पत्रकार क्या? यहां तो कोविड 19 कंट्रोल में बैठे लोग भी हेमन्त सरकार की कब्र खोदने में लगे हैं, JMM कार्यकर्ताओं का फूटा गुस्सा
पत्रकार ही नहीं, यहां तो हेमन्त सरकार द्वारा खोले गये कोविड 19 कंट्रोल रुम झारखण्ड में बैठा कर्मचारी भी हेमन्त सरकार की कब्र खोदने में लगा है। जब इसकी भनक रांची स्थित कोविड 19 कंट्रोल रुम झारखण्ड को लगी, तब उसने उक्त कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करने की बात कही। कंट्रोल रुम ने अपने टिवटर पर ट्विट करते हुए लिखा है कि “हमसे संबंद्ध एक कर्मी द्वारा अपने निजी सोशल मीडिया एकाउंट पर कतिपय अप्रामाणिक पोस्ट किये जाने की बात संज्ञान में आई है। हम उस कर्मी के विरुद्ध आवश्यक अनुशासनिक कार्रवाई कर रहे हैं।”
ये तो रही एक कर्मचारी की बात, विद्रोही24.कॉम के पास ऐसे कई प्रमाण है, जो बताते है कि कोविड 19 कंट्रोल रुम झारखण्ड में बैठे कई कर्मचारी भारी गड़बड़ियां कर रहे हैं, जिसकी जानकारी सूचना भवन में बैठे कई अधिकारियों को हैं, पर वे इन सारी बातों को नजरंदाज कर सारे उन मामलों को दबा दे रहे हैं, जो गलत है।
इधर फेसबुक में झामुमो पश्चिमी सिंहभूम के नाम से खुले पेज पर अब से तीन घंटे पहले पी सी महतो ने कई फोटो के साथ एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने अपनी भावनाओं को इस प्रकार प्रदर्शित किया है। उनका कहना है कि “देखिए किस प्रकार गैर-झारखण्डी घुसे हुए हैं, झारखण्डी तंत्र में। हमें ऐसे लोगों का पर्दाफाश करना है। ये लोग झारखण्डी सरकार के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। इन्हें जल्द से जल्द पद से हटाने की जरूरत है। यह एक नमूना है। पूरे शासन तंत्र में ऐसे विभीषणों की भरमार है। समय रहते ऐसे लोगों को चिन्हित करने की जरूरत है।”
शायद इसी प्रकार के पोस्ट, प्रमाण के साथ कई लोगों ने वायरल किये हैं, जिसके कारण हेमन्त सरकार सकते में आई है, तथा रांची स्थित कोविड 19 कंट्रोल रुम में उक्त कर्मचारी पर एक्शन लेने की बात की गई है। उक्त कर्मचारी ने अपने फेसबुक में लिखा था कि “अभी झारखण्ड में सबको चचा की याद आ रही होगी, लेकिन अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत।”
दूसरे पोस्ट में उसने लिखा है कि “झारखण्ड में कोरोना को आमंत्रित किया गया है। नहीं तो आज ये आंकड़ा 100 पार नहीं करता। सरकार और प्रशासनिक तंत्र की विफलता है, स्वीकार कीजिये।” यानी कोविड 19 कंट्रोल रुम में कार्य करनेवाला एक कर्मचारी की क्या सोच हैं, वह किन सोच को लेकर अपने काम को कर रहा हैं, ये समझने की जरुरत है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इसमें उसका कोई दोष नहीं, चूकि जिस संस्थान को यह काम करने की जिम्मेवारी मिली है, उस पर कभी पूर्व सीएम रघुवर दास की कृपा बनी रही हैं, ऐसे में बेचारा इतनी जल्दी रघुवर दास को कैसे भूलेगा, उसे तो सिद्ध करना होगा कि उसने अभी भी दास प्रथा छोड़ी नहीं हैं। इधर जैसे ही उस कर्मचारी पर एक्शन लेने की बात उठी, उस कर्मचारी ने अपने फेसबुक से सारे विवादित पोस्ट डिलिट कर दिये।
हर किसी को को बस राजनीति ही सूझ रही है , अभी इस महामारी रूपी विपदा में भी वो लोग ही मर रहे है जो बेक़ुसूर है ..क्या अभी ऐसे समय में लोगों की जान माल से भी जादा ज़रूरी कुछ और हो सकता है .?