सुनिये मोदीजी, EC आपको जीत के 800 सर्टिफिकेट क्यों न थमा दे, जनता तो खारिज कर चुकी, EX-CM हेमन्त सोरेन को जेल में डाल चुनाव जीतना चाहेंगे, हमें डरायेंगे तो हम डरेंगे नहीं, लड़ेंगेः सुप्रियो
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि सुना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाईबासा चुनावी सभा को संबोधित करने आ रहे हैं। लेकिन वे जान लें कि हम उन्हें यहां राम-रहीम, मटन-मछली, आदि करने नहीं देंगे। यहां उनकी झूठ का दुकान चलने नहीं देंगे। चुनाव आयोग कितना भी सहूलियत उन्हें दे दें, सच्चाई है कि वे इस बार चुनाव जीतने नहीं जा रहे। हां, चुनाव आयोग इतना कर सकता है कि वो 400 की जगह 800 का सर्टिफिकेट पहले से उन्हें थमा सकता है।
लेकिन जनता तो पहले ही उन्हें खारिज कर चुकी है। सुप्रियो ने कहा कि झामुमो ने जो मुद्दे उठाये हैं, उसका जवाब उन्हें भी देना पड़ेगा, जो उनके पक्ष में आयेंगे। ऐसे ही घुमके जाने नहीं देंगे। सवालों के जवाब देने ही होंगे। ये जनता के सवाल है। आप एक लोकप्रिय सीएम हेमन्त सोरेन को जेल में बंदकर चुनाव जीतना चाहते हैं। आप डरायेंगे तो हम डरेंगे नहीं, बल्कि लड़ेंगे। आप अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ों के आरक्षण को समाप्त करना चाहेंगे, संविधान को बदलने की कोशिश करेंगे। ये होने नहीं देंगे। हम अपने ऐतिहासिक पुरुषों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
सुप्रियो ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चार मुद्दों पर अपनी बातें रखनी होगी। पहला मुद्दा यह है कि उनका आदिवासी अस्मिता पर स्टैंड क्या है? सरना धर्म को आप किस रुप में देखते हैं? क्योंकि यह आदिवासी अस्मिता, पहचान व आस्था से जुड़ा मुद्दा है। आपकी पार्टी की इस पर क्या समझ है? आप आदिवासी जनजातीय गौरव की बात करते हैं और एक आदिवासी राष्ट्रपति को हाथ बंधवाकर खड़ा करवा देते हैं और स्वयं कुर्सी पर बैठे रहते हैं।
सुप्रियो ने कहा कि दुसरा मुद्दा उस इलाके का है। जहां वे जा रहे हैं। सारंडा के जंगल का। जहां कोयला व लोहा है। वहां आपने वन अधिकार में बदलाव क्यों किया? ग्राम सभा, मानकी मुंडा प्रथा क्यों हटाया? अब तो वहां निजी सेना या सशस्त्र सेनाएं आयेगी। हंसदेवा जंगल की तरह, उसका भी सफाया होगा। अडानी वहां अपना काम करेंगे। खनिज उत्खनन करेंगे।
सुप्रियो ने कहा कि तीसरा मुद्दा यह हैं कि आपने कोल बियरिंग एक्ट के साथ छेड़छाड़ क्यों किया? वहां से इनवारमेन्ट इम्पैक्ट एसेसमेन्ट एक्ट क्यों हटा दिया गया? इसका विश्लेषण क्यों हटाया गया? इसी एक्ट में सोशल इम्पैक्ट एसेसमेन्ट को इसको क्यों शिथिल किया गया? इसीलिये न ताकि बाहरी व्यक्ति आराम से यहां घुस जाये। आखिर आप ये बतायें कि ये सब बदलाव आदिवासी-मूलवासी हित में हैं या किसी और के हित में? सुप्रियो ने कहा कि चौथा मुद्दा एचईसी से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि दस साल में एचईसी बर्बाद कैसे हो गया? राजधानी के आर्थिक मेरुदंड को क्यों तोड़ दिया गया? ये सारे मुद्दे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष रखे जायेंगे। उन्हें इस पर अपनी बातें रखनी ही होगी।