राजनीति

कृष्णा अग्रवाल ने सांसद पीएन सिंह व MLA राज सिन्हा के खिलाफ दिया बयान या तो ये अपराधियों से डरे हुए हैं या मिले हुए हैं, ऐसा लग रहा है कि ये सरकारी दल के जनप्रतिनिधि हैं

धनबाद के अतिप्रतिष्ठित सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता तथा पिछले दिनों स्वयं भाजपा से अलग होकर एकला चलो के नारे के साथ आगे बढ़ने की सोच रखनेवाले कृष्णा अग्रवाल ने आज भाजपाई जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आखिर आग उगल ही दिया। एक तरह से कहा जाये तो यह आग केवल कृष्णा अग्रवाल की नहीं, बल्कि उस प्रत्येक धनबादवासियों की हैं, जो फिलहाल धनबाद में चल रही रंगबाजी, गुंडागर्दी व आतंक से त्रस्त हैं।

कृष्णा अग्रवाल ने एक तरह से ठीक ही कहा है कि जिले में बढ़ते अपराध व ध्वस्त कानून व्यवस्था के खिलाफ धनबाद के भाजपा सांसद पशुपतिनाथ सिंह व धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा की चुप्पी बहुत कुछ कह दे रही है। कृष्णा अग्रवाल ने तो साफ कहा कि या तो ये जनप्रतिनिधि डरे हुए हैं या उनसे मिले हुए हैं। कृष्णा अग्रवाल की यह टिप्पणी पूरे धनबाद ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया है।

कृष्णा अग्रवाल ने विद्रोही24 से बातचीत में कहा कि पिछले कई महीनों से धनबाद शहर में बढ़ते अपराध, रंगदारी की घटनाओं के खिलाफ जनप्रतिनिधियों की रहस्यमय चुप्पी यह बताने को काफी है कि या तो वो डरे हुए है या मिले हुए है। गिरती विधि व्यवस्था एवं बढ़ते आपराधिक घटनाओं पर विपक्षी दल के सांसद एवं विधायक होने के नाते उनका जो आक्रामक तेवर सरकार एवं स्थानीय पुलिस प्रशासन के खिलाफ होना चाहिए वो बिल्कुल नगण्य है। ऐसा लगता है मानो वो भी सरकारी दल के जनप्रतिनिधि है।

धनबाद कोयलांचल में तो कोयला चोरी आम बात है और यहां कोयला चोरी वर्षों पुरानी परम्परा रही है चाहे सरकार किसी भी दल की रही हो फर्क सिर्फ इतना है कि पहले पर्दे के पीछे से हुआ करती थी और अब खुलेआम जिसको जितना दम हो, क्षमता हो वो कोयला तस्करी के कार्यों में संलिप्त है और अपने सभी जनप्रतिनिधि भी मौन होकर मदमस्त है। कोयलांचल में माल महाराज का (केंद्र सरकार) ओर मिर्जा (जनप्रतिनिधि) खेले होली वाली कहावत पूर्णतः चरितार्थ है।

ऐसा लगता है कि धनबाद लोकसभा के वर्तमान सांसद ये समझ या मान चुके है कि अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी किसी नए उम्मीदवार को अपना प्रत्याशी बनाएगी, उनकी चुप्पी तो इस बात का भी संकेत है। बढ़ती उम्र एवं चला चली की बेला में वो अपने आपको स्थिर या ये कहे कि अलग-थलग कर बीते हुए कार्यकाल को शांतिपूर्वक एवं निर्विवादित रूप से पूर्ण करना चाहते है।

आश्चर्य जनक बात तो यह है कि धनबाद शहर के विधायक जो क्षेत्र के साथ साथ सोशल मीडिया से लेकर हर जगह अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवाते हैं और अपने आपको धनबाद का अगला स्वयंभू सांसद भी मान बैठे है, धनबाद में ध्वस्त कानून व्यवस्था, बढ़ती आपराधिक घटनाएं, व्यापारियों की पिटाई, व्यापारियों से रंगदारी वसूली,व्यापारियों पर गोली चलाने जैसी गंभीर घटनाओं पर उनकी प्रतिक्रिया सिर्फ रश्म अदायगी भर है।

कहीं ऐसा तो नही माननीय जी का पिछले चुनाव जीतने के बाद अहंकार के तौर पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ वक्तव्य दिया जिसकी गूंज दिल्ली दरबार तक है। पूरे देश भर में जनसंघ के स्थापना काल से ही व्यापारी वर्ग भाजपा का मूल मतदाता रहा है।आज जब व्यापारियों पर चौतरफा संकट मंडरा रहा है, उस समय व्यापार कारोबार की बात तो छोड़िए बल्कि जान बचाना भी मुश्किल हो रहा है ऐसी विकट परिस्थिति में भी यदि अपने जनप्रतिनिधि शासन सत्ता पे दबाब बनाने में विफल साबित हुए तब मजबूरन व्यापारी वर्ग एवं आम जनता अपनी जान हथेली पर रखकर सुरक्षा की गुहार लगाने को मजबूर हुए।