फोटो पर नजर डालिये, साफ पता चल जायेगा कि भाजपा प्रत्याशी सीपी सिंह दीपक प्रकाश के साले संदीप के घर अपने से नहीं गये, बल्कि उन पर भाजपा प्रदेश कार्यालय में बैठे नेताओं ने वहां जाने का दबाव बनाया था
गजब नमूने हैं सब। जनता को कितना बेवकूफ समझते हैं। कल तक सीपी सिंह खराब थे। उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे। जनता से जीतने के लिए आशीर्वाद मांग रहे थे और जैसे ही जीजा दीपक प्रकाश, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को लेकर घर पर आ गये। डील हुई। सुस्वादु भोजन का स्वाद हिमंता को चखाया। सुर ही बदल गया। अब इनके नजरों में सीपी सिंह लोकप्रिय हो गये। अब ये सीपी सिंह के लिए वोट मांगने लगे। सच्चाई क्या हैं, ये अगर चुनाव लड़ भी जाते तो इनको दस वोट से भी ज्यादा नहीं आता। वो भी वैसे लोगों के वोट आते, जिनकी हाथ गलती से वोटिंग मशीन पर कभी-कभार इधर-उधर चल जाती है।
हम बात कर रहे हैं, भाजपा के राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश के साले संदीप वर्मा की, जो अपने फेसबुक पर भाजपा प्रत्याशी सीपी सिंह के अपने घर आने की सूचना दे रहा है तथा जनता से सीपी सिंह को सहयोग करने की बातें कह रहा है। सच्चाई यह है कि सीपी सिंह ने कभी संदीप वर्मा से संपर्क भी नहीं किया और न ही उससे कभी ये कहा कि वो चुनाव में खड़ा न हो और न ही चुनाव में खड़ा हो जाने के बाद उससे संपर्क कर कहा कि वो उनके पक्ष में बैठ जाये।
लेकिन संदीप वर्मा के जीजाजी अपने बुद्धि के अनुसार खुद को राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी समझते हैं। इसी के तहत उन्होंने अपने साले संदीप वर्मा को चुनाव लड़ने को कहा भी था। साला चुनाव लड़ भी गया। अगर नहीं लड़ता तो डीलिंग कैसे होती। कुछ न कुछ तो प्रसाद आनेवाले दिनों में भाजपा की ओर से जरुर मिलेगा। यह बात की जानकारी संदीप को भी हो चुकी है।
ऐसे भी भाजपा से रांची से लेकर दिल्ली तक मूर्खों की एक बहुत बड़ी तादाद आ चुकी हैं। जिसे न तो देश व राज्य से मतलब है और न ही पार्टी के उत्तरोत्तर विकास की चिन्ता। ये तो जानते हैं कि जहां अभी वे हैं, हो सकता है कि वो कल नहीं रहे, इसलिए जहां अभी वे हैं, उसका ज्यादा से ज्यादा कितना परिवार हित में फायदा उठा लिया जाये, प्रापर्टी बना ली जाये, सभी का ध्यान इसी ओर हैं।
विद्रोही24 संदीप वर्मा और सीपी सिंह दोनों की बुद्धिमत्ता को जानता है। जिस सीपी सिंह के बारे में संदीप वर्मा यह बता रहा है कि उसके घर में पहुंचे। सच्चाई यह है कि सीपी सिंह खुद उसके घर नहीं पहुंचे। बल्कि प्रदेश कार्यालय में बैठे मूर्खों की तादाद ने सीपी सिंह पर संदीप वर्मा के जीजा दीपक प्रकाश के कहने पर दबाव बनाया कि सीपी सिंह संदीप वर्मा के घर जाये। फोटो खींचवाएं। बेचारे सीपी सिंह क्या करते।
भाजपा के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं। संघ के स्वयंसेवक रहे हैं। विधानसभाध्यक्ष रहे हैं। नगर विकास मंत्री रहे हैं। लेकिन वर्तमान में उनकी सारी बुद्धि मूर्खों के आगे गिरवी पड़ चुकी हैं। इसलिए उनके कहने पर संदीप के घर गये। फोटो सेशन करवाया। जैसा कि हर भाजपा का नेता करता/कराता है। सोफा पर बैठकर, नाश्ता करते हुए, कभी खड़ा होकर, कभी आलीशान घर के उद्यान में फोटो खींचवाया गया और फिर उसे सोशल साइट पर डाल दिया गया, ताकि लोगों को पता चल जाये कि जीजा दीपक प्रकाश का साला संदीप वर्मा भी कोई साधारण व्यक्ति नहीं, अटल बिहारी वाजपेयी और पं. दीनदयाल उपाध्याय के समकक्ष अब आ चुका है।
लेकिन सारे फोटो पर नजर डालिये, तो दीपक के साले संदीप के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आपको साफ दिखाई देगी। लेकिन उन्हीं फोटो में से एक भी फोटो सीपी सिंह का नहीं दिख रहा हैं, जिसमें वे हंसते-खिलखिलाते दिख रहे हो। मतलब साफ है कि उपर के नेताओं के कहने पर वे दीपक के साले संदीप के घर गये। उनकी दिली इच्छा ऐसे लोगों के घर जाने की न कभी थी और न कभी रहेगी। राजनीतिक पंडित कहते है कि विद्वानों के लिए तो फोटो की एक झलक ही काफी है कि भाजपा में क्या चल रहा है। वर्तमान भाजपा में ऐसे लोगों की चलती हो गई हैं, जो किसी काम के नहीं। लेकिन उनकी धौंस ऐसी हैं, जैसे लगता है कि अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन उनके घर आकर डिक्टेशन लेते हो।