सीखिये पाक सुप्रीम कोर्ट से, पाकिस्तान में आसिया के पक्ष में फैसला सुनाना इतना भी आसां नहीं था
पूरा पाकिस्तान जल रहा है, पाकिस्तान की सरकार देश में फैले कट्टरपंथियों के जमात द्वारा फैलायी गयी कट्टरपंथी जनाक्रोश को झेलने को मजबूर है। देश के अंदर फैली इस कट्टरपंथी आग से पाकिस्तान को पूरे विश्व में जलालत झेलनी पड़ रही है, आसिया बीबी सुप्रीम कोर्ट से मिली न्याय से खुश है, पर खुद और उसका परिवार देश में फैले उसके खिलाफ जनाक्रोश से डरा हुआ है, और पाकिस्तान छोड़कर किसी दूसरे देश में बस जाना चाहता है।
आसिया बीबी का पाकिस्तान से इतनी आसानी से निकल पाना भी उतना आसान नहीं हैं। पाकिस्तान के जो हालात है, उस हालात तक लाने में वहां के कट्टरपंथियों की जमात ही जिम्मेदार है, और जिम्मेदार वे भी जिन्होंने ऐसी ताकतों को हवा दी, उसमें पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान भी है।
ऐसा नहीं कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि आसिया बीबी के पक्ष में फैसला सुनाये जाने के बाद पाकिस्तान की क्या हालात होगी, पर उन्होंने वहीं सुनाया, जो कानून ने कहा। ये अलग बात है कि उनके इस फैसले से पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों को भारी भय सताने लगा है, और बहुसंख्यक कट्टपंथियों के जमात के इशारे पर वे सब कर रहे हैं, जिसकी इजाजत इस्लाम भी नहीं देता, जैसा कि अपने फैसले के दौरान पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने कहा था।
पर भारत में क्या है? ठीक इसके उलट परिदृश्य दिखाई पड़ता है, यहां सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रामजन्मभूमि मंदिर विवाद की फैसले तो दूर सुनवाई करने से हिचकते हैं, उन्हें और टाइम चाहिए, वे डेट पर डेट मुकर्रर करते जा रहे है, ये डेट मुकर्रर करने की बीमारी कब खत्म होगी, उन्हें भी नहीं पता, क्योंकि सभी को रामजन्मभूमि विवाद की राजनीति का भान है, उन्हें जनता से कोई मतलब नहीं, जबकि रामजन्मभूमि विवाद ने कई वर्षों से दो समुदायों में कटुता के बीज बोता रहा है।
इस कटुता के बीज कितनी जल्द समाप्त हो, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कभी रुचि नहीं दिखाई और न ही यहां के प्रमुख राजनीतिक दलों ने। कई राजनीतिक दलों ने तो न्यायालय की बात सब को माननी होगी, कहकर अपना पिंड छुड़ा लिया, पर भाजपा जो रामजन्मभूमि आंदोलन के नाम पर कई बार सत्ता का स्वाद चखी, उसने भी सत्ता आने पर इस समस्या के समाधान में कभी रुचि नहीं दिखाई, बल्कि सत्ता मिलते ही सत्तासुख भोग रहे इनके नेताओं ने अपने परिवारिक सदस्यों को मनमाफिक जगह पर सेट्ल करने पर ही ज्यादा ध्यान लगाया।
सवाल उठता है कि किसी अनिष्ट की आशंकाओं को देखते हुए हम सत्य बोलना बंद कर देंगे, हम न्याय करना बंद कर देंगे, हम न्याय को लटकाकर रखेंगे, अगर ऐसा ही करना हैं तो फिर न्यायालय की आवश्यकता क्यों? जब न्यायाधीशों को न्याय करने में भय सताने लगे, तो फिर काहे का न्यायाधीश। इनसे अच्छे तो पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश है, जिन्होंने इन सारे भय को धत्ता बताते हुए, वह फैसला सुना दिया, जिसकी कल्पना खासकर पाकिस्तान जैसे कट्टपंथी देशों में नहीं की जा सकती और न सुनी ही जा सकती।
जरा देखिये, फिलहाल पाकिस्तान में हो क्या रहा हैं, पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन के अनुसार, आज आसिया बीबी को लेकर चल रहे देशव्यापी हड़ताल के कारण कराची इंडस्ट्रीज ठप पड़ गया है। कई उद्योगों में मजदूरों के नहीं पहुंच पाने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। कराची के प्रमुख चौक-चौराहे आंदोलनकारियों ने ब्लॉक कर रखे हैं। कराची में जन-जीवन अस्त-व्यस्त है। पाकिस्तान के पंजाब, इस्लामाबाद, रावलपिंडी, लाहौर, गुजरावालां में मोबाइल फोन सिग्नल ठप है।
पंजाब के कई इलाकों से आंदोलनकारियों के गिरफ्तारी की खबर है। आसिया बीबी के भाई का कहना है कि जो देश के हालात है, इस हालात में उसके देश छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नही रह गया है, क्योंकि यहां रहने से उनके जान को खतरा है। पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट द्वारा आसिया बीबी को बरी करने के फैसले के बाद आज पाकिस्तान में आंदोलन का आज तीसरा दिन है, हालांकि सरकार में शामिल लोग दावा कर रहे है कि पाकिस्तान में स्थिति नियंत्रण में हैं, पर ये कही दिख नहीं रहा।
हालांकि इस आंदोलन को हवा दे रहे तहरीक ऐ लबैक के अध्यक्ष खादिम हुसैन से पाकिस्तान सरकार ने बातचीत करने की कोशिश की, पर ये बातचीत का नतीजा कुछ भी नहीं निकला। पूरे पाकिस्तान में शिक्षण संस्थाएं बंद है। ये तो रहे पाकिस्तान के हालात, इधर भारत में क्या हो रहा है? राम मंदिर को लेकर शिवसेना अपनी ही तरह की खास पार्टी भाजपा को कटघरे में खड़ी कर रही है, वह भाजपा से सवाल पूछ रही है, कि भाजपा बताएं कि कहीं राममंदिर भी तो जूमले की श्रेणी में नहीं आ रहा।
भाजपाइयों को लग रहा कि आनेवाला समय उनके लिए ठीक नहीं है, संघ के बड़े-बड़े नेता भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की जा रही टालमटोल पर अपने बयान दे चुके है कि अध्यादेश लाकर या कानून बनाकर, राममंदिर का विवाद सदा के लिए समाप्त कर देना चाहिए, इधर संघ समर्थित भाजपा की कृपा से राज्यसभा पहुंचे राकेश सिन्हा ने राममंदिर को लेकर सदन में प्राइवेट मेंबर बिल लाने की बात कही हैं तो ऐसा लग रहा है कि अब राममंदिर विवाद भी जल्द सुलझ जायेगा, क्योंकि इस विवाद ने भारत की एकता को जितना प्रभावित किया, उतना किसी ने नहीं।
राकेश सिन्हा ने ऐसा कर भाजपा को बचाने तथा विपक्ष को भी अपना रुख स्पष्ट करने की रणनीति बना ली है, इधर योग से पूर्णतः उदयोगपति बन चुके रामदेव ने भी राममंदिर पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, कल तक राममंदिर का विरोध करनेवाले मुलायम सिंह यादव के परिवार से भी राममंदिर निर्माण के पक्ष में बयान सुनने को मिल रहे है, ऐसे में अब नहीं लगता कि ये विवाद अब ज्यादा दिनों तक चल पायेगा, चाहे भारत का सुप्रीम कोर्ट भी बीच में आड़े क्यों न आ जाये।