राजनीति

रांची के कुछ अखबारों ने बंद की जनहित में पत्रकारिता

पीएमओ से निर्गत पत्र में राज्य के वर्तमान मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, प्रधान सचिव अमरेन्द्र प्रताप सिंह एवं सचिव पूजा सिंघल पर खूंटी, चतरा एवं पलामू के मनरेगा योजना तथा कठौतिया कोल माइन्स ब्लॉक को अनैतिक एवं भ्रष्ट तरीके से निजी समूह को हस्तांतरित करने के संबंध में प्राप्त आरोपों के आलोक में उचित कार्रवाई करने के निर्देश की खबर आज रांची से प्रकाशित होनेवाले दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान और प्रभात खबर ने नहीं प्रकाशित की। इस खबर को अगर किसी ने प्रमुखता से छापा तो वह हैं रांची से प्रकाशित दैनिक भास्कर, हालांकि ये खबर कल विभिन्न पोर्टलों पर भी देखी गई।

प्रभात खबर ने ये खबर क्यों नहीं छापा? बात समझ में आती है, पर दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान इस समाचार को प्रकाशित न करें, ये समझ से परे हैं, ऐसे भी जो भी समाचार पत्र रांची से प्रकाशित होते है, उन्होंने एक तरह से सिद्ध कर दिया है कि वे जनहित में पत्रकारिता नहीं करते, बल्कि पूर्णरुपेण सरकार और उनके मातहत काम करनेवाले वरीय अधिकारियों के हित में पत्रकारिता करते है, तथा उसके बदले में वे उपकृत भी होते हैं।

आज चारा घोटाले में न्यायालय में उपस्थिति दर्ज कराने आये राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी राजबाला वर्मा का खुलकर साथ दिया तथा इसे अधिकारियों के वर्चस्व की लड़ाई बता दिया। ऐसे भी लालू प्रसाद यादव और राजबाला वर्मा एक दूसरे को समय-समय पर साथ देते रहे हैं, और अपने बयानों तथा क्रियाकलापों से एक दूसरे की मदद भी करते रहे हैं, जिसकी खबर बराबर छपती रही है। ऐसे में लालू प्रसाद यादव का राजबाला वर्मा के पक्ष में दिया गया बयान कोई ज्यादा मायने नहीं रखता, उनसे इससे ज्यादा की आशा भी नहीं की जा सकती। ऐसे भी आनेवाले समय में राजबाला वर्मा के राजनीति में भी जाने के संकेत हैं, और राजद से अच्छा उनके लिए बेहतर पार्टी कोई हो भी नहीं सकता, ऐसे भाजपा के लोग भी राजबाला वर्मा को टिकट देने में कोई पीछे नहीं हैं, क्योंकि भाजपा के लिए भी कोई नीति-सिद्धांत मायने नहीं रखता, इनके लिए यह मायने रखता है कि जीतने की स्थिति में कौन है?

इधर झामुमो महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने राज्यपाल को पत्र लिखकर, अखबारों में छपी खबरों का हवाला देते हुए, मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, प्रधान सचिव अमरेन्द्र प्रताप सिंह एवं सचिव पूजा सिंहल के खिलाफ राज्य सरकार अविलम्ब उचित कार्रवाई करें, ऐसा दिशा-निर्देश देने का राज्यपाल से अनुरोध किया है। झामुमो ने अपने पत्र में लिखा है कि इन तीनों प्रशासनिक पदाधिकारियों पर उचित कार्रवाई करते हुए इन्हें पदमुक्त किया जाय, तथा वर्तमान समय में माननीय उच्च न्यायालय की पीठासीन न्यायाधीश के द्वारा उल्लेखित मामलों की निष्पक्ष एवं समयबद्ध जांचोपरांत अग्रेतर कार्रवाई की जाय।