तेज प्रताप प्रकरण पर लालू प्रसाद का परिवार ‘घर फूटे गवांर लूटे’ लोकोक्ति का शिकार
फिलहाल पूरे देश में जो प्रमुख राजनीतिक दल हैं, वे आसन्न लोकसभा चुनाव को लेकर, अभी से ही जोर-आजमाइश में लगे हैं, अपने प्रतिद्वंदियों को पटकनी देने के लिए नाना प्रकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए राजनीतिक पैतरें ढूंढ रहे हैं, इधर स्वयं बिहार में भाजपा और जदयू ने अपनी सारी वैचारिक मतभेदों को भूलाकर, बिहार में लालू प्रसाद की पार्टी राजद के खिलाफ सशक्त मोर्चाबंदी कर दी हैं, पर बिहार में एक ताकत रखनेवाली लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल इन सबसे दूर अपने पारिवारिक विवादों को सुलझाने में ही बुरी तरह फंस चुकी है।
लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप ने लालू प्रसाद की नींद उड़ा दी है, राजद के चाहनेवालों, उनके कार्यकर्ताओं को लगा था कि तेज प्रताप रांची में जैसे ही लालू प्रसाद से मिलेंगे, सारा पारिवारिक विवाद समाप्त हो जायेगा, लेकिन लालू प्रसाद के पास घंटों बिताने के बाद भी तेज प्रताप के तेवर ढीले नहीं पड़े, लालू प्रसाद से मिलकर निकलने के बाद भी संवाददाताओं से बातचीत में तेजप्रताप ने साफ कहा कि वे अब बंधन में बंध के नहीं रहनेवाले हैं, साथ ही कहा कि हम घूटन में नहीं जियेंगे।
इधर तेज प्रताप – ऐश्वर्या मामले में मीडिया की जग रही रुचि पर लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी कुछ खफा नजर आये, और उधर इस पूरे मामले में राजद के संकटमोचन हनुमान, रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस मामले को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जोड़ने की कोशिश की और बात उनकी इंदिरा गांधी तक पहुंच गई, उन्होंने तो ये भी कह दिया कि पारिवारिक विवाद रहने के बावजूद श्रीमती इंदिरा गांधी एक सफल प्रधानमंत्री थी, भाई रघुवंश प्रसाद सिंह जी, आप अपनी गड़बड़ियों को दूसरे के पैबंद के सहारे जो ढकने का काम कर रहे हैं, उससे कोई फायदा नहीं, आप लाख बोल लें, फिलहाल लालू प्रसाद यादव के परिवार के लिए तो ये लोकोक्तियां फिट बैठ रही हैं, पहला ‘घर फूटे गवांर लूटे’ और दूसरा ‘पूत सपूत त का धन संचै और पूत कपूत त का धन संचै’।
तेज प्रताप – ऐश्वर्य प्रकरण ने लालू प्रसाद को कहीं का नहीं छोड़ा और न ही उनके परिवार को छोड़ा है, राजद का जो नुकसान हो रहा है, वो तो अलग ही है, क्योंकि ये मामला जितना खींचेगा, उतना ही नुकसान ही होगा, क्योंकि राजद विरोधियों को एक बैठे, बैठाये, बोलने को मौका मिलेगा, वो इसका राजनीतिक माइलेज उठायेंगे, हो सकता है, वे बोले कि जो अपना परिवार नहीं ठीक से चला पाया, वो राज्य को क्या दिशा देगा? क्योंकि आजकल राजनीति में चरित्र और शुचिता का तो कोई स्थान रहा नहीं, इसलिए आनेवाले समय में आप स्वयं सोच लीजिये कि क्या होनेवाला है, अच्छा रहेगा, ये मामला जितना जल्दी हो सलट जाये।
