कही नीतीश कुमार मुहावरा न बन जाये, बिहार की पलटीमार राजनीतिक घटना से भाजपा भी नंगी, इधर जनता खुद को ठगी महसूस कर रही
आप बिहार के नौवें मुख्यमंत्री बन जाइये या आनेवाले समय में दसवें या सौंवे मुख्यमंत्री बन जाइये। अब बिहारवासियों को क्या फर्क पड़ता हैं? फर्क तो आप पर पड़ा है या आनेवाले समय में पड़ेगा, नीतीश जी। कभी दर्पण के सामने खड़ा होकर अपनी अंतरात्मा (अगर आपके अंदर जीवित हो तो) से पूछियेगा कि आप बिहार के राजनीतिज्ञों के इतिहास में कहां खड़े हैं? बिहार में चरित्रवान नेताओं की एक फौज रही है।
डा. राजेन्द्र प्रसाद, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर ऐसे ही नेता रहे हैं, जिन्होंने राजनीति में मर्यादा व गरिमा को बचाये रखा। लेकिन आपने जो राजनीतिक मर्यादाओं का चीरहरण किया हैं। हमें तो डर लगता है कि आनेवाले समय में कही आप मुहावरा न बन जाये। जैसे – नीतीश कुमार होना मतलब परमानेन्ट पलटीमार होना, क्योंकि आपने जो पलटी मारने का इतिहास बनाया है, वो इतिहास शायद ही अब कोई बना पायेगा, वो भी मुख्यमंत्री रहते।
आप पहले मुख्यमंत्री हैं, जिसने मुख्यमंत्री बनने के लिए बार-बार पलटी मारता रहा। आज पूरे देश में एक ही चर्चा है कि आपने जो राजनीतिक पतन की पराकाष्ठा को पार किया है, उस राजनीतिक पतन की पराकाष्ठा को शायद ही कोई पार कर सकें। हमें तो लग रहा है कि आनेवाले समय में शायद ही कोई अपने बेटे का नाम नीतीश कुमार रखें, क्योंकि कोई भी व्यक्ति मेरे विचार से अपने बेटे को पलटू राम का मुहावरा बनते तो नहीं ही देख सकता।
कुछ विद्वानों से हमनें जब इस संबंध में बात की तो उनका कहना था कि अपने समाज का इतना पतन हो चुका है कि शायद लोग आनेवाले समय में अपने बेटे का नाम नीतीश कुमार इसलिए भी रखें कि भले ही लोग उसे पलटू कहें, लेकिन 20 वर्षों तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकार्ड तो आपके ही पास रहा है। परन्तु नैतिक मूल्यों पर विश्वास रखनेवाले तो यही कहेंगे कि महत्वपूर्ण ये नहीं कि कौन कितने दिन जिया, महत्वपूर्ण ये हैं कि वो जितने दिन जिया, कैसे जिया?
ठीक उसी प्रकार कोई व्यक्ति किस पद पर कितने दिनों तक रहा ये महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि महत्वपूर्ण ये है कि उस पद पर पहुंचने के लिए अपनी मर्यादाओं/गरिमाओं का कितना ख्याल रखा? आपने जो मुख्यमंत्री बन रहने के लिए जिस प्रकार से गुलाटी मारी है, उससे तो बिहार का बच्चा-बच्चा शर्म से डूब मर रहा है।
आप लाख लालू प्रसाद और उनके परिवार के लोगों को गाली दें कि वो परिवारवाद के पोषक हैं। चारा घोटाला में लिप्त रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह भी है कि आपके जैसा गुलाटी मार या पलटू राम उनके खानदान में आज तक कोई नहीं हुआ। लालू प्रसाद और उनकी फैमिली ने इस मर्यादा को बनाये रखा, यह भी कम बात नहीं है। अब जब भी इतिहास लिखा जायेगा तो ये कहा जायेगा कि नीतीश भले ही बिहार के मुख्यमंत्री पद पर बने रहे का रिकार्ड बनाया पर लालू प्रसाद ने कभी भी अपनी गरिमा को खूंटी पर नहीं टांगा और न ही उसकी धज्जियां उड़ाई।
आपने तो सदन में कई बार भाजपा और उनके लोगों की धज्जियां उड़ाई और फिर उन्हीं के गोद में बैठकर बड़े प्यार से राजनीति की आइसक्रीम भी खाई। लोग अब जरुर ये सोचेंगे कि आप में क्या देखकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आपको लालू प्रसाद का विकल्प बताकर लालू प्रसाद के सामने खड़ा कर दिया था, जिस पर राज्य की जनता ने मुहर भी लगाई। लेकिन आज वहीं बिहार की जनता आपसे कितनी खुश हैं, वो आपके आगे-पीछे करनेवाले लोग ही बेहतर जान रहे हैं।
आपकी इस गंदी हरकत को समर्थन करनेवाले भाजपाई भी आज नंगे हो चुके हैं। नंगे इस बात को लेकर कि आपने जब मन किया, इन भाजपाइयों की जिनके नेता केन्द्र और राज्य दोनों में हैं, जमकर सदन में और सदन से बाहर इन पर …..। लेकिन ये भाजपाई समझ रहे हैं कि उन्होंने जनहित में आपको अपने कंधे या माथे पर बैठाकर ‘हाथी घोड़ा पालकी जय नीतीश कुमार की’ का नारा लगा रहे हैं।
परन्तु आनेवाले समय में जैसा कि लग रहा है कि बिहारवासियों को भी समझ आ रहा है कि आप सब ने मिलकर उनकी विश्वास का मजाक उड़ाया है। अगर सही में इस बार जनता ने आपको और भाजपा दोनों को ठिकाने लगाने का संकल्प ले लिया तो लेने के देने भी पड़ सकते हैं। पर राजनीतिक पंडितों की मानें, तो जहां की जनता जातिवाद से कभी उपर उठ ही नहीं पाई। उससे बेहतरी के लिए वोट करना भी अपनी मूर्खता को सिद्ध करने के बराबर है।