कभी लालू ने कहा था 20 वर्ष तक कोई हिला नहीं सकता, अब सुप्रियो को भरोसा 50 साल तक भाजपा सत्ता में नहीं आनेवाली, मतलब समझते रहिये!
पचास वर्ष तक भाजपा झारखण्ड में अब नहीं आनेवाली मतलब पचास वर्षों तक झामुमो का शासन रहेगा, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पचास वर्षों तक झारखण्ड के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान रहेंगे, कोई हटा नहीं पायेगा, और जो हटायेगा वो कितना महान होगा, समझते रहिये, पर वो कौन होगा? इसका जवाब भविष्य के गर्भ में हैं। शायद यही सोचकर आज झामुमो के केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रेस कांफ्रेस में यह बातें कह दी कि पचास वर्षों तक भाजपा नहीं आनेवाली।
हालांकि संदर्भ कुछ और था। सुप्रियो भट्टाचार्य बाबू लाल मरांडी पर बरस रहे थे, पर अदाएं शिक्षकों वाली थी। संवाददाताओं से भी बात रखने पर उनका ज्ञान शिक्षकों वाला ही था और संवाददाता प्रिय शिष्यों की तरह उनकी बातें सुन रहे थे, तथा अपनी जिज्ञासाओं का निवारण कर रहे थे, दरअसल सच्चाई यही है कि रांची में कोई ऐसा पत्रकार अब नहीं रहा, जो सीधे सवाल पूछ सकें, जिस सवाल से नेता की बोलती बंद हो जाये, इसलिए दबी जबां से सवालों का पूछना जारी रहा और सुप्रियो गरजते रहे।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रेस कांफ्रेस की शुरुआत में ही बाबू लाल मरांडी यानी राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री को मानसिक अवसाद से ग्रस्त बता दिया, साथ की कह दिया कि टीएसी में कुछ भी अंसवैधानिक नहीं हैं, और अगर अंसवैधानिक होता तो राज्यपाल की स्वीकृति ही नहीं मिलती, संवाददाता भी चुप्पी लगा गये।
क्योंकि किसी ने ये नहीं पूछा कि इस टीएसी की नियमावली बनाने में लगे आदिवासी मामलों के जानकार प्रेमचंद मुर्मू ने ये क्यों कहा कि उन्होंने जो पहली बार बैठक में हिस्सा लिया था, तो उसके पहले ही नियमावली बनकर तैयार थी, जबकि नियमावली तैयार करने में उनका भी नाम था, और उन्होंने खुद भी इस पर अंगूलियां उठाई है, दरअसल ये पूछेगा कौन? वही पूछेगा जो जानकारी रखेगा, नहीं तो करेगा क्या? प्रेस कांफ्रेस में बूम-कलम और मोबाइल लेकर जायेगा, और घूमकर चला आयेगा।
बाबू लाल मरांडी द्वारा ये पूछे जाने पर कि इसमें कोई महिला नहीं हैं, सुप्रियो ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन की बहू का नाम बता दिया, अरे भाई तब तो ऐसा करिये कि टीएसी में सारे परिवारों को ही रख लीजिये, क्योंकि परिवार के सारे सदस्य भी तो आदिवासी ही है। अरे थोड़ा दिल बड़ा कीजिये, और भी आदिवासी महिलाएं हैं, उन्हें स्थान दीजिये, ये क्या हर चीज में टिकट लेने से लेकर पदों तक आप अपने ही लोगों से स्थान भरेंगे तो ऐसा थोड़े ही है कि जैसा आपने कह दिया कि पचास साल तक आप रहेंगे तो आप रह ही जाइयेगा, ऐसा नहीं होता है, भाई।
बाबू लाल मरांडी पर बेशक आप कुछ बातों के लिए बरस सकते है, पर कुछ नैतिकता आपको भी रखनी होगी, हर जगह आदिवासी का मतलब अपना ही परिवार नहीं होता, इसे याद रखना पड़ेगा, नहीं तो लालू यादव 50 साल की बात नहीं करते थे, वो तो मात्र 20 साल की बात करते थे, और उनके साथ क्या हो गया, वो तो सुप्रियो भट्टाचार्य भी जानते होंगे, इसलिए पचास साल आदि पर बयान देने से बचना चाहिए।
नहीं, तो भगवान नाराज हो गये तो सुप्रियो दा लेने के देने पड़ जायेंगे, फिलहाल झारखण्ड का युवा गुस्सा है, उसे नौकरी चाहिए, उसको टीएसी से कोई मतलब नहीं और न नेताओं के भाषण से। उसे तो केवल ये याद है कि इस साल को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने नियुक्ति वर्ष घोषित किया है, और छह महीने बीतने को आये, छह महीने बाकी है, और जो लक्षण है, वो ठीक नहीं दिख रहे, नौकरी मिल नहीं रही, बल्कि जा रही है, ऐसे में अब कुछ भी बोलने से सत्ता पक्ष को सोचना होगा, नहीं तो आप अपनी व्यवस्था कर लें और दूसरों को ईश्वरीय हाल पर छोड़ेंगे तो दिक्कत होगा, क्योंकि पहले पांच लिखाता है, उसके बाद शून्य तब जाकर पचास होता है।