ऐसे भी बिहार के लोग इन सभी मामलों में संवेदनशील होते है, और जो राजद का वोटर है, वो तो इसमें और ज्यादा संवेदनशील है, पति-पत्नी के बीच मनमुटाव, जगजाहिर है, पर इस कदर की मात्र पांच महीने में ही बात तलाक तक पहुंच जाये और तेज प्रताप खुद कहे कि उनकी मर्जी के बगैर जबर्दस्ती शादी कर दी गई, ऐश्वर्या उनकी राधा नहीं है, तो लगता है कि आप समझ नही रहे या न समझने की नाटक कर रहे हैं।
दुनिया का कोई भी पिता अपने बेटे-बेटियों की शादी के लिए कई सपने देखता है, और जब बेटे-बेटियों की शादी होती है, तो वह फूला नही समाता, जो पिता होता है, इस बात को समझता है, लालू प्रसाद यादव अपने बेटे-बेटियों से कितना प्यार करते हैं, ये पूरा बिहार ही नहीं, देश जानता है, साथ ही उनके विरोधी भी जानते हैं, क्योंकि जो अदालत में मामले चल रहे हैं, और जिसको लेकर वे सजा काट रहे हैं, ये सब लालू प्रसाद यादव ने किसके लिए किया है? जाहिर हैं, अपने लिये तो किया नहीं होगा, जो भी किया होगा, अपने बच्चों के लिए।
पहली बार जेल जाने के बाद, बिहार की राजगद्दी पत्नी को सौंप देना, पिछले लोकसभा चुनाव में मीसा को पाटलिपुत्र संसदीय सीट से चुनाव लड़ाने की बात करना, अपने दोनों बेटों को विधायक बनवाना और मंत्री पद दिलवाना, ये क्या बताता है? स्पष्ट है कि लालू प्रसाद की प्राथमिकता में परिवार और उनके बेटे-बेटियां रही है, और जब उनके बेटे ही उनकी इज्जत का फलूदा निकालने को तैयार हो, तो लालू प्रसाद यादव के हृदय को कितना चोट पहुंचा होगा, समझा जा सकता है।
निःसंदेह ऐश्वर्या के परिवार वाले भी इस समाचार को सुनकर आश्चर्य में पड़े होंगे, क्योंकि उनका परिवार भी कोई सामान्य परिवार नहीं हैं, और न उनका परिवार चाहेगा, कि उनके घर का कोई सदस्य तलाक का शिकार हो, पर जिस प्रकार से तेज प्रताप ने बात अदालत तक पहुंचा दी, इसे लेकर दोनों परिवार सकते में हैं, तथा सकते में है, वे राजद कार्यकर्ता जो दिल से लालू प्रसाद और राष्ट्रीय जनता दल को अपना मानते है।
ऐसे भी तेज प्रताप अभी कृष्ण बनकर वृंदावन और मथुरा में घूम रहे थे, तो वे राधा की बात करने लगे हैं, और कह रहे है कि चूंकि वे कृष्ण है, इसलिए उन्हें राधा चाहिए, और ऐश्वर्या उनकी राधा नहीं है, कभी तेज प्रताप वैद्यनाथधाम भोलेनाथ का रुप धर कर पहुंच गये थे, ऐसे में अच्छा हुआ कि ये मामला उस वक्त नहीं आया, नहीं तो वे यह भी कह सकते थे कि वे तो भोलेनाथ है, और उनकी पत्नी ऐश्वर्या पार्वती नहीं है।
भाई, तेज प्रताप खुद संभलिये, और परिवार को संभालिये, लालू प्रसाद यादव पर थोड़ा रहम कीजिये, और रहम कीजिये अपने राजद कार्यकर्ताओं पर, नहीं तो बिहार की 40 की 40 लोकसभा सीट आनेवाले समय में आपलोग खो दीजियेगा, और फिर राधा-कृष्ण का खेल आराम से खेलते रहियेगा, क्योंकि फिर इसका मजा आपके प्रतिद्वंदी लोग लेंगे, अब आपकी मर्जी सम्भलना है तो सम्भलिये, नहीं तो लालू प्रसाद ने जो कर्म किये हैं, उनका फल तो लालू प्रसाद को ही भोगना है, और अब ये कैसे भोंगेगे और कौन भोगवायेगा, वो तो सामने ही दीख रहा है।