दुर्गा पंडाल में बिना नेता जी के चरण आये, भला महाशक्ति की पूजा कैसे प्रारंभ होगी?
शारदीय नवरात्र का महीना चल रहा है। हमेशा की तरह रांची में बड़े-बड़े विशाल पंडाल बनाये गये हैं। इन पंडालों के निर्माण में विभिन्न पूजा समितियां करोड़ों रुपये फूंक चुकी हैं। पंडालों और प्रतिमाओं के निर्माण में करोड़ों रुपये फूंकनेवाली पूजा समितियां, इन पंडालों तथा प्रतिमाओं की सुरक्षा के लिए फायर फाइटिंग का इंतजाम तक नहीं की हैं, गर कोई दुर्घटना घट गई और आप उसके शिकार हो गये, तो ये आपकी समस्या है, सरकार या पूजा समितियां कह सकती हैं कि आपको किसने कहा था – दुर्गापूजा के अवसर पर विभिन्न पंडालों में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमाओं के दर्शन करने को।
आश्चर्य की बात है कि जिस महाशक्ति से सारा जगत व्याप्त हैं, जिनके नाम पर इतना तामझाम इनलोगों ने खड़ा किया। उसी महाशक्ति को स्वयं पूजा समितियां भी कुछ नहीं समझती। उसी महाशक्ति की महाप्रतिमाओं के सामने ये नेताओं को लाकर खड़ा कर देते हैं, और उनसे पंडाल का उद्घाटन करवाते हैं, नेताओं के इस कृत्य पर तालियां बजाते हैं, भला महाशक्ति के दरबार का उद्घाटन नेता करेंगे, ये सोचने की बात है।
जब मानसिकता ही बदल जाती है, जब हम महाशक्ति को सिर्फ प्रतिमा मान लेते हैं और जब यह मन में ये स्वीकार कर लेते हैं कि ये सिर्फ आनन्दोत्सव व पैसा फूंकने का आयोजन हैं तो फिर यहीं सब होता है, जो हम देख रहे होते हैं। नेताजी भी बदन ऐठते हैं, और थोड़ा एक-दो घंटा लेट से पहुंचते हैं, नेताजी को देखते ही आयोजन समितियों के सदस्य बदन ठीक करते हैं, पोशाक ठीक करते हैं, और नेताजी के साथ सेल्फी लेने का कार्यक्रम प्रारंभ हो जाता है। दूसरी तरफ इस खेल को महाशक्ति देख रही होती है। वह देख रही होती हैं और मन ही मन कहती हैं कि यह महाशक्ति की पूजा कर रहा है, या नेताओं की।
कल विभिन्न पूजा पंडालों में यहीं चल रहा था। कोई पूजा समितियां महाशक्ति के सामने अपने प्रिय नेता सुदेश महतो के आगे, तो कोई पूजा समितियां प्रतिपक्ष के नेता हेमन्त सोरेन के आगे तो कोई नगर विकास मंत्री सी पी सिंह के आगे झकझूमर गा रही थीं। इन पूजा समितियों के सदस्यों के मन में तनिक भी महाशक्ति के प्रति कोई भी सुंदर भाव नजर नहीं आ रहा था, सभी अपने प्रिय नेता के आगे नतमस्तक और उनके साथ सेल्फी लेने में मस्त थे, पर किसी के मुख से महाशक्ति की जय के बोल नहीं निकल रहे थे और न ही इच्छा थी महाशक्ति के सामने दो मिनट ध्यान लगाने की, शायद उन्हें लग रहा था कि कहीं ऐसा नहीं कि इधर दो मिनट ध्यान लगाये और उधर नेताजी पंडाल से निकल जाये। ऐसी हैं भक्ति, हमारे पूजा समितियों के सदस्यों और हमारे नेता जी की।