अपनी बात

जदयू नेताओं को बस शिष्टाचार भेंट तक ही सीमित रखियें, इनका बिहार में ही कोई अस्तित्व नहीं है, तो ये झारखण्ड में क्या कर लेंगे?

झारखण्ड में जनता दल यूनाइटेड का कोई अस्तित्व नहीं हैं। यह पार्टी यहां पूरी तरह मर चुकी है। जब एकीकृत बिहार था तो भाजपा के लोग पूर्व में नीतीश कुमार की जाति के लालच में आकर, उनसे राजनीतिक गठबंधन किया करते थे, जिसका लाभ भले ही भाजपा को मिले या न मिले, पर ये पार्टी और उसके नेता झारखण्ड में उठा लिया करते थे, और फिर भाजपा को ही ब्लैकमेलिंग भी किया करते थे, जिसका खामियाजा भाजपा को तो कम, इस पार्टी को ही ज्यादा उठाना पड़ा और यह पार्टी पूरे झारखण्ड से अलविदा हो गई।

हालांकि झारखण्ड में अपनी पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए नीतीश ने एक चाल चली और झारखण्ड के अपने सजातीय कुर्मी नेता खीरु महतो को बिहार से राज्यसभा पहुंचा दिया, जबकि सच्चाई यह है कि खीरु महतो का भी कोई यहां अपना जनाधार नहीं हैं, अगर जनता दल यूनाइटेड झारखण्ड में कोई अपना कार्यक्रम भी रखती हैं तो इसके कार्यक्रम में सौ से हजार के बीच ही लोग जुटेंगे, इससे अधिक कुछ नहीं।

लेकिन फिलहाल ये और उसके नेता इधर खुब जोर मार रहे है कि मोदी को टक्कर दें, पर सच्चाई यह है कि बिहार में ही इनकी पार्टी अकेले मोदी को टक्कर देने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए ये लालू यादव के साथ गठबंधन किये हैं, ताकि उनकी पार्टी को भी प्राणदान मिल जाये। यहीं नहीं राजपूत वोट उन्हें प्राप्त हो, इसलिए उन्होंने आनन्द मोहन को जेल से निकलवाकर अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश की।

जबकि सच्चाई यह है कि कल के आनन्द मोहन और आज के आनन्द मोहन के बीच गंगा में ढेर सारा पानी बह गया हैं। अब चाहकर भी आनन्द मोहन, नीतीश के लिए कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि भाजपा में आनन्द मोहन से ज्यादा बड़े-बड़े राजपूत नेता हैं, जो इनकी हालत पस्त कर सकते हैं। ऐसे भी ये पार्टी जातिवादी पार्टी से इतर कुछ भी नहीं हैं, जबकि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा जातिवादी पार्टी न होकर पूरे झारखण्ड के लोगों का प्रतिनिधित्व करती है।

इसलिए मेरा विनम्र सलाह होगा कि पूरी तरह झारखण्ड में मर चुकी जनता दल यूनाईडेट को हेमन्त सोरेन दूर ही रखें, इसे पुनः प्राणदान नहीं दें, नहीं तो ये इनके लिए ही काल साबित हो जायेगा। फिर यही इनकी पार्टी को खोदने का काम करेंगे, क्योंकि इनका क्या, इनके नेता तो विधानसभा में बोलते हैं, कि मिट्टी में मिल जायेंगे पर भाजपा के साथ नहीं जायेंगे और फिर मिट्टी तो वहीं रहती हैं, मिट्टी में मिलते भी नहीं, भाजपा के साथ मिलकर फिर से सरकार बना लेते हैं। 

अब लीजिये, इनके नेताओं को सनक सवार चढ़ी हैं कि मोदी को सत्ता से बेदखल करेंगे, पर 2024 में क्या परिणाम आयेगा, नीतीश से ज्यादा विद्रोही24 को पता हैं। ये कितना भी कुथेंगे, मोदी को कबाड़ नहीं पायेंगे, क्योंकि मोदी ने पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक उन सारे राजनीतिक दलों की हवा निकाल दी हैं, जो अपने राजनीतिक टायर में भरी हवा को लेकर उछल रहे थे। इसलिए नीतीश कुमार और उनके नुमाइंदों को कहिये कि आप बिहार में खुब उछलिये, हम झारखण्ड में बेहतर कर रहे हैं, आप अपना बिहार संभालिये और जदयू को ठीक करिये। यहां क्या, यहां के लिए अकेले हेमन्त ही काफी है।