झामुमो की मांग – मणिपुर की स्थिति चिन्ताजनक, वहां के मुख्यमंत्री को अपदस्थ कर राष्ट्रपति शासन लगाया जाय
मणिपुर में एक घायल युवक को लेकर एसपी के नेतृत्व में आसाम राइफल्स के कमांडो के साथ एक एबुंलेंस जा रही थी। जिसमें घायल युवक की मां एवं एक परिचित महिला सवार थी। उस एबुंलेंस को भीड़ ने घेर लिया। एसपी और आर्म्स कमांडों वहां से भाग खड़े हुए और घायल अवस्था में एंबुलेंस में पड़े युवक और उसकी मां और उसके परिचित महिला को जिंदा जला दिया गया।
ये अत्यंत हृदय विदारक घटना है, वो भी घटना तब घटी, जब देश के गृह मंत्री अमित शाह डेढ़ महीने से जल रहे मणिपुर के बारे में, जब वे 29 मई को वहां गये और 31 मई को लौटने पर उन्होंने कहा की मणिपुर में अब शांति हो गई है। मणिपुर में अब कोई हिंसा नहीं है। लेकिन जो खबरें आ रही हैं, कि उनके लौटने के एक हफ्ते में 85 कुकी गांव फूंक दिये गये। ये वक्तव्य है झामुमो के केन्द्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य के, जिन्होंने आज संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कही।
सुप्रियो ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि मणिपुर नार्थ ईस्ट का ऐतिहासिक राज्य है, क्योंकि मणिपुर के ही महिलांग में नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद भारत का पहला तिरंगा फहराया था, इसलिए मणिपुर इस देश का एक ऐतिहासिक राज्य भी है। मणिपुर में जो जातीय हिंसा हो रही हैं और वहां के जो ट्रायबल सोसाइटी कूकी जनजाति उनपर लगातार हमलें हो रहे हैं, उनकी हत्याएं हो रही हैं, उनके घर जलाये जा रहे हैं, ये सही नहीं हो रहा, क्योकि वहां के वो आदिवासी है।
उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि मणिपुर भारत के संविधान के छठवीं अनुसूचित से आच्छादित प्रदेश है। उसको संसदीय कवच प्राप्त है, फिर भी वहां की भाजपा सरकार ने इस प्रकार से इस राज्य को आग के हवाले किया, कि वहां की स्थिति बदतर हो चुकी है। चूंकि वहां के बहुसंख्यक समाज से, वहां के जो मुख्यमंत्री हैं, वे आते हैं। उनके जो क्रियाकलाप है, वो साफ दर्शाता है कि भले ही आप आदिवासी राष्ट्रपति बना लें, पर इस देश से आदिवासियों की पहचान मिटाने के लिए भाजपा कृतसंकल्पित है।
उन्होंने कहा कि जो भाजपा कड़ी शासन व्यवस्था की बात करती है, अनुशासन की बात करती है, उसके राज्य में कानून व्यवस्था की क्या हाल है, मणिपुर उसका उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासित राज्यों की एक बानगी देखिये। लखनऊ के कोर्ट में एक सजायाफ्ता अभियुक्त जो दूसरे केस में पेशी के लिए गया, पुलिस अभिरक्षा में उसकी हत्या कर दी गई। पिछली रघुवर सरकार में हजारीबाग और जमशेदपुर कोर्ट में भी इसी प्रकार की घटना घटी थी। मध्यप्रदेश के जबलपुर में भी इसी प्रकार की घटना घटी। दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में भी हत्या हुई, मतलब जहां-जहां भाजपा का शासन है, वहां-वहां इस प्रकार की घटना को एक संरक्षित कार्य में कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पूरे मणिपुर में हाहाकार मचा है। जहां जातीय संघर्ष मैती और कूकी के साथ हो रहा हैं। वहां जान-बूझकर असम राइफल्स को वहां लगाया गया है, वहां का कमांडो मैती समुदाय से आता है, हम कह सकते है कि गृह मंत्रालय के संरक्षण में ऐसा हो रहा है, आखिर कौन इसकी जिम्मेवारी लेगा। प्रधानमंत्री को लोग विदेशों में जो उनके साथ व्यवहार हो रहा हैं, उसकी खुब ढोल पीट रहे हैं, पर जब अपने देश में इस प्रकार की स्थितियां पनप रही हैं, तो इसका इमेज विदेशों में क्या बनता होगा।
सुप्रियो ने कहा कि इस देश में जन-जातीय समुदायों के संरक्षण के लिए जो संवैधानिक कवच बने हुए हैं। उसके बावजूद भी जब उन्हें संरक्षण नहीं मिलेगा तो यह विकट स्थिति पैदा करेगा। बहुसंख्यकों को समझना होगा कि जो कमजोर लोग है, उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उन्हीं की हैं। उन्होंने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री ने चूंकि अपने कर्तव्यों का निर्वहण नहीं किया, इसलिए उन्हें अपदस्थ कर, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाना चाहिए।