कल्पना सोरेन ने कहा केन्द्र सरकार ने हेमन्त को जेल में नहीं डाला, बल्कि झारखण्ड के स्वाभिमान-आत्मसम्मान को जेल में डाल दिया, आप सभी को इसका करारा जवाब वोट के माध्यम से देना है
गिरिडीह के झंडा मैदान में एक महती जनसभा को संबोधित करते हुए भावुक मुद्रा में पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार ने हेमन्त सोरेन को जेल में नहीं डाला, बल्कि झारखण्ड के स्वाभिमान और आत्मसम्मान को जेल में डाल दिया है। आनेवाले वक्त में इसका करारा जवाब मिलेगा। झारखण्ड की जनता इसका करारा जवाब देगी।
अपनी पहली सार्वजनिक राजनीतिक सभा को संबोधित करते हुए कल्पना सोरेन ने कहा कि वो सोच कर आयी थी कि जैसा हेमन्त जी विधानसभा में कहा था कि ‘मैं आंसू नहीं बहाउंगा, आंसू वक्त के लिए रखूंगा, क्योंकि केन्द्र की भाजपा सरकार के लिए आंसू का कोई मतलब ही नहीं है।’ आदिवासी-दलित, पिछड़े-अल्पसंख्यक के आंसूओं का इनके सामने कोई मोल नहीं है। इसलिए वो भी आंसू नहीं बहाएंगी। लेकिन आप सभी के अथाह स्नेह और आशीर्वाद के सामने मैं स्वयं को नहीं रोक पायी।
अपने भाषण की शुरुआत कल्पना सोरेन ने स्वतंत्रता संग्राम में वीरगति प्राप्त हुए झारखण्ड के अमर सेनानियों को याद कर की। उसके बाद उन्होंने झारखण्ड आंदोलन में शामिल रीतलाल वर्मा, धनेश्वर महतो, निर्मल महतो, जगरनाथ महतो, हाजी हुसैन अंसारी को याद किया। कल्पना ने कहा कि चार मार्च 1973 को झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का गिरिडीह के इसी झंडा मैदान में जन्म हुआ।
कल्पना सोरेन ने कहा कि उनके सास-ससुर बहुत बीमार है। बहुत परेशान भी है। मैंने सोचा था कि मैं अपनी आंसू रोक लूंगी। लेकिन रास्ते भर आप सभी का मिला स्नेह देखकर मुझे बहुत ताकत मिली। ऐसी ताकत जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। कल्पना ने लोगों से हेमन्त सोरेन जिन्दाबाद का नारा भी लगवाया और आम जनता से कहा कि इतनी जोर से यह नारा लगनी चाहिए ताकि ये आवाज होटवार जेल तक जाये।
कल्पना ने कहा कि हेमन्त जी को षडयंत्र के तहत जेल में डाला गया है। दिल्ली में बैठे लोगों की घटियास्तर की सोच का यह परिणाम है। दिल्ली में बैठे लोगों को दरअसल दिल ही नहीं है। आदिवासी-अल्पसंख्यकों को ये लोग कीड़ा समझते हैं। उनके मन में इनके प्रति घृणा भरी पड़ी है। कल्पना ने कहा कि यहां उमड़ी ये भीड़ देखकर लग रहा है, आप सभी का आशीर्वाद बता रहा है कि झारखण्ड रुकेगा नहीं, झारखण्ड झूकेगा नहीं।
कल्पना ने लोगों को बताया कि कल ही उनका जन्मदिन था। वो अपने जन्मदिन के अवसर पर हेमन्त सोरेन से मिलने गई थी। उन्होंने उस समय कहा था कि घबराना मत, अभी तो मैं सिर्फ जेल के अंदर हूं, पर जिन्दा तो हूं। वे जिन्दादिल हैं। आपकी तालियों से वे गौरवान्वित है। गौरवान्वित इसलिए कि वे आपके दिलों में आज भी मौजूद हैं।
कल्पना ने कहा कि जब से उन्हें जनादेश मिला। षडयंत्रकारियों ने उनके खिलाफ षडयंत्र करना शुरु कर दिया। उनका अपराध क्या है? क्या झारखण्ड व झारखण्डियों के लिए हक मांगना अपराध है, क्या पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण मांगना अपराध है, क्या आदिवासियों के लिए अलग सरना धर्म कोड मांगना अपराध है, क्या कोरोना में अपने झारखण्डियों को बचाने के लिए दिन-रात एक करना अपराध था?