झामुमो ने दी केन्द्र को चेतावनी, “माल हमारा खेल तुम्हारा नहीं चलेगा, और न हम इसे चलने देंगे”
केन्द्र सरकार की गलत नीतियों और बिना किसी योजना के लिये गये निर्णयों ने पूरे देश व राज्यों का वो कबाड़ा बना दिया कि लोगों के पास आज रोजगार नहीं हैं, लोग दाने-दाने को मोहताज हैं। केन्द्र सरकार केवल अपने निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए झारखण्ड जैसे राज्यों को समाप्त करने पर तूली है। आज स्थिति है कि अपना राज्य गंभीर आर्थिक संकटों से जूझ रहा है। जिस सरकार ने 2014 में जनता को यह ख्वाब दिखाया था कि वो तमाम मुश्किलों से देश को निकाल लेंगे, आज स्थिति यह है कि देश की जनता बढ़ती महंगाई, बेतहाशा बेरोजगारी के बीच अपनी जिंदगी कैसे चलाये, इसी उधेड़बून में लगी है।
इस केन्द्र सरकार ने बिना रोजी-रोजगार के विकल्प ढूंढे, बिना किसी प्लान के ही लॉकडाउन लगा दिया, किसी से पूछताछ करना भी जरुरी नहीं समझा और लीजिये लॉकडाउन लगा दिये, पूरे देश के मजदूर दर-दर भटकने को विवश हो गये, चौदह करोड़ से ज्यादा लोग अपना रोजगार तबाह कर दिये, पूरा परिवहन, होटल, पर्यटन, भारी उदयोग तबाह हो गया। यानी इस कोरोना से लड़ा जा सकता था, इसी के बीच एक बेहतर रास्ता तलाशा जा सकता था। लोगों को सुविधाएं मुहैया कराई जा सकती थी, लेकिन इस केन्द्र सरकार ने देश की जीडीपी -23.9 पर लाकर छोड़ दिया और अडानी-अंबानी का इस वित्तीय वर्ष में 35 प्रतिशत का लाभ करवा दिया।
कमाल है, देश की वित्त मंत्री कहती है कि यह दैवीय प्रकोप है, ईश्वरीय अभिशाप है, पर आपने ईश्वरीय अभिशाप से लड़ने की क्या योजना बनाई, इसका वो जवाब नहीं दे पाती, पर इस कारण ने झारखण्ड को कही का नहीं छोड़ा, हमें कहा जा रहा है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कर्ज लीजिये, भला हम कर्ज क्यों लें, हमारा जो हक बनता है, वो हमें दो, और वो हक हम लेकर रहेंगे। ये सारी बातें आज झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने संवाददाता सम्मेलन में कही।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हम कोई भीख नहीं मांग रहे, हम तो अपना हक मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने 2017 में कहा था कि हम पांच साल के अंदर आपका घाटा समाप्त कर देंगे, पर यहां तो 2022 में झारखण्ड के गर्दन पर कटार रख दिया गया है। उन्होंने कहा कि दो साल तक कुछ नहीं मिला। 2014 में राज्य का जीडीपी 12.5 था, और आज राज्य का जीडीपी 5.7 है। 2014 में देश की जीडीपी 7.5 थी, आज -23.9 हैं, आखिर इसका जिम्मेदार कौन है?
उन्होंने कहा कि रघुवर राज में दो वर्षों में जीएसटी में 18 हजार करोड़ का घोटाला हुआ, यह कैग की रिपोर्ट हैं, यह पैसा भी झारखण्ड को मिलना चाहिए। इस साल अप्रैल से जुलाई तक 2481 करोड़ 11 लाख का भुगतान झारखण्ड को होना है, उसे भी नहीं दिया जा रहा। करीब 65 हजार करोड़ कोल और सेल पर झारखण्ड का बकाया है, वह भी नहीं मिल रहा और हमें कहा जा रहा है कि आरबीआई से कर्ज लेकर काम चलाइये। स्थिति ऐसी है कि एक लाख करोड़ के एवज में झारखण्ड को शून्य राशि प्राप्त हो रही है।
झारखण्ड में हम रेलवे की परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अनुरोध करते हैं तो हमसे पैसे मांगा जाता है, और यही के पैसे से कर्नाटक और अन्य भाजपा शासित राज्य गुलजार हो रहे हैं, जबकि रेलवे को सर्वाधिक राजस्व चक्रधरपुर और धनबाद रेल मंडल से ही प्राप्त होता है, आखिर ऐसी हालत के लिए कौन जिम्मेवार है? आप रेल बेच दे, आप एयरपोर्ट बेच दे, और हम अपनी जीएसटी मांग रहे हैं तो कह रहे है कि मेरे पास पैसे नहीं।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने केन्द्र को चेतावनी देते हुए कहा कि माल हमारा खेल तुम्हारा नहीं चलेगा और न हम इसे चलने देंगे। कमाल है कि इन्हीं के रघुवर राज में झारखण्ड के नागरिकों पर 5534 करोड़ का ऋण लाद दिया गया, आज झारखण्ड की साढ़े तीन करोड़ जनता के उपर 24,000 रुपये प्रति नागरिक कर्ज माथे पर चढ़ा दिया गया। उन्होंने कहा कि इन्हीं के रघुवर शासनकाल में शराब को सेन्ट्रेलाइज्ड करने के नाम पर 1000 करोड़ का घाटा करा दिया गया और 50 हजार करोड़ अवैध शराब से कमाई करवा दी गई। ये लूट नहीं तो और क्या है? उन्होंने कहा कि झारखण्ड को नसीहत देनेवालों की आप अपना संसाधन खुद जुटाओ, लेकिन खुद उन संसाधनों को लूटवाओगे।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि झारखण्ड का दुर्भाग्य देखिये, इस राज्य में 20 सांसद हैं। 14 लोकसभा और छः राज्यसभा से। जिनमें 17 एनडीए फोल्डर से आते हैं। उसमें भी 16 भाजपाई है और उनमें से भी दो कैबिनेट मंत्री हैं, उसके बाद भी इस राज्य की दुर्दशा पर ये मुंह नहीं खोलते, ये पिछले छः माह से अपने ही राज्य की हो रही अनदेखी पर कुछ भी बोलने से परहेज करते हैं, इससे बड़ा दुर्भाग्य इस राज्य का और क्या हो सकता है?