अपनी बात

MICA तथा IPRD के अधिकारियों ने शुरु की CM हेमन्त सोरेन की इमोशनल ब्लैकमेलिंग, भाजपाइयों का भी मिला साथ

जब से हेमन्त सरकार ने राज्य में हाथी उड़ानेवाले पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की जहांगीरी घंटी यानी मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र पर रोक लगाई तथा इसे चलानेवाले कट्टर भाजपा समर्थकों को बाहर का रास्ता दिखाया। तब से लेकर आज तक माइका और आइपीआरडी के उन अधिकारियों की नींद हराम हो गई है, जो नहीं चाहते कि माइका का आइपीआरडी से निर्वासन हो। अब ये दोनों मिलकर नये-नये हथकंडे अपना रहे हैं। इन सब ने सीएम हेमन्त सोरेन को इमोशनल ब्लैकमेलिंग करना शुरु कर दिया है, ताकि भावनाओं में बहकर, सीएम हेमन्त सोरेन फिर इनके नाजायज कार्यों को करने का आदेश जारी कर दें।

पर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अब माइका वाले और इनके समर्थक आइपीआरडी के लोग जितना भी जोर लगा लें, कोई इन्हें फायदा होनेवाला नहीं, क्योंकि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को भी पता है कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र की आड़ में यहां क्या-क्या होता था? खुद झामुमो के केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने एक संवाददाता सम्मेलन कर चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए, चुनाव आयोग तक का दरवाजा खटखटा दिया था।

माइका जिसके खिलाफ विधानसभा में सरयू राय ने सवाल उठाये, जिसको लेकर सरकार ने जवाब दिया कि वह इसकी सारी हरकतों की जांच करायेगी, आज हेमन्त सरकार ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया, तब ऐसे में सीएम हेमन्त सोरेन को इमोशनल ब्लैकमेलिंग करनेवालों को शर्म महसूस नहीं आ रही। कमाल है, इनलोगों ने सीएम हेमन्त सोरेन को इमोशनल ब्लैकमेलिंग करने के लिए यहां काम कर रहे उन छोटे कर्मचारियों को आगे किया है, जिसकी इन्होंने कभी सुध ही नहीं ली, अगर सुध ली है तो माइका या आइपीआरडी के लोग ही बताये, तत्कालीन मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार और मुख्यमंत्री के सचिव सुनील कुमार बर्णवाल ने उस वक्त क्या एक्शन लिया, जब यहां कार्यरत दो महिला संवादकर्मियों ने माइका पर गंभीर आरोप लगाये।

कमाल है, इन दिनों माइका में काम कर रहे लोगों को कहा जा रहा है कि वे टिवटर का सहारा लें और मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को टैग कर, माइका के सपोर्ट में लिखे, अपनी नौकरी का हवाला देकर माइका को बचाने का प्रयास करें। कमाल यह भी है कि कहा जा रहा है कि कोविड 19 के दौरान जब मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र को राज्य कोरोना नियंत्रण केन्द्र के रुप में परिवर्तित किया गया, तो इन सब ने ईमानदारी पूर्वक कोरोना काल में कार्य किया।

जबकि इसी दौरान नीचे दिये गये फोटो बताते है कि यहां पार्टियां चलती थी। सोशल डिस्टेशिंग का, वह भी राज्य कोरोना नियंत्रण केन्द्र में धज्जियां उड़ाई जाती थी। यही नहीं एक यहां काम करनेवाला युवक तो राज्य सरकार के खिलाफ ही कड़ी टिप्पणी कर दी थी, जिसे बाद में बाहर का रास्ता दिखाया गया।

आज माइका और आइपीआरडी के कुछ अधिकारियों ने माइका के कर्मचारियों को सलाह दी कि वे टिवटर के साथ-साथ धरना प्रदर्शन भी करें, ताकि उनकी बात सीएम हेमन्त सोरेन तक पहुंचे, और लीजिये, ये सभी पहले आइपीआरडी मुख्यालय और उसके बाद सीएम आवास पर जाकर धरना प्रदर्शन शुरु कर दिये, यानी चाहे कुछ भी हो, माइका को काम करने का अवसर मिलना चाहिए। भाजपाइयों को उन्हें काम करने का अवसर हर दम मिलने चाहिए, चाहे वे गड़बड़ियां करने में उस्ताद ही क्यों न हो। चाहे उनके खिलाफ विधानसभा में प्रमाण के साथ सरयू राय ने दस्तावेज ही क्यों न उपलब्ध करा दिये हो।

अब सवाल उठता है कि जो माइका या आइपीआरडी के अधिकारी, गैर-जिम्मेदाराना कार्य करते हुए सीएम आवास तक धरना-प्रदर्शन करा दें, क्या ऐसे लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए या नहीं और अगर  होनी चाहिए तो इन पर कार्रवाई कौन करेगा। किसके आदेश पर सीएम आवास पर इन माइका के कर्मचारियों ने पत्रकारों को बुलाकर धरना-प्रदर्शन कर अपना फोटो खिंचवाया, आखिर ये किसका दिमाग है, राज्य सरकार को चाहिए कि जल्द ऐसे लोगों पर एक्शन लें, ताकि दुबारा कोई इस प्रकार की जुर्रत न कर सकें और सरकार को चुनौती न दे सकें।