अकेले कल्पना ने भाजपाइयों के सारे हथकंडे किये ध्वस्त, प्रदेशस्तरीय भाजपा नेताओं की घिग्घी की बंद, जेल में हेमन्त सोरेन के रहने के बावजूद झामुमो-कांग्रेस की लोकसभा में सीटें बढ़ाई
एक जून को विद्रोही24 ने ‘झारखण्ड की जनता का फैसला, गोड्डा में फिर से निशिकांत, दुमका व राजमहल सीट पर झामुमो की बल्ले-बल्ले, लोकसभा चुनाव झामुमो के लिए जीत तो भाजपा और कांग्रेस के लिए चेतावनी भी’ हेडिंग से खबर प्रकाशित की थी। आज परिणाम देखिये। यही परिणाम सर्वत्र दिखाई पड़ रहा है। झामुमो दुमका, राजमहल व सिंहभूम लोकसभा सीट पर शानदार जीत दर्ज की है। वहीं कांग्रेस ने लोहरदगा और खूंटी पर शानदार जीत दर्ज कर सबको चौंकाया है।
याद रखें, इसके पहले 2019 में लोकसभा की कुल 14 सीटों में भाजपा गठबंधन ने 12 सीटें जीती थी, इस बार भाजपा गठबंधन की सीट घटकर नौ होने जा रही है। कल तक स्वयं को महान सिद्ध करनेवाले भाजपा के प्रदेशस्तरीय नेता बाबूलाल मरांडी, भाजपा का कर्म कूटने के लिए प्रतिबद्ध संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह, आदित्य साहू, प्रदीप वर्मा जैसे नेताओं की घिग्घी बंद हो गई है। वो बोल नहीं पा रहे। कल तक मोदी-मोदी चिल्लानेवाले लोगों की हालत पस्त है।
केवल स्वयं को सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए प्रतिस्थापित करनेवाले इन नेताओं ने समर्पित भाजपा कार्यकर्ताओं की यहां बैंड बजा दी थी, जिसका परिणाम यह होना ही था। तभी तो राजनीतिक पंडित साफ कहते है कि झारखण्ड में भाजपा को मिट्टी में मिलाने में इन्हीं नेताओं का सबसे बड़ा हाथ है। इनमें कुछ नेता तो आज भी हाथी उड़ानेवाले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के इशारे पर पार्टी को सत्यानाश करने के लिए लगे हैं, ताकि फिर से रघुवर दास को ओड़िशा के राज्यपाल से हटाकर, फिर से झारखण्ड में उन्हें बिठा दिया जाय।
जबकि इधर एक सामान्य गृहिणी कल्पना सोरेन ने अपने पति पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के जेल में रहने के बावजूद पार्टी को मजबूती से जहां पकड़ी रही, कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया, बल्कि अपने पार्टी के अंदर पार्टी के प्रति समर्पित सारे नेताओं को सम्मान देते हुए भाजपा की बत्तीसी बाहर कर दी। आज दुमका में नलिन सोरेन, राजमहल से विजय हांसदा तथा सिंहभूम से जोबा मांझी की हुई जीत इसी का परिणाम हैं। साथ ही कांग्रेस के सुखदेव भगत का लोहरदगा से जीत दिलाने तथा खूंटी संसदीय क्षेत्र से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व निर्वतमान केन्द्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा को हार का स्वाद चखाने में कल्पना सोरेन की भूमिका को नजरंदाज नहीं किया जा सकता।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो कल्पना सोरेन की सरलता, सहजता व सहृदयता झामुमो को जनता के बीच में शानदार ढंग से प्रतिस्थापित करने में जबर्दस्त भूमिका निभाई। कल्पना सोरेन आम जनता और अपने वोटरों को के मन-मस्तिष्क में यह बात प्रवेश कराने में सफल रही है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और उनके पति हेमन्त सोरेन पर ज्यादतियां हो रही है। ऐसे भी पूरे प्रदेश में झामुमो से अगर किसी नेता की डिमांड रही तो वो कल्पना सोरेन ही रही। निःसंदेह आज की जीत से उनका मनोबल बढ़ेगा, पार्टी में कद भी बढ़ेगा।
दूसरी ओर भाजपा कल्पना सोरेन की बढ़ती लोकप्रियता से अनभिज्ञ होने का नाटक किया। जिसका परिणाम सामने हैं। राजनीतिक पंडित ऐसे ही नहीं कहते कि प्रदेश में भाजपा के पास हेमन्त सोरेन या कल्पना सोरेन के सदृश एक भी नेता नहीं, जो झामुमो का मुकाबला कर सकें। ले-देके केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी है। इसी वर्ष दिसम्बर में विधानसभा का चुनाव है। जिस प्रकार से कल्पना सोरेन ने अकेले लोकसभा में समां बांधा है। बताता है कि झामुमो अपना दूसरा टर्म भी पूरा करेगा और भाजपा हाथ मलती रह जायेगी।
आश्चर्य की बात है कि खुद को आदिवासियों की हिमायती बतानेवाली भाजपा जिनके पास आदिवासी नेताओं की फौज हैं। वैसी पार्टी आज झारखण्ड की आदिवासी सीटों पर गिरगिरा रह रही थी कि उसे कही से जीत का स्वाद मिल जाये। लेकिन जनता ने उसकी एक नहीं सुनी। आदिवासी सीटों पर झामुमो और कांग्रेस ने अपना दबदबा बनाये रखा। आज की झामुमो की मिली सफलता बताने के लिए काफी है कि झारखण्ड में आदिवासियों का अगर कोई सबसे बड़ा नेता हैं तो वो हेमन्त सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन है।
कल्पना सोरेन की धाक देखिये। कल्पना ने लोकसभा की सीटें ही नहीं दिलवाई। बल्कि स्वयं गांडेय विधानसभा सीट से शानदार जीत भी दर्ज की। केवल झामुमो के कार्यकर्ताओं का ही मनोबल नहीं बढ़ाया, बल्कि इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ाया। नारा दिया। लड़ेगा, झारखण्ड। जीतेगा झारखण्ड। लड़ेगा, इंडिया, जीतेगा इंडिया।