नहीं रहे पत्रकार रवि प्रकाश, बिहार-झारखण्ड में शोक की लहर, हर वर्ग के लोगों ने उन्हें दी भावभीनी श्रद्धांजलि, CM हेमन्त सोरेन ने पार्थिव शरीर को ससम्मान झारखण्ड लाने के लिए जारी किये दिशा-निर्देश
पिछले कई महीनों से लंग कैंसर से जूझ रहे वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश का आज मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन का समाचार आते ही बिहार-झारखण्ड में शोक की लहर दौड़ गई। उनके चाहनेवालों को गहरा आघात लगा। अपने कार्यशैली से सबके दिलों पर राज करनेवाले रवि प्रकाश केवल पत्रकारिता जगत ही नहीं, बल्कि हर वर्ग में लोकप्रिय थे।
झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने उनके इलाज में हर संभव मदद करने की अपनी ओर से ईमानदार कोशिश की थी। उन्हें जैसे ही रवि प्रकाश के निधन का समाचार मिला। उन्होंने कहा कि जिंदा दिल इंसान हमेशा अमर रहते हैं। आप बहुत याद आयेंगे रवि भाई। यहीं नहीं मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने उनके पार्थिव शरीर को मुंबई से झारखण्ड लाने के लिए अपने अधिकारियों को उचित दिशा-निर्देश भी जारी किये। संभव है, रवि प्रकाश के पार्थिव शरीर को कल झारखण्ड ले आया जायेगा।
इधर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी रवि प्रकाश के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा है कि वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश जी के निधन की दुखद सूचना प्राप्त हुई। कैंसर से जूझते हुए उन्होंने जीवटता की अद्भुत मिसाल पेश की। विषम परिस्थितियों में भी कैंसर के प्रति जागरुकता बढ़ाकर लाखों मरीजों का मनोबल बढ़ाया। उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।
राज्यसभा के उपसभापति व प्रभात खबर जैसे हिन्दी अखबार के वर्षों प्रधान संपादक रहे हरिवंश ने अपने शोक संदेश में कहा है कि रवि प्रकाश नहीं रहे। इस दुखद खबर से मन व्यथित है। अद्भुत प्रतिभावान पत्रकार, जीवट, कर्मठ, सरोकारी व्यक्तित्व, हमने कुछ समय तक पत्रकारिता में साथ काम किया। जीवटता, बहादुरी से कैंसर से लड़ते हुए भी इंसानी धर्म और मानवीय सरोकार की मिसाल पेश कर दुनिया से विदा हुए, रवि प्रकाश। रवि की हमेशा याद आयेगी।
इसी प्रकार रवि प्रकाश के चाहनेवाले जहां भी हैं। उनके मन व्यथित हैं। वे दुखी हैं। रवि प्रकाश थे ही ऐसे। उनका व्यक्तित्व था ही ऐसा। रवि प्रकाश कई अखबारों में प्रमुख पदों पर रहे। बीबीसी में भी अपना योगदान दिया। जहां भी रहे, अपने पद से न्याय किया। बेहतर देने की कोशिश की। जिसके कारण लोग उन्हें याद कर रहे हैं। किसी ने ठीक ही कहा है कि “महत्वपूर्ण ये नहीं कि कौन कितने दिन जीया। महत्वपूर्ण ये है कि वो जितने दिन जीया, कैसे जीया?” विद्रोही24 की ओर से भी रवि प्रकाश को भावभीनी श्रद्धांजलि।