केवल सीबीआई ही नहीं, पत्रकार भी स्पेशल तोता होता हैं…
भारत में तोता बहुत ही प्रिय पक्षी माना जाता है। कई घरों में यह बड़े प्यार से पाला जाता है। यह धर्मनिरपेक्ष पक्षी है, इसलिए इस पर कोई विवाद नहीं है, समभाव से हर घर में विराजमान है। इसके लिए खास पिंजड़े मंगवाएं जाते है तथा उस पिंजड़े में तोते को बड़े प्यार से प्रतिष्ठित किया जाता है, उसके लिए, उसे पिंजड़े में खाने-पीने के लिए विशेष पात्र की भी व्यवस्था की जाती है। माताएं अपने बच्चों को गोद में लेकर, तोते के साथ खुब राग अलापती है। कोई इसे हरी मिर्च खिलाते हुए, बड़े प्यार से कहता है, बोलो मिट्ठू, राम-राम। बेचारा पिंजरे में कैद मिट्ठू बना तोता भी उसे दुहराता है, राम-राम और इस प्रकार से तोते और परिवार के बीच सुखद रिश्तों का ऐहसास होने लगता है।
नेताओं का सर्वाधिक प्रिय हैं तोता रुपी पत्रकार
इधर जब सीबीआई पर तोता होने का आरोप लगा तो तोते जैसे पक्षी को भी गुमान होने लगा कि उसकी तुलना अब किसी भी अन्य पक्षियों से नहीं की जा सकती, क्योंकि वह खास है। वह अब भारत के हर वर्ग और हर विभाग में अपना खास स्थान रखता है। नेता तो अपने हर प्रिय को तोता ही कहता है, क्योंकि वह बड़े प्यार से दोपाया बूम धारक, कलमधारक, कैमराधारक, संवाद सूत्र, न्यूज सप्लायर, न्यूज ट्रेडर्स, संपादक, प्रधान संपादक, संवाददाता, प्रधान संवाददाता, विशेष संवाददाता, राज्य ब्यूरो, चैनल हेड, ब्यूरो कार्डिनेटर आदि नामों से कुख्यात-विख्यात लोगों की तोता की तरह ख्याल रखता है। वह जानता है कि यह मानवरुपी तोता का स्वभाव भी, तोते जैसे पक्षी जैसा है, बस उसे प्यार से वो देते जाओ, जिसकी वह कामना करता है, फिर तो वह अखबार में वहीं लिखेगा, चैनल में वहीं दिखायेगा, जैसा वो चाहेगा। ऐसा तोता अपने काम में इतनी ईमानदारी दिखाता है कि वह अखबार में उस नेता के गुणगान छपने के पूर्व ही बता देता है कि किस पृष्ठ पर, कितने कॉलम में उसका गुणगान छपेगा। इसी प्रकार चैनल का नमूना भी, उक्त नेता को बता देता है कि उसकी खबर कब और कितनी बार चलेगी। ऐसा तोता पाकर भला कौन नेता या अधिकारी खुश नहीं होगा। तभी तो भारत के कई नेता या अधिकारी जब प्रेस कांफ्रेस कर रहे होते है, तो मन में नाना प्रकार का भाव रखकर, बड़े प्यार से अपने पत्रकार रुपी तोते के लिए, एक से एक खाने-पीने, उन्हें प्रसन्न करने के लिए विशेष उपहार की व्यवस्था करते है और फिर उन्हें बुलाने के लिए कुछ गुनगुनाते है…
आजा रे, आजा रे। तोता मेरा, आजा रे। नेता, तुम्हें बुलाता है। दोनों हाथ उठाता है। स्वादिष्ट भोज कराता है। मनचाहा गिफ्ट दिलाता है। कलम, बूम चमकाजा रे। तोता मेरा, आजा रे। तेरा घर बनवा दूंगा। सुंदर फ्लैट दिला दूंगा। पत्नी को चेन दिला दूंगा। बेटे का नाम लिखा दूंगा। बेटी को डिग्री दिलवा दूंगा। मनचाहा सैर करा दूंगा। मेरा चेहरा चमका जा रे। अखबार में नाम छपा जा रे। चैनल चेहरा दिखला जा रे। तोता मेरा आजा रे। ब्यूरोक्रेट बना दूंगा। संसद सदस्य बना दूंगा। दिल्ली में फ्लैट दिला दूंगा। इन्द्रलोक की सैर करा दूंगा। बाहों में अप्सरे झूला दूंगा। बस तू मेरा, सिर्फ बन जा रे। तोता मेरा आजा रे। संपादक तूझे बना दूंगा। प्रधान भी तूझे बना दूंगा। बस मेरे चरण चाट जा रे। तोता मेरा आजा रे। तूझे सीबीआई न छूएगा। आयकर वाला डर जायेगा। सभी तेरा पूछ सहलायेंगे। गीत तुम्हारा गायेंगे। बस मेरा मन बहला जा रे। तोता मेरा आजा रे।
