मेडॉल कंपनी पर फर्जी बिल द्वारा 200 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप, सरयू राय ने कहा कि वे भगवान से मनायेंगे स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी को भगवान परिपक्व बनाएं, नहीं तो ये गर नहीं चेते तो ज्यादा दिन मंत्री नहीं रह पायेंगे
झारखण्ड के पूर्व ऊर्जा मंत्री दिवंगत लालचंद महतो ने दिल्ली स्थित प्रवर्तन निदेशालय को दिनांक पांच दिसम्बर 2023 को स्वास्थ्य विभाग में पैथोलॉजिकल टेस्ट कर रही मेडॉल स्कैन्स एंड लैब्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा फर्जी बिल समर्पित कर विभाग से 200 करोड़ से अधिक की राशि गबन करने की जांच को लेकर एक पत्र लिखा था। जिसे देखते हुए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने 15 फरवरी 2024 को एक कार्यालय आदेश निकाला।
जिसमें विभाग ने लालचंद महतो के पत्र के आधार पर इस संबंध में एक राज्यस्तरीय जांच कमेटी की गठन की थी। जिसके डा. विरेन्द्र कुमार सिंह, उपनिदेशक अध्यक्ष तथा डा. लाल मांझी नोडल पदाधिकारी, एनसीडी, आईईसी सदस्य, डा. पुष्पा, नोडल पदाधिकारी, एमएच, सदस्य, डा. मनोज कुमार, निदेशक वित्त, सदस्य, नलिन कुमार परामर्शी एमएच सदस्य बनाये गये थे। इन पांच सदस्यीय कमेटी को मेडॉल लैब पर लगाये गये आरोपों की जांच करते हुए इसका प्रतिवेदन विभाग को एक माह के अंदर उपलब्ध कराना था।
जिसका पत्र अभियान निदेशक के द्वारा जारी किया गया था। लेकिन आश्चर्य कि एक वर्ष से ज्यादा बीतने को आये। ये जांच कहां तक पहुंची। किसी को पता नहीं हैं। जब इस संबंध में सवाल स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी से पूछा जाता है तो उनका जवाब होता है कि क्या उलटा-पुलटा सवाल पूछते हो। ये सभी प्रश्नों का जवाब विभाग से पूछो। हम इसमें क्या जवाब देंगे। जब इस सवाल की गंभीरता को देखते हुए संवाददाता उनसे बार-बार अनुरोध करता है कि इसका इरफान जवाब दें, क्योंकि मामला 200 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का है। तो वे कमरे में बंद हो जाते हैं।
जब इसी संबंध में जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय से यह पूछा जाता है तो वे स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के इन्हीं हरकतों को देखकर कहते है कि हम तो भगवान से मनायेंगे कि भगवान उन्हें (इरफान अंसारी को) परिपक्व बनाएं। नहीं तो पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से भी बड़ा स्कैम स्वास्थ्य विभाग में हैं। अगर ये नहीं चेतेंगे तो मुझे (सरयू राय को) नहीं लगता कि ये बहुत दिन स्वास्थ्य मंत्री रह सकेंगे। उन्होंने कहा कि ये मामला इतना गंभीर है कि इस मामले को ईडी-सीबीआई जांच कर सकती है।
ज्ञातव्य है कि ईडी को लिखे पत्र में दिवंगत लालचंद महतो ने लिखा था कि उन्हें सूचना मिली है कि मेडॉल कंपनी ने सभी जिलों के सर्जन को मासिक रिश्वत देकर लगभग 60 प्रतिशत फर्जी बिल में स्वीकृति कराने का काम किया है। जो राशि अनुमानित 250 करोड़ से अधिक है। मेडॉल कंपनी ने जननी शिशु सुरक्षा सेवा कार्यक्रम में गर्भवती महिलाओं की जांच में फर्जीवाड़ा कर राशि प्राप्त किया है। कम्पनी ने राज्य के माताओं और शिशु के जीवन के साथ खिलवाड़ किया है। अति आवश्यक जांच एचबीएसएजी को नहीं किया गया है। जबकि फर्जी बिल के आधार पर भुगतान ले लिया गया है।
लालचंद महतो ने ईडी को भेजे अपने पत्र में जननी शिशु सुरक्षा सेवा कार्यक्रम के पांच जांच रिपोर्ट की कॉपी भी संलग्न किया था। जिसमें एचबीएसएजी का कंपनी ने बिल लिया है। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार जांच नहीं किया गया है। ऐसे रिपोर्टों की संख्या लाखों में हैं। इसके अतिरिक्त वर्ष 2017 में मेडॉल स्कैन्स एंड लैब्स द्वारा रांची में स्वास्थ्य जांच कैम्प लगाया गया। जिसमें हजारों की संख्या में मरीजों का पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, राशन कार्ड आदि धनबाद के लोगों का हैं। जबकि धनबाद की दूरी रांची से 165 किलोमीटर है। रांची के कैम्प में इतनी बड़ी संख्या में धनबाद के लोगों की उपस्थिति असंभव है।
लालचंद महतो ने यह भी लिखा था कि कंपनी के द्वारा 12 जिलों में 96 प्राइवेट फ्रेंचाइजी में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी है। जिसकी सूचना आए दिन समाचार पत्रों और मीडिया से प्राप्त होती रहती है। मेडॉल स्कैन्स एंड लैब्स जिन 12 जिलों में काम कर रही है, वे जिले संविधान के पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आता है। ये कंपनी आदिवासी बहुल क्षेत्र में कुकृत्य कर नागरिकों के साथ बहुत बड़ा धोखाधड़ी कर रही हैं। बताया यह भी जा रहा है कि सर्वप्रथम लालचंद महतो ने मेडॉल कंपनी द्वारा की जा रही धोखाधड़ी और गबन के मामले को स्वास्थ्य विभाग के समक्ष ही उठाया था।
लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने उनके पत्र को दबा दिया था। फिर जैसे ही लालचंद महतो ने इस मामले को ईडी के समक्ष रखा तो आनन-फानन में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पांच सदस्यीय टीम बना दी कि वो इस मामले की जांच कर एक महीने के अंदर रिपोर्ट सम्मिट करें। लेकिन साल हो गये, न तो विभाग और न ही मंत्री इसमें रूचि ले रहे हैं। इसका मतलब क्या है? इतनी नादान यहां की जनता तो नहीं ही हैं, जो समझ नहीं रही।