आइये, रांची के अखबारों में कार्यरत पत्रकारों के साथ ताल से ताल मिलाकर CM रघुवर की स्तुति गाएं
आज सभी अखबारों ने सीएम रघुवर की स्तुति गाई हैं, सभी अखबारों में कार्यरत पत्रकारों/संपादकों ने आम जनता से अपील भी की, कि वे सीएम रघुवर के इस कृत्य से प्रेरणा लें। सचमुच हमारे राज्य के मुख्यमंत्री कितने अच्छे हैं, आज तक ऐसा मुख्यमंत्री तो भारत के किसी राज्य में पैदा ही नहीं हुआ, न भूतो, न भविष्यति, इसलिए सभी आज से ही सीएम रघुवर दास को हृदय में धारण कर, स्वच्छता का व्रत लें।
दरअसल ये कल की घटना है, मुख्यमंत्री रघुवर दास जमशेदपुर में थे। वे परिसदन में टाटा स्टील और टाटा मोटर्स के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने के लिए पहुंचे थे, इसके बाद वे टीएमएच पहुंचे, जहां पोर्टिकों से जैसे ही नीचे उतरे, उन्हें उक्त साफ जगह पर कोई कपड़ें का टूकड़ा मिला और वे उसे खुद उठाकर डस्टबीन में फेंक आये। कमाल है, उनके साथ सुरक्षाकर्मी भी थे, किसी की नजर उस कपड़ें के टुकड़ें पर नहीं पड़ी और सीएम रघुवर दास की नजर पड़ गई और रघुवर दास तो रहे पीएम मोदी भक्त, जैसे हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, जहां जाते हैं और कचड़ा उठाकर डस्टबीन में डालते रहते हैं, इन्होंने भी ऐसा ही किया।
फिर क्या था? सीएम रघुवर दास के साथ चल रहे, उनके विशेष फोटोग्राफर ने धराधर एक से एक पोजवाली फोटो उतार ली और फिर जैसा कि होता है, भाजपा का प्रचार संभाल रहे, लोगों के बीच ये फोटो पहुंचा दी गई। इस फोटो से सीएम रघुवर दास को कितना और कैसे माइलेज मिले, इस पर दिमाग लगाया गया, पहले भाजपा कार्यकर्ताओं तक इस फोटो को पहुंचाया गया, भाजपा कार्यकर्ताओं ने श्रीराम भक्त हनुमान की तरह सीएम रघुवर दास के प्रति भक्ति दिखाई और उसे सोशल साइट पर वायरल कर दिया।
फोटो वायरल होते ही, जहां सीएम रघुवर भक्त थे, वहां सीएम की जय-जय होने लगी और जहां उनके विरोधी थे, इस फोटो पर सवाल उठाने लगे, पर जो न्यूट्रल थे, उनका कहना था कि सीएम रघुवर दास को इस प्रकार की सस्ती लोकप्रियता से बचना चाहिए, एक राजनीतिज्ञ ने कहा कि सीएम को टीएमएच पोर्टिकों में, जहां साफ-सफाई चौक-चौबंद रहता है, वहां उन्हें गंदगी दिख गई, जबकि वहां गंदगी थी ही नहीं और जमशेदपुर से रांची आने या जमशेदपुर परिसदन/टीएमएच के पोर्टिकों से ही उनके जमशेदपुर स्थित आवास तक पहुंचने में गंदगी नहीं दिखती।
कुछ लोगों का कहना था कि हमने यहां जो सरकार बनाई है, वो इसलिए नहीं बनाई कि उसका मुख्यमंत्री सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए साफ पोर्टिकों में कपड़े का टुकड़ा बिनता रहे और उसकी फोटो खींचवाकर सोशल साइट पर वायरल करवायें तथा अखबारों और चैनलों में अपनी वाह-वाही लूटवाए, हमने वोट इसलिए दिया कि सरकार कुछ काम करें, चार साल बीतने को आये अगले साल नवम्बर में तो झारखण्ड में विधानसभा के चुनाव की तिथियों की घोषणा हो जायेगी, इसलिए सरकार गांठ बांध लें क्योंकि हमलोग आनेवाले विधानसभा चुनाव में ऐसा सफाई अभियान चलायेंगे कि जनाब कपड़ें के टुकड़े बिनने लायक भी नहीं रहेंगे।
कुछ लोगों ने आज के अखबारों द्वारा इस बेकार की न्यूज को प्रमुखता देने तथा सीएम रघुवर दास की भक्ति में लीन होने को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उनका कहना था कि क्या अब अखबारों का यहीं काम रह गया कि वे रघुवर स्तुति गाये, अगर यहीं है तो वे पत्रकारिता छोड़ें और झाल-करताल लेकर जैसे हरे राम संकीर्तण होता है, वैसे ही सीएम रघुवर संकीर्तण में जुट जाये। उनका ये भी कहना था कि अखबारों में छप रहे इस प्रकार के समाचार से, जनता सब जान चुकी है, कि ऐसा क्यों किया जा रहा है? फिलहाल तो जनता की नजरों से नेता गिरे हैं, आनेवाले समय में देखियेगा कि पत्रकार भी गिरेंगे और उनकी इज्जत दो कौड़ी की हो जायेगी।
क्या जनता इतनी मूर्ख है कि जिस राज्य में पहले से साफ जगहों पर झाड़ू चलानेवाले नेताओं की एक शृंखला बन चुकी है, वहां इस प्रकार के ढोंग से जनता अच्छी तरह से वाकिफ हो चुकी है, कि ये सब काम किसलिए करवाये जाते हैं? रांची से प्रकाशित हिन्दुस्तान ने पृष्ठ संख्या 9 , प्रभात खबर ने पृष्ठ संख्या 8 और दैनिक जागरण ने पृष्ठ संख्या 2 और दैनिक भास्कर ने पृष्ठ संख्या 1 पर सीएम रघुवर दास का ये स्तुति रुपी समाचार प्रकाशित कर सिद्ध कर दिया कि उसे जनहित में समाचार छापने में दिलचस्पी नहीं, बल्कि दिलचस्पी इसमें है कि सीएम रघुवर दास का इमेज, आम जनता के बीच में कैसे बने? इस प्रकार के समाचार यह भी बता रहे हैं, आनेवाले चुनाव तक इन अखबारों की भूमिका भी तय हो चुकी है कि इन्हें करना क्या है? इसलिए हमारी जनता से अपील है कि इन अखबारों के बहकावे में न आये, वे इन अखबारों में छपे किसी भी झांसे में न आये, क्योंकि राज्य आपका है, देश आपका है, आप पर ज्यादा जिम्मेवारी है, क्योंकि फिलहाल अखबारों ने ये सारी जिम्मेवारी छोड़कर, सीएम रघुवर दास की इमेज चमकाने की जिम्मेवारी उठा ली है।