अपनी बात

पासवा के डॉ रामेश्वर उरांव और राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे की मांग पर छात्रों और शिक्षकों के भविष्य को देखते हुए शिक्षा सचिव ने 15 जनवरी तक ऑनलाइन मान्यता के प्रावधानों को तत्काल प्रभाव से किया निरस्त

पासवा (प्राइवेट स्कूल्स एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन) का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल, मुख्य संरक्षक डॉ. रामेश्वर उरांव एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे के नेतृत्व में निजी विद्यालयों की मान्यता से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए राज्य के शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह से प्रोजेक्ट बिल्डिंग में मिला एवं ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में सभी ने भूमि बाध्यता कानून को निरस्त करने की मांग कर डाली।

शिक्षा सचिव को ज्ञापन सौंपते हुए प्रतिनिधिमंडल में शामिल पासवा के मुख्य संरक्षक डॉ रामेश्वर उरांव ने 2019 में रघुवर सरकार द्वारा निजी विद्यालयों की मान्यता के लिए निर्धारित भूमि बाध्यता कानून को निरस्त करने की मांग की। उन्होंने कहा कि निजी विद्यालयों के लिए जमीन बढ़ाना या कमरे का साइज बदलना संभव नहीं हैं, इसलिये मान्यता के शर्तों को को बदले सरकार।

इसके साथ ही पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दुबे ने जोड़ देकर कहा कि 2009 के मूल आरटीई (शिक्षा का अधिकार) कानून के तहत निजी विद्यालयों को मान्यता दी जाए। शिक्षा सचिव को बताया गया कक्षा 8 तक के लिए कहीं भी जमीन के बाध्यता नहीं रखी गई है, मूल आरटीई में सर्वकालिक भवन की बात की गई है जिसमें सर्दी, गर्मी बरसात में बच्चे पढ़ाई कर सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि 2009 के आरटीई कानून के अलावा दूसरा कोई कानून झारखंड के निजी विद्यालयों को स्वीकार नहीं

मान्यता प्रक्रिया को सरल बनाने की अपील

प्रतिनिधिमंडल ने यूडाईस के लिए पोर्टल खोलने की अपील भी की, जिससे मान्यता प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हो सके। इस पर शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने आश्वासन दिया कि मान्यता से जुड़े सभी मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 15 जनवरी तक मान्यता के लिए ऑनलाइन आवेदन का दिया गया आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है। शिक्षा सचिव ने आगे कहा कि भूमि बाध्यता से जुड़ी समस्याओं पर 10 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाएगा। इस निर्णय से पहले पासवा के पदाधिकारियों के साथ भी चर्चा की जाएगी।

छात्रों और शिक्षकों का भविष्य संकट में

बैठक में पूर्व वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि गैर-मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों को मान्यता नहीं दी गई तो 30 लाख से अधिक छात्रों का भविष्य अंधकार में पड़ जाएगा। इससे लाखों शिक्षक और कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे और इनसे जुड़े छोटे-बड़े कारोबारी भी प्रभावित होंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने यूडाईस पोर्टल खोलने की भी मांग रखी, जिससे मान्यता प्रक्रिया को गति और पारदर्शिता मिल सके।

उन्होंने सरकार से अपील की कि इस मुद्दे पर शीघ्र निर्णय लिया जाए, ताकि शिक्षा व्यवस्था बाधित न हो। शिक्षा सचिव ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि सभी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि निजी विद्यालयों की मान्यता प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। प्रतिनिधि मंडल में रांची महानगर पासवा अध्यक्ष डॉ सुषमा केरकेट्टा, प्रदेश पासवा के संजय प्रसाद, रूपेश कुमार, मनोज कुमार भट्ट, मेहुल दुबे, डॉक्टर अनु, ममता देवी, नीतू कुमारी, हजारीबाग जिला अध्यक्ष मींकू प्रसाद शामिल थे।

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