वाह रे भारत का विपक्ष, एक ओर भारतीय सेना के पराक्रम का सम्मान तो दूसरे पल उसके पराक्रम पर सवाल, थोड़ा शर्म करो यार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री है ममता बनर्जी, जहां रही विवाद को जन्म दिया, चाहे वह केन्द्र में सत्ता में शामिल रही हो या विपक्ष में। कभी अटल बिहारी वाजपेयी के नाक में दम कर देनेवाली यह महिला, इन दिनों पीएम नरेन्द्र मोदी के नाक में दम करने में लगी है, पर उसे नहीं पता कि अब उसकी लड़ाई अटल बिहारी वाजपेयी से नहीं, बल्कि 56 इंच के सीनेवाले मोदी से हैं, जो हर ईट का जवाब पत्थर से देना जानता है, और ये मोदी फिलहाल बंगाल से ममता बनर्जी और उनकी पार्टी को बंगाल से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए कृतसंकल्प है।
देखिये, इस महिला ने क्या मूर्खता भरे सवाल दागे हैं? जिस दिन भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान में घुसकर अपना पराक्रम दिखाया तो उस दिन ममता बनर्जी ने जमकर भारतीय वायु सेना की प्रशंसा की और आज देखिये, उनका क्या बयान आ रहा है, वो कहती है कि देश को यह जानने का अधिकार है कि पाकिस्तान के बालाकोट में वायुसेना के हवाई हमले के बाद वास्तव में वहां क्या हुआ था, क्योंकि विदेशी मीडिया कह रही है कि भारतीय वायुसेना के हमलों में वहां कोई नुकसान नहीं हुआ, वह इसके लिए न्यूयार्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट का हवाला देती है।
अब सवाल उठता है, साथ ही इस सवाल का जवाब विपक्ष के अन्य नेता भी बताएं कि क्या अब न्यूयार्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट और बीबीसी जैसी भारत विरोधी मीडिया की बात ही सत्य मानी जायेगी? क्या ममता बनर्जी बता सकती है कि उनसे संबंधित खबरें कितनी बार वाशिंगटन पोस्ट, बीबीसी या न्यूयार्क टाइम्स में आई हैं? क्या ममता देश को बता सकती है कि वाशिंगटन पोस्ट, बीबीसी या न्यूयार्क टाइम्स में उनकी या उनकी पार्टी के खबरो की क्या हैसियत हैं? क्या मोदी से घृणा करते–करते भारतीय वायु सेना के पराक्रम पर ये घृणात्मक सवाल जायज हैं?
हद तो हो गई कि कुछ भारत में पाकिस्तानपरस्त तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से घृणा करनेवाले लोग एक मरे हुए कौवा का पोस्ट कर बता रहे है कि भारतीय वायु सेना के एयरसर्जिकल स्ट्राइक में यह कौवा मारा गया हैं, ऐसा लिखने वाले लोग बता सकते है कि वे भारत या भारतीय सेना का सम्मान कर रहे है या अपमान?
इधर यह भी देखने को आ रहा है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के संसद में दिये गये भाषण पर कुछ पाकिस्तानपरस्त भारतीय उन्हें शांति दूत तक बता डाला, जब उन्होंने पाकिस्तानी संसद में कल यह कहा कि वे अभिनन्दन को कल छोड़ देंगे, अरे भारत में रहनेवाले पाकिस्तानपरस्त भारतीयों तुम ये क्यों भूल जाते हो, वह उसकी मजबूरी थी, और मजबूरी में दिया गया बयान शांति का संवाद नहीं होता।
अरे मूर्खों पाकिस्तानपरस्त भारतीयों तथा विपक्ष के भटके हुए नेताओं जब भारतीय वायु सेना ने पराक्रम दिखाया ही नहीं, तो फिर पाकिस्तान शांति–शांति की बात क्यों करने लगा? वह उन जगहों पर अपनी ही मीडिया के लोगों को क्यों नहीं ले गया, जहां भारतीय वायु सेना ने बम गिराए। अरे मूर्खों, पाकिस्तान के संसद में 26 फरवरी को शेम–शेम के नारे क्यों लगे? पाकिस्तान ने 27 फरवरी को संसद का साझा सत्र क्यों बुलाया? पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ने युद्ध नहीं करने की बात कह गिड़गिडाने क्यों लगा? पाकिस्तान के संसद में वहां की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी ने ओआइसी का बहिष्कार करने के लिये क्यों कहा?
