भारत निर्वाचन आयोग को झामुमो का अल्टीमेटम, 24 घंटे के अंदर गढ़वा के BJP प्रत्याशी सत्येन्द्र नाथ तिवारी के फार्म की जांच कराकर उनके नामांकन को निरस्त करे, नहीं तो हमारे पास कानून के रास्ते उपलब्ध हैः सुप्रियो
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने एक बार फिर भारत निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाया है। झामुमो का कहना है कि भारत निर्वाचन आयोग ने जो कहा था कि वो झारखण्ड विधानसभा चुनाव में सभी दलों को समान अवसर उपलब्ध करायेगी। वो अब दिख नहीं रहा हैं। उसका ये संवाद प्रहसन के रूप में यहां दिख रहा हैं। झामुमो ने भारत निर्वाचन आयोग को यह भी चेतावनी दी कि अगर गढ़वा के भाजपा प्रत्याशी सत्येन्द्र नाथ तिवारी के नामजदगी का पर्चा 24 घंटे के अंदर नहीं रिजेक्ट किया गया तो हमारे पास कानून के रास्ते उपलब्ध है। हम उस रास्ते पर चलने को बाध्य होंगे।
उक्त बातें आज झामुमो के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज रांची में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कही। उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के एक समान अवसर प्रदान करने की नीति आज गढ़वा विधानसभा में फेल होती दिखी। जब गढ़वा के भाजपा प्रत्याशी सत्येन्द्र नाथ तिवारी के नामजदगी का पर्चा निरस्त करने के बदले उसे स्वीकृत कर दिया गया।
सुप्रियो ने कहा कि जब कोई प्रत्याशी नामांकन पत्र दाखिल करता है तो उसे नामांकन पत्र दाखिल करते समय, जो उस पर्चे में एक महत्वपूर्ण शपथ पत्र होता है, जिसे फार्म 26 कहा जाता है। जिस पर चुनाव आयोग का सख्त आदेश है कि उस फार्म के एक भी कॉलम को आप छोड़ नहीं सकते। दूसरा वो दो व्यक्तियों द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए। जिसमें प्रशासकीय दंडाधिकारी या नोटरी पब्लिक के हस्ताक्षर होने चाहिए और हर पेज पर हस्ताक्षर और सील होना चाहिए। तीसरा जो प्रत्याशी जो एफीडिविट कर रहा है, उसकी सहमति प्रत्येक पृष्ठों पर होनी चाहिए।
सुप्रियो ने कहा कि कायदा कानून कहता है कि अगर आप चुनाव लड़ रहे हैं, तो पहली बात कि आप लाभ के पद पर नहीं हो। दूसरा, आप पर कोई संज्ञेय अपराध के अंतर्गत आपको दंडित नहीं किया गया हो। तीसरा, आप मानसिक और आर्थिक रुप से दिवालिया घोषित न हो। चौथा, आपके उपर कोई सरकारी बकाया नहीं हो। सरकारी बकाया का मतलब कि आप विधायक रहते हुए जो आवास, जल व बिजली का उपभोग किया। उससे संबंधित कोई बकाया नहीं होना चाहिए। सरकारी आवास का नोड्यूज सर्टिफिकेट भवन निर्माण विभाग, बिजली का जेबीवीएनएल, जल का नगर निगम देता है और इसकी अवधि दस साल की होती है।
लेकिन सत्येन्द्र नाथ तिवारी जिनको 2019 तक जो विधानसभा से 149, 150, 151 नंबर का आवास मिला, जब इन्होंने 2019 में नामांकन किया तो उस वक्त इन्होंने नो ड्यूज सर्टिफिकेट प्रोड्यूस किये थे। बाद में जब ई-277 सेक्टर टू में क्वार्टर एलॉट हुआ, जो 2019 के एफिडिविट मे हैं। परन्तु 2014 में उन्होंने अपने फार्म 26 में इस बात का उल्लेख नहीं किया। जबकि 2019-2024 में पांच साल का ही वक्त है। कानून कहता है कि दस सालों तक की बातों का उल्लेख करना है।
सुप्रियो ने कहा कि जब इस बात का जिक्र वहां के रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष वहां झामुमो के निर्वाचन अभिकर्ता और उनके उम्मीदवार ने किया। तो वहां के रिटर्निंग ऑफिसर ने इसे मानने से इनकार कर दिया। कुछ देर के बाद पता चला कि भारत निर्वाचन आयोग के किसी पदाधिकारी ने कहा कि भाजपा का उम्मीदवार है तो उसका पर्चा रिजेक्ट नहीं होना चाहिए और दूसरी पार्टी का हो तो उसकी जांच माइक्रोस्कोप से करो और एक बिंदु भी कही छूट जाये तो उसके फार्म को रिजेक्ट कर दो।
सुप्रियो ने कहा कि गढ़वा के इस घटना की लिखित आपत्ति दर्ज कराई गई। उसके बावजूद अगर निर्वाची पदाधिकारी संज्ञान नहीं लेता तो क्या ये सभी दलों के एक समान अवसर को परिलक्षित करता है? क्या यही लेवल प्लेइंग फील्ड है? सुप्रियो ने कहा कि उन्होंने कल भी कहा था कि किस प्रकार से यहां हस्तक्षेप हो रहा है। कल रांची का मामला था और आज दिल्ली दिख गया। भाजपा कितनी हताश, मुद्दाविहीन और नेताविहीन हो गई। इन सभी से पता चल जाता है। अब ये षडयंत्र का सहारा ले रहे हैं। हमने भारत निर्वाचन आयोग को 24 घंटे का समय दिया है कि वो इस पर एक्शन लें, नहीं तो कानून के दरवाजे हमारे लिए खुले हैं।