लोबिन और सीता ने झामुमो की परेशानी बढ़ाई, हार-पछता स्टीफन को झामुमो मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेस करना पड़ा
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के दो विधायकों सीता सोरेन और लोबिन हेम्ब्रम ने हेमन्त सरकार की परेशानी बढ़ा दी हैं। इन दोनों विधायकों ने एक तरह से कहा जाय तो राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नाक में दम कर दिया है, क्योंकि एक ओर लोबिन हेम्ब्रम झामुमो के पुराने विधायक हैं तो दूसरी ओर सीता सोरेन खुद उनकी अपनी भाभी है।
ऐसा नहीं कि ये दोनों विधायक झारखण्ड की विकास की नई गाथा लिखने के लिए ऐसा कर रहे हैं, बल्कि सच्चाई यह है कि इन दोनों की अपनी अलग-अलग राजनीतिक इच्छाएं हैं, जिसे प्राप्त करने के लिए इन दोनों ने हेमन्त सरकार की सत्तारुपी नाव में छेद करना प्रारम्भ कर दिया है, जिसमें इन्हें सफलता मिलेगी, इसकी संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही हैं, हालांकि जिन्हें राजनीति में दिलचस्पी हैं, दोनों को खूब झाड़ के पेड़ पर चढ़ाने में लगे हैं, ताकि इनकी रही-सही राजनीति सदा के लिए खत्म हो जाये।
आज ही झामुमो के पुराने व बड़े नेता स्टीफन मरांडी ने बरियातु स्थित झामुमो कार्यालय में प्रेस कांफ्रेस कर अपना दुखडा रोया कि उनके इलाके में लोबिन हेम्ब्रम उनका व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का पुतला जलवा रहे हैं, हालांकि सच्चाई यह है कि लोबिन हेम्ब्रम कितना भी इनका पुतला जला लें, स्टीफन मरांडी के राजनीतिक सेहत पर कोई फर्क नहीं पडता।
स्टीफन मरांडी ने तो प्रेस कांफ्रेस में लोबिन की सोच पर उनके लिए अपरिपक्व दिमाग की पैदाइश शब्दों तक का प्रयोग किया। स्टीफन मरांडी ने यहां तक कह दिया कि जब पार्टी की मीटिंग हो रही थी तो न तो लोबिन हेम्ब्रम उसमें उपस्थित हुए, न ही अपनी बातें रखी, जब वे सभापति के रुप में आसन पर विराजमान हुए तो उन पर आरोप लगा दिया कि स्टीफन ने बोलने की मौका नहीं दिया।
स्टीफन मरांडी ने कहा कि जब वे आसन पर थे तो उनकी नजर में सभी विधायक थे, केवल लोबिन के लिए वे आसन पर नहीं बैठे थे। स्टीफन मरांडी ने कहा कि लोबिन की ऐसी सोच बताती है कि लोबिन गलत पैटर्न पर चल रहे हैं। पार्टी विरोधी कार्य कर रहे हैं। रही बात 1932 की तो सरकार, हर पहलूओं पर विचार कर रही हैं, सरकार नहीं चाहती कि जब वो स्थानीय नीति-नियोजन नीति लाये तो फिर कानून के चक्कर में फंसकर वो स्थानीय नीति-नियोजन नीति भी प्रभावित हो जाये, ऐसे में सरकार को गलत कहना किसी भी प्रकार से ठीक नहीं।