पहले इन प्रश्नों का उत्तर तो भारत की जनता को ईमानदारी से बताओ और नहीं जानते हो, तो जानने की कोशिश करो, क्योंकि पाकिस्तान जानता है कि वह भारत के साथ सीधे युद्ध में नहीं जीत सकता, भारत से लड़ने का सबसे अच्छा हथियार है प्रॉक्सी वॉर और ये प्रॉक्सी वॉर उसी विधा का एक अंग है, जिस पर कभी किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा था कि वे भारत से हजारों वर्षों तक युद्ध लड़ने को तैयार है।
अरे मूर्खों तुम यह भी बताओ कि जिसे तुम महान प्रधानमंत्री–शांतिदूत बता रहे हो, वह आज के भी दिन जम्मू–कश्मीर के लाइन ऑफ कंट्रोल पर गोलीबारी क्यों कर रहा है? जबकि तुम्हारे कथनानुसार वह अमनपसंद हैं। अरे जरा पूछो तो कि आज ही हमारे चार जवान हंदवाड़ा में क्यों और कैसे शहीद हो गये? धिक्कार है तुम्हारी सोच पर।
क्या भारत अमनपसन्द नहीं हैं, तुम ही बताओ, विपक्षी दल के नेताओं, अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में क्या हमने अमन के लिए लाहौर बस सेवा नहीं शुरु की, उसका परिणाम क्या मिला, कारगिल युद्ध, संसद पर हमले। अरे हमने जितनी शांति से रहने की कोशिश की, उतना तो पाकिस्तान ने कभी की ही नहीं।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी तो शांति की बात की और वे पाकिस्तान गये, पर उसका परिणाम क्या मिला, पठानकोट पर हमला। फिर उरी और अब पुलवामा। हमने तो सिर्फ आंतकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमले किये, और उन्होंने हमारे सैन्य ठिकानों का अपना निशाना बनाया और हमारे वीर जवानों ने मिग 21 जो कांग्रेस के जमाने में ली गई युद्धक विमान था, जिसने कई जवानों को लील जाने का कीर्तिमान बनाया हैं, उसी से पाकिस्तान के एफ 16 विमान गिरा दिये।
यह अलग बात है कि इसी दौरान हमारे विंग कमांडर अभिनन्दन पाकिस्तानी इलाके में गिर पड़े और आप सभी ने रोना–गाना और पीएम मोदी को गरियाना शुरु कर दिया। आपने कहना तो ये भी शुरु कर दिया, कि पीएम मोदी की हेकड़ी निकल गई, जबकि सच्चाई यह है कि पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने अभिनन्दन को लेकर पीएम मोदी को ब्लैकमेलिंग करने की कोशिश की, कई बार फोन लगाएं, पर पीएम मोदी तो दूसरे मिट्टी का बना है, उसने कह दिया, कोई बात नहीं होगी, जल्द से जल्द हमारे अभिनन्दन को भेजो और उसे अभिनन्दन को भेजना पड़ा।
आज पूरे विश्व के सभी देश भारत के साथ हैं, यहां तक की पाकिस्तान जिस देश चीन पर ज्यादा कूदता था, उसने भी इस भारतीय आक्रमण पर पाकिस्तान का साथ नहीं दिया, यह मोदी का कमाल नहीं तो क्या, राहुल गांधी और विपक्ष का है। आज अभिनन्दन हमारे पास है, तो इसमें मोदी का कमाल नहीं तो क्या, राहुल और विपक्ष के नेताओं का है। आपको याद भी है 1969 में इसी ओआइसी ने पाकिस्तान के विरोध के कारण भारत को ओआइसी में भाग लेने पर अंतिम समय में रोक लगा दी थी,आज ओआइसी के कार्यक्रम में पाकिस्तान के लाख नाक रगड़ने के बावजूद भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ओआइसी में भारत के पक्ष को रख रही हैं, और इस ओआइसी से जुड़े 57 इस्लामिक देश उनकी बातों को सुन रहे हैं, ये मोदी का देन नहीं तो क्या राहुल और विपक्ष का देन है।
भाई राजनीति आप नहीं करेंगे तो आपकी दुकानदारी कैसे चलेगी? पर देश और भारतीय सेना पर कम से कम सवाल तो नहीं उठाइये। आप 1971 के युद्ध का फायदा उठाइये तो ठीक और दुसरा नहीं भी उठाने की कोशिश करें तो गलत कैसे हो गया। भाई थोड़ा सा शर्म करिये, नहीं तो भारत की जनता सब देख रही हैं, ज्यादा गुस्सायेगी तो आपको कही का नहीं छोड़ेगी, इसलिए आपसे हमारा नम्र निवेदन है, फिलहाल देश की स्थिति ठीक नहीं है, हमारा पड़ोसी मुल्क निहायत लूच्चा और बदमाश है, कब क्या कर देगा, कुछ कहा नहीं जा सकता, अभी भी नहीं मान रहा, सीज फायर का उल्लंघन कर रहा हैं, आप सभी पक्ष–विपक्ष मिलकर देश को मजबूत बनाइये, कोई ऐसा बयान नहीं दीजिये, जिससे आप हल्के हो जाये और अपने देश का नुकसान हो जाये।