अपनी बात

मंत्री बन्ना गुप्ता ने धारा 144 लगे स्थान पर गैर कानूनी तरीके से बने प्रेस क्लब भवन का किया जबरन उद्घाटन, टाटा और स्थानीय प्रशासन मौन, अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने कहा गैर कानूनी हरकत

हमेशा सुर्खियों में रहनेवाले मंत्री बन्ना गुप्ता ने जमशेदपुर में आज धारा 144 लगे स्थान पर गैर कानूनी रुप से बने प्रेस क्लब भवन का जबरन उद्घाटन कर फिर सुर्खियां बटोर ली है। ऐसा कर उन्होंने ये जता दिया कि जिसकी लाठी उसकी भैंस और कानून जाए ताक पर, वे वही करेंगे, जो उन्हें अच्छा लगेगा। ये कारनामा कहीं और नहीं उनके अपने शहर जमशेदपुर में हुआ है, जहां उन्होंने पत्रकार हित के नाम पर धारा 144 की परवाह न करते हुए न सिर्फ वहां पिछले दिनों टायल्स, एसी लगाने से लेकर, पेंट तक करवाया बल्कि क्रेडिट लेने के लिए उद्घाटन भी कर दिया।

आइये, आपको बता दें कि जगह कौन सी है और मंत्री की ये गतिविधि गैर कानूनी कैसे है? ये जगह कालिया चौक कहलाता है, जो डीसी कार्यालय के पास और शहर की हृदय स्थली जुबिली पार्क के मेन गेट के ठीक सामने है। सालों से यहां पत्रकारों का जमावड़ा लगता रहा है। यहां तक कि आम आदमी भी पत्रकारों की उपस्थिति को देखते हुए अपनी फरियाद लेकर पहुंच जाता है।

आस पास बड़ी संख्या में फूड स्टॉल हैं, जो हमेशा लोगों से गुलज़ार रहता है। बारिश धूप में यहां पत्रकारों को हो रही दिक्कतों को देखते हुए 2011 में तत्कालीन सांसद डा  अजय कुमार ने सांसद फंड से एक शेड का निर्माण करवा दिया था। अजय कुमार ने ऐसा पत्रकारों के हित में किया क्योंकि न तो सरकार, न प्रशासन और न ही टाटा की ओर से पत्रकारों के लिए प्रेस भवन की कोई पहल की गई थी।

टाटा स्टील ने बिष्टुपुर में जो प्रेस क्लब भवन बनाया था उसे खुद तोड़कर वहां अपने अफसरों के लिए पार्किंग बना दी थी और प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर को एक क्वार्टर या भवन देने का वायदा किया था। इसी माहौल में परेशानियों के बीच पत्रकारों को डा अजय कुमार की मदद मिली और तब इसकी काफी सराहना भी हुई। लेकिन टाटा स्टील ने इस पर आपत्ति की क्योंकि ये टाटा लीज़ की ज़मीन थी, विवाद बढ़ने पर प्रशासन ने वहां धारा 144 लगा दी और किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दिया।

वक्त बीतता रहा। इस बीच वहां ईंटों से एक अस्थाई भवन बगैर खिड़की दरवाजे के बन गया। प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर की ओर से लगातार टाटा स्टील और सरकार से प्रेस क्लब के लिए भवन की मांग की जाती रही। इस बीच 2021 की 15अगस्त को प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर के अंसतुष्ट और नाराज़ सदस्यों ने निवर्त्तमान कमेटी के कार्यकाल खत्म होने से ऐन पहले  प्रशांत सिंह उर्फ पुतुल को अध्यक्ष चुना जिसका प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर के पदाधिकारियों और सदस्यों ने विरोध किया।

पदाधिकारियों की दलील थी कि कोरोना गाइडलाइन को लेकर एजीएम के लिए प्रशासनिक अनुमति नहीं मिली थी और इंतज़ार करना था। उधर मुख्य कमेटी ने चुनाव की घोषणा की और सितंबर में संजीव भारद्वाज उर्फ रिंटु भैया प्रशासन की उपस्थिति में सर्वसम्मति से प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर के अध्यक्ष चुन लिए गए।

