ले लोट्टा, यहां तो सांसद का फोन मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव ही नहीं उठाता है
विपक्षी दल को छोड़िये भाई, कहने को तो सभी कहेंगे कि वे तो विपक्षी दल के लोग हैं, उनका काम ही हैं, सरकार की बखियां उधेड़ना, पर यहां तो हद हो गई, यहां भाजपा का कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि यहां तो भाजपा का सांसद भी अपनी किस्मत पर रोता हैं, क्योंकि उसका फोन मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव तक नहीं उठाता हैं, क्या हाल हो गया बेचारे सांसद का।
ये सांसद हैं, पशुपति नाथ सिंह, बेचारे के इलाके में पानी-बिजली का घोर संकट उत्पन्न हो गया हैं, चूंकि वे धनबाद के सांसद हैं, केन्द्र व राज्य ही नहीं, बल्कि नगर निगम में भी उनकी सरकार हैं, इसलिए लोग अपना दर्द लेकर उनके दरबार में पहुंचते हैं, ये भी जहां तक हो सकता हैं, मदद करने के लिए हाथ-पांव मारते हैं, पर इनका कोई अधिकारी सुनता ही नहीं हैं, बेचारे जब अपना दर्द मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को बताने की कोशिश करते हैं, तब वे भी उनका फोन नहीं उठाते, जबकि सांसद बीसियों बार उनको फोन कर चुके हैं, क्या कोई भी जिम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति, जिसके पास बार-बार एक ही नंबर से फोन आये, वो स्वयं खुद से पता लगाने की कोशिश नहीं करेगा कि ये फोन नंबर किसका हैं?
शायद यहीं कारण है कि धनबाद के भाजपा कार्यकर्ता रणविजय सिंह इन दिनों मुख्यमंत्री रघुवर दास से कुछ ज्यादा ही नाराज हैं, तभी तो उन्होंने एक नारा बना दिया, जरा नारा सुनिये, जो वर्तमान हालात पर ही केन्द्रित हैं…
पशुपतिनाथ या कड़िया मुंडा
शासक पर भारी दलाल या गुंडा
जब सत्ता का सांसद हो लाचार
तो राज्य का शासक है बेकार
अर्थात, केवल धनबाद के सांसद पशुपतिनाथ सिंह ही नहीं, बल्कि खूंटी के सांसद कड़िया मुंडा के हालात भी बहुत खराब है, क्योंकि शासक पर चाहे तो दलालों का कब्जा है, या गुंडों का, ऐसे में जब सत्तादल में शामिल सांसद ही लाचार हो जायेंगे तो इसका मतलब है कि राज्य का शासक यानी मुख्यमंत्री रघुवर दास बेकार हैं। सच्चाई यह है कि पूरे राज्य में बिजली की स्थिति बहुत ही खराब है, सर्वाधिक दयनीय स्थिति धनबाद, गोड्डा, बोकारो, पलामू, गढ़वा और संताल परगना के इलाकों की हैं। जब बिजली नहीं तो पेयजल व्यवस्था भी ठप, कानून –व्यवस्था का तो हाल ही बुरा, जब यहां पुलिस का जवान ही किडनैप हो जाता है, तो सामान्य आदमी की औकात क्या?
ऐसे भी कुछ दिन पूर्व भाजपा सांसद पशुपति नाथ सिंह का संवाददाता सम्मेलन में दर्द छलका था, उन्होंने कहा कि अधिकारी उनकी नहीं सुनते, और वे गाली सुनते हैं। उन्होनें धनबाद में बिजली-पानी संकट के लिए यहां के नौकरशाह को जिम्मेवार माना। अब इसी से पता लग जाता है कि जहां, जो पार्टी का शासन चल रहा हो, और वहां का सांसद यह कहें कि अधिकारी हमारी बात नहीं सुनते और मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव, फोन उठाने से मना कर दें तो इसका मतलब है कि नारकीय स्थिति हैं।
आश्चर्य इस बात की भी है कि बात-बात पर अन्य छोटे अधिकारियों पर आग-बबूला होने वाले राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास के सामने सांसद पशुपतिनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के इस हरकत के बारे में शिकायत की, पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आग-बबूला न होकर, स्वयं किंकर्तव्यविमूढ़ हो गये। अब आप समझिये कि जहां के भाजपा सांसद और भाजपा कार्यकर्ताओं की कोई नहीं सुनता, आम जनता का क्या सुनेगा?