अपनी बात

पत्रकारों को फाइव स्टार होटलों में कराये जा रहे ब्रेकफास्ट व डिनर, मिल रहे दिवाली गिफ्ट का दिखा असर, मीडिया हाउसों ने अपने दिलों को भाजपा के रंग में रंगा, गाने लगे भजन, जोगन बन जाउंगी मोदी तोरे कारण …

झारखण्ड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी द्वारा पत्रकारों को फाइव स्टार होटलों में कराये जा रहे कारपोरेट डिनर और कारपोरेट ब्रेकफास्ट तथा दिवाली को लेकर दिये गये गिफ्ट का असर अब राज्य के पत्रकारिता जगत में दिखने लगा है। भाजपा से अनुप्राणित पत्रकारों का समूह हृदय से इस मूल मंत्र को स्वीकार कर गाने लगे हैं – भाजपा शरणम् गच्छामि, नरेन्द्र मोदी शरणम् गच्छामि, अमित शाह शरणम् गच्छामि, हिमंता शरणम् गच्छामि। कोई गा रहा है – जोगन बन जाउंगी, ऐ मोदी तोरे कारण …।

अगर आपको विश्वास नहीं होता, तो रांची से छपनेवाले कोई भी अखबार को आप देख लें। नमूने के तौर पर हमने रांची से छपनेवाले एक अखबार प्रभात खबर को आपके सामने प्रस्तुत किया है। आप स्वयं देखें, आकलन करें, सच्चाई को निकट से पहचानें, देखें, राज्य आपका है। इसका देखभाल करना आपका फर्ज है, न कि किसी मीडिया हाउस या चिलगोजे टाइप के पत्रकार के चंगुल में पड़कर अपना विवेक उस मीडिया हाउस या पत्रकार के घर/कार्यालय जाकर गिरवी रख दें।

यहीं नहीं कुछ पत्रकार ऐसे भी हैं कि वे भाजपा का प्रचार करने के लिए फेसबुक का सहारा ले रहे हैं और जमकर भाजपा के पक्ष में लिखे जा रहे हैं। यहीं नहीं वे स्वयं द्वारा लिखे आर्टिकल को भाजपा के कई कार्यकर्ता या भाजपा नेताओं के कृपा से ठेकेदारी करनेवाले भाजपा के कट्टर समर्थक ठेकेदारों को टैग भी करते हैं और अपने पोस्ट पर कमेन्ट्स भी मंगवा रहे हैं। विद्रोही24 ऐसे पत्रकारों का कई कटिंग्स अपने पास रखा हैं, ताकि जब जरुरत हो, तो ऐसे पत्रकारों को उनके सामने उन कटिंग्स को रखकर उन्हें नंगा किया जा सकें।

यहीं कुछ पत्रकार ऐसे भी हैं कि वे केन्द्र सरकार द्वारा संपोषित चैनलों जैसे दूरदर्शन आदि में चुनावी परिचर्चा में भाग ले रहे हैं। चूंकि ये लोग धूर्त किस्म के हैं, तो इनकी पहुंच बहुत दूर-दूर तक हैं। चापलूसी करने में ये पारंगत हैं तो ऐसे चापलूसों को उन चैनलों में मौका भी मिल जाता है और ये उस चैनल में भाग लेकर उस परिचर्चा के लिंक पर फेसबुक पर पोस्ट भी कर रहे हैं ताकि लोग उन्हें देखें, पर ऐसे लोगों के लिंक को उनके बीवी-बच्चों को छोड़ कोई नहीं देखता।

ऐसे लोगों की भी कई कटिंग्स विद्रोही24 ने अपने पास रखा हैं, ताकि जब जरुरत हो, तो ऐसे पत्रकारों को उनके सामने उन लिंक्स को रखकर उन्हें नंगा किया जा सकें। हां, एक बात और, ऐसे लोगों का फोटो हम इस आर्टिकल में इसलिए नहीं लगा रहे, ताकि उनकी बची-खुची जो इज्जत हैं, वो नीलाम न हो। अगर ऐसे पत्रकार इस समाचार को पढ़ रहे होंगे तो उनको जरुर पता लग जायेगा कि ये आर्टिकल उन्हीं जैसों भाजपा समर्थित पत्रकारों को समर्पित हैं।

कुल मिलाकर देखा जाये, तो इन दिनों भाजपा ने ऐसी गंगा बहा दी हैं कि जिस मीडिया हाउस या पत्रकारों को दिखिये। उसे भाजपा के नेताओं में भगवान नजर आने लगे हैं। कई तो भाजपा नेताओं के चरण-स्पर्श कर, उनके चरण रज को अपने माथे पर लगाकर धन्य हो रहे हैं। ऐसे पत्रकारों का मानना है कि जब ये भाजपावाले सत्ता में आयेंगे तो उन पर विशेष कृपा अवश्य लूटायेंगे। भाजपा के नेता भी बड़ी ही प्रसन्नता से ऐसे भक्त पत्रकारों पर अपने हृदय से प्रेम लूटा रहे हैं। उनके साथ सेल्फी ले रहे हैं और बड़े प्रेम से उनके माथे और पीठ पर हाथ तक फेर दे रहे हैं।

अब जरा आज का प्रभात खबर देखिये। प्रथम पृष्ठ और दूसरा पृष्ठ आप क्या देख रहे हैं। दोनों पृष्ठों में भाजपा के समाचार इस प्रकार छापे गये हैं, जैसे लग रहा है कि भाजपा की इस राज्य में आंधी चल रही हो। कमाल है, मंडल मूर्मु झामुमो का एक छोटा नेता जिसे हेमन्त सोरेन ने अपना प्रस्तावक बनाया था, वो भाजपा सांसद निशिकांत दूबे के दबाव में आकर पाला बदल लेता हैं और उसकी खबर प्रभात खबर प्रथम पृष्ठ पर प्रमुखता से छापता हैं और जवाहर  पासवान जो भाजपा का प्रदेश उपाध्यक्ष हैं, वो गढ़वा की एक सभा में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की सभा में झामुमो का दामन पकड़ लेता हैं, उसकी खबर अंदर के पेजों में वो भी एक छोटे से कॉलम में दे दी जाती है। मतलब समझिये।

यही अखबार जमीन दलाल व भाजपा नेता मदन सिंह के स्कूल में हुई छापामारी, जिसमें एक करोड़ 14 लाख रुपये मिले। उसे छुड़ाने के लिए कई भाजपा नेता नामकुम थाने में हंगामे किये। लेकिन प्रभात खबर ने कई बार इससे संबंधित समाचार छापने के बाद भी अपने अखबार में मदन सिंह को भाजपा नेता मानने से इनकार कर दिया। आखिर ये याराना क्या लगता है?

अतः इस चुनाव में भाजपा और मीडिया हाउस या भाजपा समर्थित पत्रकारों  द्वारा छल कर जिस प्रकार से राज्य की जनता को भरमाने की कोशिश की जा रही हैं। उस भ्रम में मत पड़िये। राज्य आपका है। अपने विवेक से किसी को भी चुनिये। पत्रकारों का क्या हैं, उनके लिए तो कारपोरेट ब्रेकफास्ट और कारपोरेट डिनर, दिवाली गिफ्ट सब कुछ तैयार है। लेकिन आपके लिए क्या है? हमेशा याद रखिये, वोट का चोट करिये, नेताओं व पत्रकारों को बताइये कि आप उसके गुलाम नहीं। आप, आप हैं, आप मतदाता हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *