चीन की गुंडई से विश्व के कई देश त्रस्त, चीनी सैनिकों ने लद्दाख सीमा पर दिखाई गुंडई, भारतीय सैनिक उनकी गुंडई का दे रहे जवाब
कोरोना वायरस का जन्मदाता एवं पूरे विश्व में मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन चीन की गुंडई से विश्व के ज्यादातर देश त्रस्त है। वामपंथ के नाम पर जिस प्रकार से चीन ने गुंडई शुरु की, उसके इस गुंडई का जवाब देने के लिए उसके खिलाफ पूरा विश्व अब खड़ा हो रहा है। कोरोना मामले पर तो चीन की अब घिग्घी ही बंद हो गई है, और उसने कोरोना की उत्पत्ति संबंधी जांच के लिए हामी भी भर दी है।
कल तक चीन का राष्ट्रपति शी जिनपिंग विश्व स्वास्थ्य संगठन के समक्ष खूलेआम कह रहा था कि वह इसकी जांच नहीं करायेगा, पर जिस प्रकार विश्व के कई देशों ने उसके खिलाफ मोर्चा खोला, चीन के विदेश मंत्री यांग वी ने कहा कि वह कोरोना वायरस के जन्म को लेकर अंतरराष्ट्रीय जांच कराने को तैयार है। इसका मूल कारण है कि चीन धीरे-धीरे अपनी हरकतों से पूरे विश्व के देशों के समक्ष खलनायक के तौर पर दिखने लगा है, कई देश मानने लगे है कि अगर चीन पर नकेल नहीं कसा गया तो वह अन्य देशों के लिए खतरा साबित हो सकता है।
इधर हांगकांग में चीन के द्वारा किये जा रहे अत्याचार को लेकर भी विश्व के कई देशों ने चीन की कड़ी आलोचना की है, तथा चीन से कहा है कि वह हांगकांग पर अपना अत्याचार बंद करें, लेकिन चीन की गुंडई हैं, जो वहां रुकने का नाम नहीं ले रही। फिर भी हांगकांग की जनता सड़कों पर उतरकर चीन के खिलाफ विरोध के स्वर को तेज कर दी है, जिससे चीन के हालत पस्त है।
तिब्बत का जो हाल चीन ने किया है, वो जगजाहिर है, अपनी साम्राज्यवादी नीतियों को लेकर चीन की गतिविधियां और अपने पड़ोसियों पर अनैतिक दबाव देकर उसकी संप्रभुता की चुनौती देना, उसके चरित्र में शामिल है, फिर भी चीन से सटे कई ऐसे छोटे-छोटे देश हैं, जो चीन को समय-समय पर अच्छा जवाब दे रहे हैं, जिससे चीन की हालत ही खराब है।
दूसरी ओर भारत में अपने सामानों को बेचकर अपनी आर्थिक समृद्धि कर, भारत को ही आंख दिखानेवाला चीन इन दिनों लद्दाख में भारत को सेना का भय दिखा रहा है। उसे लग रहा है कि भारत उसकी गुंडई से थर-थर कापंता हुआ मैदान छोड़ देगा। दरअसल भारत ने चीन को बता दिया है कि वह उसकी गुंडई का जवाब, उसी भाषा में देगा, जिस भाषा की समझ चीन को है।
कमाल की बात है, चीन अपनी सरहदों के निकट तक हर प्रकार का निर्माण धड़ल्ले से करता है, लेकिन इसी प्रकार का काम जब भारत करता है, तो वह भारत को आंखें दिखाता है, दरअसल वह चाहता है कि जैसे पाकिस्तान और नेपाल आदि देश उसके टूकड़े पर पलने के लिए बेचैन हैं, जैसे भारत के अंदर ही रहनेवाले कुछ गद्दार चीन के बाहों में आकर मचलते हैं, उसी प्रकार पूरा भारत चीन के इशारों पर नाचें, पर चीन भूल रहा है कि उसकी गुंडई का एहसास अब धीरे-धीरे सारे भारतीयों को होने लगा है और जिस दिन यह एहसास शत प्रतिशत भारतीयों को हो जायेगा कि चीन की हरकत भारत के प्रतिकूल है तो चीन समझ ले, उसकी श्राद्ध होने में देर नहीं लगेगी।
