स्टैन स्वामी के यहां महाराष्ट्र पुलिस ने फिर मारा छापा, हार्ड डिस्क व इंटरनेम मॉडम लेकर चलते बने
आज सुबह करीब सवा सात बजे महाराष्ट्र पुलिस की एक आठ सदस्यीय टीम ने रांची के निकट नामकुम में स्थित बगाइचा परिसर में 83 वर्षीय स्टैन स्वामी के निवास पर छापा मारा। पुलिस ने करीब साढ़े तीन घंटे तक उनके कमरे की तलाशी ली। पुलिस ने स्टैन स्वामी की हार्ड डिस्क और इंटरनेट मॉडेम ले लिया और जबरन उनसे उनके ईमेल व फ़ेसबुक के पासवर्ड मांगे। उसके बाद पुलिस ने ये दोनों पासवर्ड बदले और दोनों अकाउंट को ज़ब्त कर लिया। पिछले वर्ष 28 अगस्त 2018 को भी महाराष्ट्र पुलिस ने स्टैन स्वामी के कमरे की तलाशी ली थी।
स्टैन झारखंड के एक जाने–माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे कई वर्षों से राज्य के आदिवासी व अन्य वंचित समूहों के लिए वर्षों से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से विस्थापन, संसाधनों की कंपनियों द्वारा लूट, विचाराधीन कैदियों व पेसा कानून पर काम किया है। स्टैन ने समय समय पर सरकार की भूमि अधिग्रहण कानूनों में संशोधन करने के प्रयासों की भी आलोचना की है। साथ ही, वे वन अधिकार अधिनियम, पेसा, व सम्बंधित कानूनों के समर्थक हैं। झारखण्ड के ज्यादातर लोगों का मानना है कि वे एक बेहद सौम्य, सच्चे व जनता के हित में कार्य करने वाले व्यक्ति हैं। इधर झारखंड जनाधिकार महासभा ने कहा कि फादर स्टैन स्वामी के प्रति महासभा का उनके कार्य के लिए उच्चतम सम्मान है।
महासभा ने यह भी कहा कि वर्तमान में सत्ता में आए राजनैतिक दल व सरकार की आलोचना करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवियों के प्रताड़ना व गिरफ़्तारी से सभी बेहद हैरान है। पिछले वर्ष सुरेन्द्र गाडलिंग, सुधीर धावले, महेश राउत, शोमा सेन और रोना विलसन को छः जून को गिरफ़्तार किया गया था। वे अभी तक येरवाड़ा केन्द्रीय जेल में कैद हैं। 28 अगस्त 2018 को पुलिस ने पांच अन्य कार्यकर्ताओं – सुधा भारद्वाज, अरुण फेरेरा, वेर्नन गौन्जाल्विस, वरावरा राव और गौतम नवलखा – को गिरफ़्तार किया। ये लोग भी अभी तक रिहा नहीं हुए हैं। ये छापामारियाँ व गिरफ्तारियां वंचित समूहों के अधिकारों के लिए कार्यरत लोगों में भय पैदा करने के लिए सरकार द्वारा प्रयास हैं।
दूसरी ओर केंद्र सरकार व भाजपा के करीबी मीडिया के अनुसार ये मानवाधिकार कार्यकर्ता भीमा–कोरेगांव मामले से सम्बंधित एक माओवादी साज़िश के हिस्सेदार हैं। झारखंड जनाधिकार महासभा मांग करती है कि इन कार्यकर्ताओं की छापामारियां तुरंत बंद हो, उनके विरुद्ध सब झूठे मुक़दमे वापस लिए जाए और जो जेल में कैद हैं, उनकी तुरंत रिहाई हो।