बाद में जोड़ने पर 21 लाख करोड़ हो जाती है, उसके बावजूद देश का जीडीपी माइनस 24 के लगभग पहुंच जाती है, क्या ये शर्म की बात नहीं। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि आज आवश्यक वस्तु अधिनियम समाप्त कर दिया गया, जिसके कारण आम आदमी महंगाई से त्रस्त है। आलू, प्याज, टमाटर के दाम आकाश को छू रहे हैं, भंडारण, कालाबाजारी और जमाखोरी ने देश की जनता को तबाह करके धर दिया, पर सरकार का इस ओर ध्यान ही नहीं।
उन्होंने कहा कि केन्द्र की सरकार डेमोक्रेसी की बात करती है, सपने दिखाती है, और इसी दौरान कर्मर्शियल माइनिंग को इंट्रोड्यूस करा दिया जाता है। चालीस हजार करोड़ मनेरगा पर खर्च करने की बात की जाती है, हम कहते ही मनरेगा की मजदूरी बढ़ाओं ये बढ़ाते नहीं। उसके बावजूद लोगों के रोजगार खत्म हो रहे हैं, कब किसकी नौकरी चली जायेगी, कहने की स्थिति में कोई नहीं है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बस कुछ नहीं, सब कुछ छोड़ दिजिये, कम से हमारा जीएसटी का पैसा जो ढाई हजार करोड़ हैं, उसे दबा कर क्यों बैठे हैं, दे दिजिये, ताकि झारखण्ड विकास के पथ पर बढ़ सकें।