सुनो…सुनो…सुनो…, आज की ताजा खबर, राहुल गांधी ने पटना के होटल में खाया मसाला डोसा
भाई, अपने झारखण्ड में गजब की पत्रकारिता चल रही है, अब कौन नेता क्या खा रहा है? कहां खा रहा है? कैसे खा रहा है? यह भी खबर बन जा रही हैं, और इस खबर को, मूल खबर को गौण करके प्रमुख खबर बना दिया जा रहा है, यहीं नहीं उसे प्रथम पृष्ठ पर स्थान दिया जा रहा हैं, खबर के साथ फोटो भी दिया जा रहा है। जिसे देखकर बुद्धिजीवी हैरान है, और वे कहते है कि भाई अब ये सब भी समाचार बनेंगे क्या?
बुद्धिजीवियों का कहना है कि कौन नेता क्या खाता है? क्या पहनता है? कहां जाता है? कैसे रहता है? इससे आम जनता को क्या मतलब? आम जनता तो यह जानना चाहती है कि कोई नेता कही गया तो उसके मूल में क्या था? खबर तो सिर्फ इतनी थी कि राहुल गांधी पटना में एक केस के सिलसिले में गये थे और उस केस में उन्हें जमानत मिल गई? समाचार तो था कि कोर्ट के अंदर क्या हुआ? और यह प्रमुख समाचार, अखबार के प्रमुख स्थान पर छपनी चाहिए थी, पर यहां हो क्या रहा है?
फालतू खबरें, प्रथम पृष्ठ पर छप जाती है और जो जरुरी की खबरे हैं, जिसे जनता जानना और समझना चाहती है, वह अंदर के पृष्ठों पर जगह बना लेती है, ऐसे में अखबार और उसके संपादकों की मंशा तथा उनकी अद्भुत सोच का पता चल जाता है, कि वे देश-समाज हित में कितनी रुचि लेते हैं, भाई नेता और फिल्म अभिनेता में आकाश-जमीन का अंतर होता है, अगर फिल्म अभिनेताओं-अभिनेत्रियों के बारे में ये सब बेकार की बातें छापे तो पता चल जाता है कि इनके चाहनेवाले, अपने अभिनेताओं-अभिनेत्रियों के बारे में क्या जानना और समझना चाहते हैं, पर एक नेता के बारे में ये सब उटपुटांग खबरें छपने लगे, वह भी प्रथम पृष्ठ पर तो हैरानी होती है।
बुद्धिजीवियों का कहना है कि राहुल गांधी दिल्ली से चलकर पटना मसाला डोसा ही खाने आये थे क्या? क्या उनका मसाला डोसा खाना ही प्राथमिकता था, और जब नहीं तो इस प्रकार की उटपुटांग खबरों को प्रथम पृष्ठ पर देने का मतलब क्या होता है? दरअसल आज रांची से प्रकाशित “प्रभात खबर” अखबार ने प्रथम पृष्ठ पर खबर छापी है, वह भी फोटो के साथ “पटना में राहुल ने खाया मसाला-डोसा” और अंदर के पृष्ठों पर मूल समाचार छापी है, जो रांची में बुद्धिजीवियों के बीच चर्चा का विषय बन गया।