पहले ढंग के अपने बेटे-बेटियां तो पैदा करना सीख लो नेताओं, फिर सैनिकों के बारे में अल-बल बोलते रहना
आज अखबारों में पढ़ा कि कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी का कहना है कि “जिन्हें दो वक्त का खाना नहीं मिलता है, वहीं सेना में जाते हैं।” जिसको लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बहुत ही आक्रोशित है, और उन्होंने कर्नाटक के गंगावती में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि “सेना का अपमान करनेवालों डूब मरो, सैनिकों को वे नहीं समझ सकते।” कभी ऐसा ही विवादित बयान बिहार के बड़े जदयू नेता और नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रह चुके भीम सिंह ने वर्ष 2013 में बिहार के पांच सैनिकों के सीमा पर शहीद होने पर कहा था कि “सैनिक तो मरने के लिए होते हैं।”
जिस पर नरेन्द्र मोदी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पटना के गांधी मैदान में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था उन्हें शर्म आती है कि ऐसे-ऐसे नेता बिहार में हैं, जिनकी इतनी घटिया स्तर की सोच है, और बाद में यहीं भीम सिंह 2015 में भाजपा में शामिल भी हो गये और उनके वे सारे पूर्व के पाप धूल गये, जो उन्होंने 2013 में उक्त घटिया स्तर के बयान देने के बाद किये थे।
जो सेना में जाते हैं, या जिनके बच्चे सैनिक बनकर देश के अंदर छुपे गद्दारों और बाहर के दुश्मनों से लोहा लेते हैं, ऐसा नहीं कि वे नहीं जानते कि उनके नेता कितने अच्छे हैं और वे किस प्रकार की हरकते करते रहते हैं, वे खूब जानते है कि उनके नेता ही देश के अंदर नक्सलियों से बेहतर रिश्ते रखते हैं, ताकि ये नक्सली चुनाव के समय उनकी खूब मदद कर सकें तथा ग्रामीणों को भय दिखाकर, उनके लिए वोट बैंक बनाने का काम करें तथा देश से लूटे हुए पैसे को संग्रह कर, उनके हित के लिए उन पैसों का समय आने पर सदुपयोग कर सकें।
जो सेना में जाते हैं, या जिनके बच्चे सैनिक बनकर देश के अंदर छुपे गद्दारों और बाहर के दुश्मनों से लड़ रहे हैं, वे खूब जानते है कि उनके नेता किस प्रकार से विदेशी ताकतों के हाथों खेलते हैं और अपने बेटे-बेटियों, पत्नियों, प्रेमिकाओं के लिए धन इकट्ठे कर, यहां के पूंजीपतियों को वो सारा धन सुपूर्द करते हैं, तथा ये पूंजीपति उन पैसों का विदेशी बैंकों में सही तरीके से ठिकाने लगा देते हैं, ताकि इनके परिवार और बड़ी संख्या में बनी नई-पुरानी प्रेमिकाओं का इन पैसों से भरण-पोषण हो सकें।
ये सैनिक खूब जानते है कि उनके नेता कैसे दूसरे देशों का आर्थिक संवर्द्धन करते हैं, और अपने देश को दीमक की तरह चाट रहे होते हैं, फिर भी चूंकि इनमें से ज्यादातर मध्यमवर्गीय परिवार के होते हैं, जिनकी पहली प्राथमिकता ही देश होती है, अपने देश के लिए तन-मन-धन हर समय अर्पित करने के लिए तैयार रहते हैं। जिसका मजाक हमारे देश के नेता समय-समय पर उड़ाते रहते हैं।
सच पूछिये, तो ज्यादातर इन नेताओं के बेटे-बेटियों पर जरा नजर दौड़ाइयें तो ये आला दर्जे के झंडू, बेसिर-पैर की बातें करनेवाले एक नंबर के घोचूं, महामूर्ख तथा लौंडियाबाज होते हैं, जिनकी जरुरत सेना या अर्द्धसैनिक बलों को नहीं होती, क्योंकि वहां जरुरत होती है, चौड़ी छाती वालों की, वहां जरुरत होती है, जिनके हाथ-पांव सही सलामत हो, जो दस-दस को एक बार में देख लें, भला जिनके बेटे-बेटियों की जन्मते ही आंखों पर चश्मे लग जाये, वह भी मोटे-मोटे, वो क्या देश की रक्षा करेगा, वो तो अपनी प्रेमिका की भी रक्षा नहीं कर सकता, अपने परिवार की रक्षा क्या करेगा, इसलिए आप देखेंगे कि इन नेताओं के परिवारों की रक्षा का भार भी हमारे देश के सैनिकों पर ही होता है, यानी हमारे देश के सैनिक व सेना इनके परिवार और घोंचू टाइप नमूने बेटे-बेटियों को न देखें तो ये बिलबिला के चूहों की मौत मर जाये, पर बोली देखिये तो ये लंगूरों की तरह ही बोलेंगे।
धन्य हैं, हमारे देश के वे लाखों सैनिक व उनके परिवार के लोग जो इन कमीने नेताओं की इस प्रकार की बोलियों को सुनकर भी बगावत नही करते और ईमानदारी से अपने कार्यों में लगे हैं, नहीं तो जिस दिन इन सेना और सैनिकों तथा इनके परिवार का दिमाग घूमा तो ये नेता किस बिल में घुसते हुए नजर आयेंगे, शायद इन्हें पता नहीं और हमें लगता है कि जिस प्रकार से इन नेताओं के बयान आ रहे हैं, जिस दिन भी किसी सैनिक व सेना के लोगों का दिमाग घुमा तो यकीन मानिये, ये नेता बयान देने के पहले, अपनी प्रेमिकाओं के आंचल में छुपते हुए नजर आयेंगे।
हद हो गई, पहले अपने प्रेमिकाओं के लिए देश को बर्बाद किया, फिर समाज को तोड़ा, जाति-धर्म की आग लगाकर पूरे देश को जहन्नूम बना डाला और अब सैनिकों तथा सेनाओं पर अपनी घृणा के बीज बोने शुरु कर दिये, अच्छा रहेगा कि ये नेता अपनी जूबां बंद रखें, नहीं तो वो दिन दूर नहीं कि इनके घोंचू और चिरकूट टाइप के बच्चे सेना व सैनिकों के घर के परिवारों के यहां पोछा लगाते नजर आयेंगे।