हेमन्त सोरेन के संघर्ष को सोशल साइट के माध्यम से रख अपने दर्द को बयां कर रही कल्पना सोरेन की जनता के बीच बढ़ रही लोकप्रियता, लोग उन्हें सुनना और जानना चाह रहे
पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन अपने दर्द को सोशल साइट के माध्यम से लोगों के बीच रखी हैं। कल्पना सोरेन का यह दर्द झामुमो के नेताओं व कार्यकर्ताओं को एक नया मार्ग भी दिखा रहा है कि इन्हें करना क्या है? और अपने विरोधियों को जवाब किस तरह देना है? राजनीतिक पंडितों की मानें तो कल्पना सोरेन का समय-समय पर सोशल साइट के माध्यम से अपने विचारों को रखना तथा हेमन्त सोरेन और जनता के बीच एक कड़ी का काम करना आमलोगों को बहुत ही रास आ रहा है।
अब तो लोग यह भी कहने लगे है कि अगर किसी दिन कल्पना सोरेन राजनीतिक क्षेत्र में कूद गई तो उनके विरोधियों की हालत पस्त होनी तय है, क्योंकि एक तो हेमन्त सोरेन द्वारा किये गये कार्यों के कारण उनकी बढ़ी लोकप्रियता तथा जेल जाने के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन का उनके रुके हुए कामों को गति देना, सब कुछ बयान कर दे रहा है।
राजनीतिक पंडित तो यह भी कहते है कि लाख भाजपावाले ये कहें कि उन्होंने हेमन्त सोरेन को जेल भिजवाकर अपनी जीत हासिल कर ली है, लेकिन सच्चाई कुछ और है, भाजपा ने कल्पना सोरेन के रुप में एक और बेहतर राजनीतिज्ञ झारखण्ड को दे दिया है, जो देर-सबेर जनता के बीच आयेंगी ही।
इसे अब कोई रोक भी नहीं सकता और जब वो आयेगी तो उन्हें सुनने के लिए लोग भी बड़ी संख्या में जुटेंगे, संभव है प्रभावित भी होंगे। इससे भी कोई इनकार नहीं कर सकता। फिलहाल कल्पना सोरेन ने किस प्रकार अपने दर्द को सोशल साइट पर रखा हैं, उसे आप स्वयं महसूस करिये …
“पिछले 24 दिनों से अन्यायपूर्ण कारावास का सामना कर रहे मेरे जीवन साथी, हेमन्त सोरेन जी के संघर्ष को अनुभव कर मैं गौरवान्वित भी हूं, दुःखी भी हूं। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी दृढ़ता और अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करने की उनकी हिम्मत के फलस्वरूप आज वो जेल में हैं। बाबा साहेब के शब्द “छीने हुए अधिकार भीख में नहीं मिलते, अधिकारों को वसूल करना पड़ता है” ने हेमन्त जी को हमेशा प्रेरित किया है।
राज्यवासियों की सेवा और उनके अधिकारों की रक्षा हेमन्त जी की पहली प्राथमिकता रही है। परिवार, मैं और बच्चे उनके लिए बाद में आते हैं। आदरणीय बाबा दिशोम गुरु जी के संघर्ष से हमें जो राज्य मिला, उसे संवारना और लोगों को हक़-अधिकार दिलाना ही उन्होंने अपना सर्वस्व माना।
हेमन्त जी सामाजिक न्याय और अधिकार के लिए सदैव संघर्ष करते रहे हैं। अपने और अपने राज्यवासियों के अधिकारों को हासिल करने के उनके संकल्प, मुझे उनकी आवाज़ को और गति देने के लिए प्रेरित करता है। उनकी यह संघर्षशीलता हमें सिखाती भी है कि हक़-अधिकारों की रक्षा और उन्हें हासिल करना हमारा कर्तव्य है, न केवल अपने लिए, बल्कि समाज के उत्थान और समृद्धि के लिए भी।
आज अन्याय के खिलाफ हेमन्त जी लड़ रहे हैं। आप सभी देश और झारखण्ड वासी जिस समर्पण के साथ उनके साथ खड़े हैं, उसके लिए मैं सभी की आभारी हूं। न्याय के लिए हमें यह लड़ाई मिलकर लड़ना है और लड़कर जीतना है।
जय जोहार!
जय झारखण्ड!
~ कल्पना मुर्मू सोरेन”