ऐसे भी कोरोना के जन्मदाता चीन को यह एहसास हो चुका है कि आनेवाले समय में अगर उसे कोई चुनौती दे सकता है, तो वह भारत ही है, अगर नरेन्द्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री बराबर देश को मिलता रहा तो समझ लीजिये, चीन की दशा क्या होगी? हमें खुशी इस बात की है, कि कोरोना के भारत आगमन के बाद, ज्यादातर भारतीयों को एहसास हो गया है कि चीन निर्मित सामान खरीदना कोरोना वायरस को अपने घर लाने के बराबर है, यहीं कारण है कि अब भारतीय व्यापारियों को भी एहसास हो गया है कि चीन से व्यापार चलाने का मतलब अपने धंधे को चौपट करने के बराबर है। यही कारण है कि अब भारत में चीन निर्मित सामानों की बिक्री पर काफी प्रभाव पड़ा है।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि चीन को उसकी औकात बतानी है तो बस उससे आर्थिक रिश्ते तोड़ दीजिये, फिर देखिये, उसकी सारी हेकड़ी निकल जायेगी। ऐसे भी चीन से व्यापार करने का मतलब अपने देश के साथ धोखा करने के बराबर है, आपको याद होगा कि जो पाकिस्तान हमेशा चीन के पांव दबाने के लिए लालायित रहता हैं, उस पाकिस्तान को भी इस चीन ने इस कोरोना काल में भी धोखा दिया, एन 95 मास्क के बदले उसने अंडरवीयर का बना हुआ, मास्क पाकिस्तान पहुंचा दिया।
यही नहीं स्वयं को जो चीन कहता था कि वह पीपीइ किट विश्व को उपलब्ध करा रहा है, उसकी चुनौती को भारत ने स्वीकार किया, मात्र दो महीने में भारत ने पीपीइ का रिकार्ड उत्पादन कर चीन की बुखार छुड़ा दी, यही नहीं कोरोना से भारत की चल रही लड़ाई तथा कोरोना के लिए वर्तमान में चल रही हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन नामक दवा को विश्व के कई देशों में कम समय में उपलब्ध करा दी, जिसको लेकर भारत की प्रतिष्ठा पूरे विश्व में बढ़ी, जिसको लेकर चीन के अंदर खलबलाहट है।
चीन को घमंड है कि वो वामपंथ की गुंडई के बल पर भारत के भू-भाग को पिछली बार 1962 की लड़ाई की तरह जीत लेगा, पर वह भूल रहा है कि अब भारत के प्रधानमंत्री के पद पर जवाहर लाल नेहरु नहीं, बल्कि नरेन्द्र मोदी है, जो कश्मीर समस्या का हल भी निकालना जानता है और चीन की औकात बताने को भी बेकरार है। लाल बहादुर शास्त्री के बाद पहला कोई नेता बना है, जो भारत के सम्मान के साथ कोई समझौता करने को तैयार नहीं, वो हर चुनौतियों का सामना करने के लिए स्वयं तैयार है, भले ही देश के विपक्षी नेताओं का उसे सहयोग मिले अथवा न मिले।
आज का प्रधानमंत्री अपने देश की जनता को विश्वास में लेकर चीन, पाकिस्तान और नेपाल जैसे देशों को उसकी औकात बताना जानता है, इसलिए जनता अपने प्रधानमंत्री मोदी के साथ है, तभी तो भारतीय सैनिक भी बड़े ही शान से चीन की सीमा पर चीनी सैनिकों को उनकी औकात बता रहे हैं, साथ ही दो-दो हाथ करने को भी बेताब है, नहीं तो मनमोहन सिंह के शासनकाल में चीन के सामने कई लोगों को गिरगिराते देखा है, आज पहली बार ऐसा हुआ है कि चीन को हम बता रहे है कि तुम्हे जो तुम्हारी अर्थव्यवस्था और ताकत का जो घमंड है, वो हम तोड़ कर रहेंगे, चाहे भारत में बैठे, तुम्हारे टुकड़े पर पलनेवाले गद्दारों का कितना भी समूह क्यों न पापड़ बेल ले, कम से कम वर्तमान में इस प्रधानमंत्री को और यहां की जनता को कोई फर्क पड़नेवाला नहीं है, चाहे तुम नेपाल को कितना भी भारत के खिलाफ क्यों न भड़का लो।