झारखण्ड में बड़े पैमाने पर हो रहे सुनियोजित धर्मांतरण पर कड़िया मुंडा समेत विश्व हिन्दू परिषद् के अन्य अधिकारियों ने गहरी चिंता जताई
विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अपने तीन दिनों के प्रवास के क्रम में करंजो एकल ग्राम विकास संसाधन केंद्र से लौटते समय विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय न्यासी पद्मविभूषण कड़िया मुंडा के आवास पर पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने झारखण्ड में हो रहे सुनियोजित धर्मांतरण पर गहरी चिंता जताई। आदिवासी के साथ ओबीसी और अनुसूचित जाति के लोगों का चंगाई के बहाने धर्मांतरण कराया जा रहा है। इसमें हलुलुइया चर्च हिंदुओं को टारगेट कर उनका धर्मांतरण कर रहा है।
भोले-भाले आदिवासियों, गरीबों और दलितों को मुख्य रुप से टारगेट किया जा रहा है। झारखंड में अब यह साजिश हैरान व चौंकाने वाले हैं। झारखंड में आदिवासियों की आबादी बहुत ज्यादा है तथा उनके बीच ईसाई मिशनरीज अपनी पैठ बना हिन्दुओं को ईसाई बनाने का काम शुरू कर चुकी है। कड़िया मुंडा ने कहा कि ये पूरी की पूरी मशीनरी इस साजिश में धन बल व आपसी फूट का लाभ ले चंगाई को निमित्त बनाती है ।
किसका धर्मपरिवर्तन होगा, कैसे होगा, यह साजिश को अंजाम देने के लिए किसी भी गांव में सबसे पहले चर्च खोला जाता है। इसके लिए पास्टर अपना घर बार छोड़कर उस गांव में बस जाता है। फिर पास्टर गांव में उन लोगों से मिलता है, जो बेहद गरीब हैं, जिनके घर में कोई लंबे समय से बीमार है, जिन्हें नौकरी की तलाश है, उनके दर्द को भी धर्मांतरण की दवा बनाया जाता है। पास्टर भरोसा देता है कि सब मिलकर प्रार्थना करेंगे तो दुख दर्द दूर होगा, इसके लिए वो लोगों को बाइबल पढ़वाता है।
लोगों का भरोसा जीतने के बाद वो गांव में चर्च खोलने की जद्दोजहद शुरू करता है। यह पता ही नही चलता कि कब धोखे से जमीन लेकर चर्च खुल गया। NGO के नाम पर सरकारी सुविधा के बहाने चर्च खुलने के साथ ही ईसाई धर्म का प्रचार तेज हो जाता है। चर्च की तरफ से किसी के घर हैंडपंप लगवा दिया जाता है तो किसी की नौकरी तो किसी की आर्थिक मदद कर दी जाती है।
किसी को स्कूल में एडमिशन तो किसी को मुफ्त राशन का लालच दिया जाता है। लालच और बरगलाना इनका मुख्य हथियार है। इसके बाद ही आदिवासी परिवार हिन्दू से ईसाई बन जाते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि धर्मांतरण के खेल से यहां के लोग अनजान हैं। हमें ऐसे कई आदिवासी परिवार के साथ गैर ईसाई भी ईसाई बन जाते है।
पर अब जागरूकता के कारण इस धर्मांतरण के धंधे से आम जनमानस गुस्से में हैं। गांव में आदिवासियों की संख्या कम होने से आदिवासी समाज परेशान है, आदिवासियों को धर्मांतरण के जाल में और भरणी हिपोटोज़ करते ये चंगाई अब हर गांव में हो गए है।चर्च के लोग आकर यहां बरगलाते हैं। लोगों को ईसाई बनाया जा रहा है। रात में पूजा करते हैं। अवैध तरीके से अपना धंधा चला रहे हैं, गिरजाघर बना रहे हैं, वो धन दौलत का लालच देते हैं।
बोलते हैं कि पैसा अपने आप आ जाएगा। इसी क्रम में किसी की जमीन दोस्ती के नाम पर हडप कर चर्च खड़ा कर दिया जाता है।आदिवासी इलाकों में ऐसे ही गरीब हिन्दुओं को ईसाई बनाने के लिए लालच दिया जाता है और उस लालच को मर्जी से धर्म परिवर्तन का नाम दे दिया जाता है। झारखंड में किस तरह से हिंदुओं को ईसाई बनाने की प्लानिंग की जा रही है। ये आपने देखा।
झारखंड में केवल एक गांव नहीं है, जहां हिंदुओं का धर्म बदलवाया जा रहा है। यहां ऐसे कई गांव हैं जहां हिंदुओं के धर्म परिवर्तन का काम तेजी से चल रहा है। धर्मांतरण की आग को यह सरकार हवा दे रही है, सरकारी तंत्र भी माध्यम बन गए हैं। इसका कारण धर्मांतरण की आड़ में जमीन कब्जाने का खेल है। जो ईसाई पास्टर खेल रहे हैं।
इस समस्या पर दोनों VHP अधिकारियों ने बताया कि वे सजगतापूर्वक अब गांवों तक समस्याओं का अध्ययन ग्राम सभा के माध्यम से कर रहे है, चूंकि ईसाई बहुल गांवों में प्रधान भी ईसाई होने के कारण इस चर्च के साजिश को बल मिल रहा है, हम तो यह कहते हैं कि मजियस खुटकट्टी या पांचवी अनुसूची के गांवो में प्रधान, धर्मांतरित होने पर पदच्युत हो, जैसा कि यह कई राज्यों में है। इस कार्यक्रम में VHP के जिले के अधिकारियों के साथ दिल्ली से ग्राम विकास के ललन, और श्री जैन भी मौजूद थे।