जियो तो ऐसे जियो, जगरनाथ साहू जो अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए जीना ज्यादा पसंद करते हैं, भारी समस्याओं से पीड़ित होने के बावजूद दूसरे के चेहरे पर खुशी दिलवाने का उनका प्रयास, सभी के लिए अनुकरणीय हैं
आप हैं जगरनाथ साहू। ये रांची के लोअर चुटिया स्थित विन्ध्यवासिनी नगर रोड नं. दो में अपने परिवार के साथ रहा करते हैं। खुद इतने कष्ट में हैं कि पूछिये मत। प्रतिदिन कोई न कोई समस्याएं इनके पास आती रहती हैं। चाहे वो स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो या अन्य। लेकिन जब भी मिलेंगे मुस्कुराते हुए मिलेंगे। मिलेंगे तो दोनों हाथों को उठाकर बड़े ही प्रेम से मुस्कुराते हुए हर-हर महादेव जरुर बोलेंगे। यही नहीं उनके द्वारा किये जानेवाले सामाजिक सद्भाव के कार्यक्रम भी लोगों को उनकी ओर बरबस खींच लेते हैं।
जगरनाथ साहू से हमारी पहली मुलाकात चार साल पहले हुई हैं। संयोग से अब हम पड़ोसी हैं। इस दौरान जो हमने उन्हें नजदीक से देखा तो हमनें पाया कि ऐसा व्यक्ति तो विरले ही मिलता है। अब जरा एक घटना सुनिये। माघ का महीना था। आस-पास के कुछ बच्चे सरस्वती पूजा की तैयारी कर रहे थे। लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी कि वे सरस्वती पूजा ठीक से कर सकें। लेकिन प्रयास में इतनी तीव्रता था कि वे किसी भी हाल में सरस्वती पूजा को संपन्न करना चाहते थे।
अचानक जगरनाथ साहू की उन बच्चों पर नजर पड़ी। उन्होंने देखा कि बच्चे बड़ी ही मनोयोग से सरस्वती पूजा के प्रबंधन में लगे हैं। लेकिन समस्याएं बार-बार उनके समक्ष आ रही हैं और उसमें वे सफल नहीं हो रहे। तभी उन्होंने बच्चों को अपने पास बुलाया और कहा कि हिम्मत नहीं हारनी हैं। आपलोग ये बताओं कि आपलोगों ने क्या-क्या प्लानिंग की हैं और उसकी क्या तैयारियां की है। बच्चें तो बच्चे होते हैं।
उन्होंने सारी प्लानिंग बता दी और तैयारियों का भी पिटारा उनके सामने खोल दिया कि इसके लिए उन बच्चों ने कहां-कहां से पैसे इक्ट्ठे चंदे के रुप में किये। बच्चों की सच्चाई देख, जगरनाथ साहू ने उनका हौसला बढ़ाया और कहा कि चिन्ता नहीं करनी हैं। जो मन में आ रहा हैं, वो करो। हम पीछे से हैं। फिर क्या था? बच्चों ने वो सारी तैयारी कर ली, जिसका उन्होंने मन बनाया था। इधर जगरनाथ साहू की भी उन बच्चों पर नजर थी। वो नहीं चाहते थे कि किसी भी बच्चों का दिल टूटे।
उन्होंने भरपूर मदद की और इसी सरस्वती पूजा के तहत उन्होंने बच्चों को कैसे किसी काम को किया जाता हैं, प्रबंधन का सारा गुर सीखा दिया और बच्चे भी खुश हो गये। यहीं नहीं, मुहल्ले की भी इस पूजा में सहभागिता हो। इसके लिए उन्होने बड़े पैमाने पर खिचड़ी भोग की व्यवस्था कर दी और पूरा मुहल्ला जमकर खिचड़ी भोग का आनन्द भी उठाया। यानी सरस्वती पूजा का छोटा सा आयोजन जगरनाथ साहू की वजह से भव्यता को प्राप्त कर रहा था।
दूसरी घटनाएं। मुहल्ले में एक के घर पर लड़की की शादी थी। जगरनाथ साहू को जैसे ही पता चला तो वे सीधे उन जगहों पर गये, जहां लोगों को ठहराने की व्यवस्था थी। वे वहां जाकर देखने लगे कि क्या व्यवस्था हैं? व्यवस्था ठीक लगा। वे संतुष्ट हो गये। मैंने पास के ही कुछ लोगों से पूछा कि जगरनाथ साहू ये सब क्यों देख रहे हैं। तो आस-पास के लोगों ने बताया कि ये इसलिए देख रहे हैं कि मुहल्ले में जब लोग आयेंगे तो उन्हें किसी प्रकार का कष्ट न हो। अगर वे थोडा सा भी चूक या कमी देखते तो अपनी ओर से जो व्यवस्था हो सकती हैं।
वे उसमें बिना किसी से पूछे कर देते। आस-पास के लोगों ने यह भी बताया कि एक बार मुहल्ले में किसी के यहां तिलक थी। लोग आवश्यकता से अधिक पहुंच गये। बैठने में लोगों को प्राब्लम हो रही थी। जगरनाथ साहू ने अपने घर का सारा फर्नीचर उनकी सेवा में लगा दिया। मतलब जगरनाथ साहू ये नहीं देखते कि उनके सामान या उनका पैसा किसी दूसरे के लिए खर्च हो रहा हैं। वे यह देखते हैं कि समाज में उनके रहते किसी को कोई कष्ट न हो।
यही नहीं, अगर मुहल्ले में कोई यज्ञ या पूजा हो रहा हैं और उस यज्ञ या पूजा में से कोई उनके यहां चंदा काटने नहीं गया या सहयोग लेने नहीं पहुंचा तो वे स्वयं ही उन लोगों के पास आ धमकते हैं कि भाई चंदा या सहयोग मांगने क्यों नहीं पहुंचा? ज्यादातर लोग तो ऐसे में खुश होते हैं कि अच्छा हुआ, मेरा पैसा बचा, चंदा मांगने कोई नहीं आया या ज्यादातर लोग तो ये सोचते हैं कि दूसरे के घर में विवाह हो रहा हैं, प्राब्लम उसकी हैं, मुझे क्या? जब भोज-भात का समय आयेगा, लिफाफे में कुछ डालेंगे, सपरिवार भोजन करेंगे और फिर घर लौट आयेंगे।
लेकिन जगरनाथ साहू के लिए किसी के घर का विवाह-शादी या कोई कार्य प्रयोजन या सामाजिक कार्य उनके लिए काफी महत्वपूर्ण होता हैं और जब तक वो सही ढंग से संपन्न नहीं हो जाता। वो चैन से नहीं बैठते। हालांकि चूंकि मैंने पहले ही कहा था कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। उनकी पत्नी की भी स्वास्थ्य ठीक नहीं रहती। उसके बावजूद उनके द्वारा किया जानेवाला सामाजिक कार्य व सद्भावना से परिपूर्ण कार्य प्रत्येक उस व्यक्ति के लिए अनुकरणीय हो रहा है, जिसका जीवन सामाजिक कार्यों में ही ज्यादा जाता हैं। काश जगरनाथ साहू जैसे लोग सभी मुहल्ले में होते तो समाज का कितना भला होता, समझा जा सकता है।