अपनी बात

करिया मुंडा के बेटे अमरनाथ को झामुमो में स्थान दिला हेमन्त सोरेन ने भाजपा की घिग्घी बंद कर दी

हेमन्त सोरेन ने झारखण्ड विधानसभा चुनाव के दौरान कल राजनीतिक बिसात पर ऐसा छक्का लगाया कि भाजपा की घिग्घी ही बंद हो गई। कल हेमन्त सोरेन ने भाजपा के दिग्गज नेता एवं वर्तमान स्टार प्रचारक करिया मुंडा के बेटे अमरनाथ मुंडा को अपनी पार्टी में मिला लिया और भाजपा देखती रह गई, शायद भाजपा को इस बात का गुमान है कि बहुत लोग पार्टी से निकल जाते हैं, उससे भाजपा को क्या होता हैं, पर भाजपा को मालूम नहीं कि हेमन्त सोरेन ने अमरनाथ मुंडा को झामुमो में मिलाकर भाजपा के अंदर कौन सी खलबली को जन्म दे दिया।

राजनीतिक पंडित बताते है कि दुनिया का कोई बेटा, जो अपने पिता को बहुत चाहता हैं, वह अपने पिता का अपमान नहीं देख सकता, अमरनाथ मुंडा बार-बार देख रहे थे कि इन दिनों भाजपा के ही लोग कोई ऐसा मौका नहीं छोड़ रहे थे, जिससे करिया मुंडा का अपमान नहीं होता हो, हाल ही में जो स्टार प्रचारक की जो सूची बनाई गई, उस सूची में भी करिया मुंडा का नाम सम्मानजनक स्थिति में नहीं था, उस सूची को देखकर यही लग रहा था कि करिया मुंडा नाराज न हो, इसको लेकर उन्हें स्थान दे दिया गया हो।

ऐसे भी खूंटी का जो इलाका है, उसमें जो भाजपा के लोग हैं, वे ही खुद किंकर्तव्यविमूढ़ हो गये हैं, क्योंकि इन दिनों जो कल तक कांग्रेस का झंडा ढो रहे थे, वे खुलकर भाजपाई हो गये हैं, और जो भाजपाई थे, वे अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे थे, ऐसे में खुंटी से झामुमो को विजय कैसे मिले, इसका दारोमदार नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन के उपर था, वे बड़ी ही नजदीकी तरीके से सारे मामले को देख रहे थे और उसमें उन्हें तब सफलता मिली, जब भाजपा के दिग्गज नेता करिया मुंडा के बेटे अमरनाथ मुंडा और उनका आमना-सामना हुआ, दोनों ने एक दूसरे का दर्द समझा और झारखण्ड को नई दिशा देने के लिए हाथ मिला लिया।

लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए  कि खूंटी से आज जो नीलकंठ सिंह मुंडा या तोरपा से जो कोचे मुंडा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें इस इलाके में नेता बनाने का काम भाजपा के दिग्गज नेता करिया मुंडा ने ही किया, आज भी करिया मुंडा की भाजपा व संघ के प्रति निष्ठा पर कोई प्रश्न चिह्न नहीं लगा सकता, पर किसी के बेटे को आप जबर्दस्ती अपने खूंटे से नहीं बांध सकते, वह भी तब जब वह देख रहा है कि उसे पग-पग पर उसके पिता को अपमानित किया जा रहा है। ऐसे भी अमरनाथ मुंडा कभी भाजपा के सदस्य नहीं रहे, पर उनकी दिली इच्छा थी कि वे इस बार चुनाव लड़े, पर चूंकि आदर्शवादी राजनीति सिद्धांत पर विश्वास रखनेवाले करिया मुंडा ने कभी भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं से इस संबंध में बातचीत नहीं की कि उनके बेटे को भाजपा से टिकट मिले।

इधर अमरनाथ मुंडा झामुमो में चले गये, जिसका निश्चित ही फायदा झामुमो को मिलेगा, क्योंकि अमरनाथ मुंडा पर करिया मुंडा के बेटे होने का चस्पा लगा है, ऐसे भी पूरी खूंटी का मुंडा समुदाय भाजपा से कुछ ज्यादा ही उखड़ा हुआ हैं, इधर अमरनाथ मुंडा के झामुमो में जाने से निश्चय ही भाजपा को झटका लगेगा, शायद भाजपा के नेताओं को इस बात का अंदाजा है, पर वे इसे स्वीकार कर मानसिक तौर पर झामुमो को माइलेज देना नहीं चाहते, लेकिन इतना तय है कि अमरनाथ और हेमन्त की दोस्ती आदिवासी समुदाय में एक नई राजनीतिक गठजोड़ को जन्म दे चुकी है, जो यह बताने के लिए काफी है कि खूंटी में भाजपा को शुरुआती झटका लग चुका है।