तीसरे दौर में भी मतदाताओं की पहली पसन्द बनी महागठबंधन, भाजपा का 65 पार का सपना धूमिल होने के आसार
लक्षण ठीक नहीं दिख रहे भाजपा के। आज तीसरे दौर के मतदान की समाप्ति हो गई। 17 सीटों पर हुए मतदान के बाद जो रिपोर्टें आ रही हैं, वह भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं दे रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का अनुमान है कि यही हाल रहा तो समझ लीजिये कि भाजपा के दुर्दिन के दिन झारखण्ड में आ चुके।
रांची विधानसभा सीट जो भाजपा का गढ़ माना जाता हैं, वह भी दरकने लगा हैं, जिन क्षेत्रों में भाजपा मतदाताओं की एक बड़ी तादाद हैं, वहां बहुत कम संख्या में मतदाता घरों से वोट देने के लिए निकले, ज्यादातर जनता आराम की मुद्रा में दिखी, जो लोकसभा चुनाव में भारी संख्या में मोदी को वोट देने के लिए निकले थे, उनके मन में मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रति भारी नाराजगी दिखी।
यही हाल हटिया का रहा, नवीन जायसवाल ने दलबदल कर भाजपा से लड़ने की ठानी और मतदाताओं ने इस बार सबक सिखाने की लगता है, ठान ली। नवीन जायसवाल के लिए इस बार विधानसभा पहुंचना कठिन है, जबकि कांग्रेस के अजय नाथ शाहदेव ने यहां अच्छी बढ़त बना ली है।
खिजरी और कांके में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हैं, जबकि कोडरमा, बरकट्टा, बड़कागांव, रामगढ़, मांडू, बेरमो, ईचागढ़, सिल्ली, सिमरिया, धनवार, गोमिया आदि जगहों पर महागठबंधन और भाजपा के कट्टर विरोधी दल मजबूत स्थिति में है, इनमें एक दो स्थानों पर निर्दलीय भी ज्यादा मजबूत दिख रहे हैं, जो भाजपा के लिए परेशानी का कारण बनेंगे।
ज्यादातर मतदाताओं की नाराजगी राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास के व्यवहार को लेकर थी, उनका कहना था कि वे मुख्यमंत्री के लायक नहीं, चूंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कहने पर पिछली बार उन्होंने भाजपा को वोट दिया, पर रघुवर उनके सपनों पर खड़े नहीं उतरे, इसलिए इस बार वोट परिवर्तन के पक्ष में उन्होंने डाला है।
कमाल है, रांची, हटिया, कांके, खिजरी आदि विधानसभा क्षेत्रों में चूपेचाप चचा (रघुवर दास) साफ, का नारा ज्यादा फलीभूत हुआ। रांची विधानसभा में जिन-जिन बूथों पर कभी सीपी सिंह या भाजपा मजबूत हुआ करती थी, जब 23 दिसम्बर को वे बूथ के इवीएम खुलेंगे, तो सीपी सिंह और भाजपा को झटका महसूस अवश्य होगा।
पहले और दूसरे दौर की चुनाव समाप्ति का प्रभाव तीसरे चरण में भी दिखा, महागठबंधन सफलता की तीसरी सीढ़ी चढ़ चुकी, अब यहां मात्र दो चरण बचे हैं, जिसमें 31 सीटों पर चुनाव होने बाकी है, सीएम का दावा है कि उन्होंने संथाल परगना के इलाकों में अच्छे काम किये है, उसका नजराना जनता, उन्हें अवश्य देगी, पर राजनीतिक पंडित बताते है कि लोकसभा के चुनाव में जो नजराना जनता को देना था, वो दे चुकी, अब नजराना पर हक हेमन्त सोरेन का है, क्योंकि तीन चरण की समाप्ति के बाद दो चरण के होनेवाले चुनाव में भी इसका असर होना अवश्यम्भावी है।
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