दो भाग में बंट चुके प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर के सदस्यों के बीच आपसी विवाद बढ़ने लगे क्योंकि एक ही नाम से दो क्लब न सिर्फ कंफ्यूज़न पैदा कर रहे थे बल्कि पत्रकारों की एकता तार-तार होने से प्रतिष्ठा भी धूमिल हो रही थी। इधर टाटा स्टील ने प्रेस क्लब की पुरानी कमेटी को चुनाव के ऐन पहले डीसी कार्यालय के पास एक क्वार्टर आवंटित कर दिया था लेकिन शर्त ये लगाई कि टाटा के अधिकार क्षेत्र वाली कालिया चौक में बने अस्थाई भवन को तोड़ा जाए, जहां टाटा सड़क चौड़ीकरण का कार्य करेगी। तत्कालीन प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर के अध्यक्ष बी श्रीनिवास ने इसकी जानकारी भी सदस्यों को दी थी।

उधर चुनाव के बाद से ही प्रेस क्लब के पदाधिकारी, अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू और अन्य लोग दोनों गुटों के बीच पैच अप कराने का प्रयास करते रहे। पुतुल और रिंटु के बीच लगातार वार्ताएं और बैठकें होती रहीं। प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर ने कभी कालिया चौक के भवन पर दावा नहीं किया था क्योंकि यह गैर कानूनी तरीके से बना था। लेकिन पत्रकार का मामला देखते हुए प्रशासन ने यहां कभी डंडा नहीं चलाया। हां एक बार एक डीसी ने कड़ा रूख दिखाया था लेकिन वे भी पत्रकार के मामले को देखकर पीछे हो लिए।

पहले जब क्लब में कोई गुट नहीं था सभी एक साथ वहां उठते बैठते थे, बाद में वहां तनाव की स्थिति बनने लगी। चूंकि टाटा की तरफ से क्लब को क्वार्टर मिल गया है और क्लब ने उस भवन पर दावा नहीं किया है तो गेंद पूरी तरह टाटा और प्रशासन के हाथ में थी कि वह उचित कार्रवाई करती और विवाद खत्म करती। लेकिन कुछ पत्रकारों के कहने पर पहले मंत्री ने उस भवन में एसी/टायल्स लगवाया, पेंट करवाया और फिर आज उसका उद्घाटन भी कर दिया।

डा अजय कुमार और प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर के अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने मंत्री बन्ना गुप्ता के इस कृत्य को गैर कानूनी बताया है, साथ ही प्रशासन और टाटा स्टील की चुप्पी पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने प्रशासन को सलाह दी है कि वह अविलंब इस भवन को तोड़कर कानून सम्मत कार्रवाई करे। आखिर जब गरीब दुकानदारों के दुकान तोड़ दिए जाते हैं तब खुलेआम गैर कानूनी कार्य को कैसे करने दिया जा रहा है?

जब प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर ने इस भवन पर कोई दावा नहीं किया है। उस भवन पर प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर(पुतुल) के कुछ लड़कों का कब्ज़ा बताया जाता है, जिस वजह से वहां पत्रकारों के गुटों के बीच हमेशा तनाव की स्थिति रहती है। एक तरफ प्रेस क्लब के दो गुटों को मिलाकर मर्ज कराने की प्रक्रिया चल रही थी दूसरी तरफ आज ये जबरन उद्घाटन करके मर्ज की प्रक्रिया को बाधित किया गया।

मंत्री का ये कदम उन पत्रकारों को नागवार गुजरा है जो गैर कानूनी तरीके से नहीं बल्कि सही तरीके से अपना हक चाहते हैं। अगर मंत्री वाकई पत्रकारों के हितैषी हैं तो क्यों नहीं सरकार से बात करके पत्रकारों के लिए कानूनी तरीके से ज़मीन या भवन दिलाते या इसी जगह को कानूनी तरीके से क्यों नहीं दिलाने का प्रयास किए? जब क्वार्टर टाटा ने दे दिया फिर आज के इस कार्यक्रम का क्या औचित्य था?

जब दोनों गुटों को मर्ज कराने की प्रक्रिया चल रही थी तो इस उद्घाटन की क्या जल्दबाजी थी? किसी ने इस प्रकरण पर कहा है कि गलत तो गलत होता है। आज नहीं तो कल ये जगह टूटेगी क्योंकि इस पर टाटा का हक है। मंत्री आज हैं कल नहीं रहेंगें फिर क्या होगा? जो पत्रकार इस बात को नहीं समझ रहे उनको भी समझ आ जाएगा।