राजनीति

झामुमो ने मोदी सरकार द्वारा 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने की घोषणा की तीव्र निन्दा की, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इस अधिसूचना को रद्द करने की मांग भी की

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने भारत सरकार द्वारा 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने की घोषणा की तीव्र निन्दा की है तथा इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत के राष्ट्रपति से इस असंवैधानिक अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है। झामुमो के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि देश के लोकतंत्र का बुनियादी ढांचा, नियम-कानून व आइन का धर्मग्रंथ संविधान है और इसकी हत्या दिवस मनाने की बात करना भी शर्मनाक है।

सुप्रियो ने कहा कि दरअसल पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 400 पार का नारा दिया था, उसके पीछे संविधान को बदलने की परिकल्पना थी, लेकिन जब वे मुंह की खायें तो अब संविधान हत्या दिवस की बात करने लगे। उन्होंने कहा कि ये अजीब विडम्बना है कि जिस संविधान को हम पूजते हैं, उसकी हत्या दिवस मनाने की बात वे करने लगे हैं।

सुप्रियो ने कहा शायद भारत सरकार को मालूम नहीं कि 25 जून 1975 को भारतीय संविधान की धारा 352 का उल्लेख करते हुए ही देश में आपातकाल लागू किया गया था। संविधान में आपात काल लागू करने का उल्लेख भी है। इसके पूर्व भी 1962 और 1971 में भी आपात काल देश में लगा था। इस संदर्भ में नागरिकों के चार मूल अधिकार दो वर्षों के निलम्बित कर दिये जाते हैं। हालांकि 25 जून 1975 का आपातकाल एक काला अध्याय है।

लेकिन भाजपा भूले नहीं कि उसने भी उसी संविधान के 365 का प्रयोग करते हुए कई राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया, वो भी एक प्रकार से आपातकाल ही है। सुप्रियो ने कहा कि संविधान की पहली हत्या तब हुई थी, जब 25 मई 2014 को नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। इन्होंने ही पहला आर्थिक आपातकाल नोटबंदी के रुप में 8 नवम्बर 2016 को लगाया, जिसके कारण लाखों लोग बेरोजगार हो गये।

सुप्रियो ने कहा कि इन्होंने ही बिना किसी तैयारी के कोरोनाकाल में देश में अचानक लॉकडाउन कर दिया, जिससे पूरा देश हलकान हो गया। इन्होंने ही तीन कृषि कानून लाकर किसानों को बेहालकर दिया, जिसके कारण 700 से ज्यादा किसान मारे गये। मणिपुर में भी आपातकाल की ही स्थिति है, जहां बड़ी संख्या में आदिवासी मारे जा रहे हैं। सार्वजनिक संपत्तियों को अपने मित्रों के हाथों बेचना भी औद्योगिक आपातकाल ही है। देश की यूजीसी, यूपीएससी, चुनाव आयोग, सीवीसी आदि को तबाह करना भी आपातकाल ही है।

सुप्रियो ने कहा कि मीडिया पर आज भी अघोषित आपातकाल लागू है। जो ये लोग नैरेटिव गढ़ते हैं, वो ही मीडिया कहती है और जो इनका विरोध करते हैं, उन्हें नौकरी से बाहर कर दिया जाता है। फादरस्टेन स्वामी की मौत अर्थात् मानवीय व मानवीय अधिकारों को समाप्त करने का काम इनलोगों ने किया। चूंकि ये खुद संविधान की ह्त्या करने में आगे हैं, इसलिए वे संविधान हत्या दिवस की बात कर रहे हैं।