तोता का मधुर संबंध हैं नेताओं व अधिकारियों से
और इस गीत को सुनते ही, विभिन्न चैनलों में, अखबारों में काम करनेवाले तोतों का समूह उड़ चलता है, उस जगह पर जहां उसके लिए विशेष व्यवस्था का आयोजन हुआ है, और व्यवस्था का पूर्ण सुख लेने के बाद वह उन चीजों को प्राप्त करता है, जिसे उसे अपने अखबार में या चैनल में तोते की तरह गुनगुनाना होता है, और लीजिये दूसरे दिन अखबारों में अपनी गुणों का बखान देख नेता या अन्य अधिकारी उक्त तोते को फोन लगाता है, जिसने उसकी प्रशंसा में कलम तोड़ दी या चैनल में भूंक-भूंक कर अपना गला फाड़ डाला। जैसे ही तोते को उक्त नेता या अधिकारी का फोन आया मालूम होता है, बहुत ही प्रसन्न होकर, वह बात करने के क्रम में नया लिस्ट थमा देता है, जिसकी व्यवस्था देखते ही देखते हो जाती है।
तोता बनने में ज्यादा आनन्द ले रहे हैं पत्रकार
रांची में ही कई पत्रकार ऐसे है, जो तोते बनकर बहुत ही फायदा उठाये। कोई ब्यूरोक्रेट बन गया, कोई सांसद बन गया, कोई फ्लैट से ही काम चला लिया, कोई कई कट्ठे जमीन लिखवा लिया, कोई बन रहे मॉल में अपना गोटी फिट कर लिया, कोई अपने नालायक बेटे-बेटियों का बड़े-बड़े व्यापारियों को धमकाकर उनके संस्थान में नाम लिखवा दिया, कोई नेता को कहकर अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला करा दिया, कोई नेताओं के साथ अपना चेहरा चमका लिया और न हुआ तो नेता का सलाहकार बन गया। ऐसे में सिर्फ यह कहना कि सीबीआई तोता है, यह तो तोता का अपमान है, सबसे अच्छा तोता तो पत्रकार है, जो बहुत ही ईमानदारी से नेता व अधिकारियों के लिए उनके कथनानुसार हर काम कर रहा है, जो उसे पसन्द हैं।
जैसा तोता, वैसा नाम, वैसा करते हैं ये काम
जरा राष्ट्रीय चैनलों और अखबारों को देखिए, देखिये वह तोता बनकर कैसा-कैसा रट लगा रहा हैं। जो भाजपा समर्थित है, जिनके मालिक भाजपा से सांसद बने हुए है या भाजपा से अनुप्राणित है, ऐसे तोता जयश्रीराम बोलते है। जिनके मालिक या पत्रकार तृणमूल कांग्रेस से अनुप्राणित है, ऐसा तोता ममता-ममता चिल्ला रहे है। जो वामपंथ से अनुप्राणित है, वे लाल सलाम, लाल सलाम चिल्ला रहे है। जो आप पार्टी से अनुप्राणित है, वे अपने पंखों को अरविन्द केजरीवाल के चरणों में भिंगो रहे है। याद करिये एक समय दूरदर्शन-आकाशवाणी में बैठनेवाले तोते केवल कांग्रेस-कांग्रेस ही चिल्लाते थे। यहीं कारण था कि दूरदर्शन और आकाशवाणी के खिलाफ आज के सत्ताधारी दल जो उस वक्त विपक्ष में हुआ करते थे, दूरदर्शन को राजीवदर्शन और आकाशवाणी को राजीववाणी कहकर पुकारा करते थे, इसलिए जो स्थिति बन रही है, आनेवाले समय़ में कल पत्रकारों को देख, देश की जनता बड़े पैमाने पर तोता-तोता कहकर न चिल्लाने लगे, तो कहना और इन पत्रकाररुपी तोते को देख, वे अपने प्यारे से बच्चों को गोद में लेकर बतायेंगे, देखो ये भाजपाई तोता है, ये कांग्रेसी तोता है, ये वामपंथी तोता है, ये आपिया तोता है और पता नहीं, क्या-क्या कहेंगे…