अपनी बात

कड़िया मुंडा ने लक्ष्मण सिंह मरकाम की कविता के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी को किया सजग, कहा – छली प्रपंच है बाहर भीतर इनके झांसे में आना मत, हे नरेन तू कभी घबराना मत …

भारतीय जनता पार्टी के भीष्म पितामह, जिनके शरीर के रोम-रोम में संघ और भाजपा बसती हैं। ऐसे कड़िया मुण्डा आज वर्तमान भाजपा की स्थिति को देख व्यथित है। फिर भी वे नरेन्द्र मोदी से आशान्वित है कि उनकी देख-रेख में भारत सुरक्षित है। कड़िया मुंडा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भरे मन से पत्र लिखा है। साथ ही उनसे बड़ी आशाएं भी रखी हैं। आशा झारखण्ड और देश को लेकर है। उन्होंने लक्ष्मण सिंह मरकाम की कविता के माध्यम से एक संदेश भी दिया है कि वे कभी घबराये नहीं, यह देश ही ऐसा है कि यहां इस प्रकार की झंझावातें देश के लिए मर-मिटनेवालों को हमेशा झेलनी पड़ी हैं। आइये देखते है कि कड़िया मुंडा ने अपने पत्र में लिखा क्या?

मेरे प्रिय भाई नरेन्द्र मोदी जी!

भारत के 18वीं संसद के यशस्वी माननीय प्रधानमंत्री जी,

सप्रेम नमस्ते!

सर्वप्रथम आपके तीसरी पाली एनडीए के 60 के दशक (पंडित जवाहर लाल नेहरु) के बाद आपको पंत प्रधान बनने की कोटि-कोटि बधाई। आप एनडीए के नेता मनोनीत हुए हैं, इसकी भी बहुत-बहुत शुभकामना, भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्षों श्रद्धेय अटल जी, अडवाणी जी, श्री मुरली मनोहर जोशी जी से लेकर आज तक 60 दशक हमने विजय पराजय के साथ तत्कालीन जनसंघ से आज तक के भारतीय जनता पार्टी के 14 माननीय अध्यक्षों के साथ कार्य का अनुभव आपके साथ साझा कर रहा हूं। इसके लिए अनहद शब्द उपयुक्त है।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतूर्भूर्मा ते संगोsस्त्वकर्मणि।।

आपके अद्भत्, दैविक नेतृत्व ने आपने भारत को शीर्ष पर स्थापित किया है, और इस कारण आप यह विश्व की विशाल पार्टी संगठन के रूप में स्थापित हुआ है, आपके नेतृत्व में और सफलीभूत होगा और यह होना भी चाहिये, आज परिणाम प्रतिकूल आये हैं, इस परिस्थिति में भी आपकी स्थिरप्रज्ञता को देख अंचभित हूं, आपके चार जून और पांच जून के संबोधन को अक्षरशः सुनकर मैं गर्व से, अंतर से आपको साधु साधु-साधु। कहने को विवश हूं।

आप यशस्वी हों, यह मेरी शुभकामना है। साथ ही उम्र के इस पड़ाव पर झारखण्ड के संगठन की वास्तविक स्थिति और भगवान बिरसा के जन्मभूमि और अन्य चार जनजातीय सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के पराजय से आहत हूं। माननीय अध्यक्ष जी को आप इस मेरी चिन्ता से अवगत करायेंगे, साथ ही पूज्य अटल जी के झारखण्ड की चिन्ता भारतीय जनता पार्टी और आपका स्नेह इस राज्य को मिलता रहे, यह विनयवत् प्रार्थना है, मेरे 89 की उम्र में मेरी चिन्ता इस राज्य के जनजातीय स्मिता संस्कृति को लेकर हैं, इसे आप समझ सकते हैं। विपरीत परिस्थितियों में आप विजयी यशस्वी हों, यह कामना है, आपको समर्पित लक्ष्मण राज सिंह मरकाम की कविता के कुछ अंशः

हे नरेन तू कभी घबराना मत,

छली प्रपंच है बाहर भीतर

इनके झांसे में आना मत।

है बाकी अभी तो कई धर्म युद्ध,

सारा भीतर के अंतर्मुखी निष्क्रिय क्रुद्ध विक्षुब्ध।

हो अवसाद मुक्त संशय चक्रव्यूह निरुद्ध,

ये बहता अंतर का रक्त देख भरमाना मत,

हे नरेन तू कभी घबराना मत।।1।।

द्रुपदपुत्री का नित्य होता चीर हरण,

है प्रसुप्त यह जनमानस हिन्दू का होता वीर हरण।

महाकाल से ले विषकंट में करो वरण,

गरल को कर संचय बस तुम झुंझलाना मत।

हे नरेन तू कभी घबराना मत।।2।।

केशव रक्षण करते सदा अंकित सजग किया,

कोटि मारीच भीतर बाहर मुंह खोल सभी दिखा दिया।

दिवा स्वप्न हम देख रहे उसमें हमे जगा दिया,

रख वेदना अंतर में अपनी प्रतिमा कभी बनवाना मत।

हे नरेन तू कभी घबराना मत।।3।।

भारत मां को खंडित करने कई पाक दोबारा गढ़ने को,

तुर्कन गजवा ए हिन्द तक लड़ने को।

हिंदू बांट-बांट, जाति-जाति में कटने, मढ़ने को,

है हाथ तेरे गाण्डीव इनको मर्दन करने को।।4।।

सजग किया इस घड़ी में, हे नरेन तुम घबराना मत

@लक्ष्मण सिंह मरकाम “लक्ष्य”

पुनः मेरी अनन्त शुभकामना, आप यशस्वी हो

आपका ही

कड़िया मुण्डा