ये रांची के आधुनिक पत्रकार है, देखिये कैसे मुस्कुरा रहे हैं…
ये रांची के पत्रकार हैं। देखिये, ये कितने प्रसन्न हैं। प्रसन्नता का कारण – झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिलना है। वह रघुवर दास जो स्वयं को कभी रघुवर का दास यानी हनुमान तो कभी जनता का दास बताते रहते है और कभी ज्यादा खुश हो जाते हैं तो स्वयं को राम बनाने से भी नहीं चूंकते और होर्डिंग्सों के माध्यम से यह भी कह देते है कि रघुकुल रीति सदा चलि आई…।
चूंकि रघुवर दास अपने सत्ता के टाइम पास के दौरान 1000 दिन में प्रवेश कर रहे हैं तो इस अवसर पर रांची के कुछ पत्रकार मुख्यमंत्री से मिलने की ठानी। अचानक मुख्यमंत्री आवास से इन्हें हरी सिग्नल क्या मिली, ये पत्रकार उछल पड़े। इनका उछलना, इनके चेहरे से स्पष्ट दीख रहा हैं। चेहरे पर हल्की डिम्पल बता रही हैं, कि ये अंदर से कितने आह्लादित है। लगता है कि इनका जीवन ही सफल हो गया। रघुवर से मिलना अर्थात् साक्षात भगवान से मिलना हो गया। स्वर्ग की सीट आरक्षित हो गई। सीधे वैकुंठ पहुंच गये। वैंकुंठ पहुंचना सामान्य बात नहीं, करोड़ों- अरबों में एक व्यक्ति सीधे वैंकुंठ पहुंचता है और ये सभी तो सीधे डायरेक्ट वैंकुंठ पहुंच रहे हैं और जीवन में क्या चाहिए, एक व्यक्ति को।
ये हैं इस राज्य के पत्रकारों की स्थिति। इनसे पूछिये कि आपने अपने जीवन में कितने लोगों को पत्रकारिता के माध्यम से राहत पहुंचाई, उत्तर मिलेगा – एक भी नहीं और इन्हीं से पूछिये कि पत्रकारिता की आड़ में आपने अपनी सुविधा कितनी बढ़ाई, तो ये बता पायेंगे तो नहीं, क्योंकि बताने में इन्हें इज्जत जाने का खतरा महसूस होगा, पर इतना जरुर है, कि जितनी खुशी इन्हें सीएम से मिलने में होती हैं, उतनी ईमानदारी अगर पत्रकारिता में दिखाते तो निःसंदेह इनका भी भला होता और इस राज्य का भी भला होता, पर ये तो अपनी हित और अपना स्वार्थ छोड़ दूसरा कुछ देखते ही नहीं।
ऐसे में इस राज्य का बंटाधार होना तय है। सीएम को क्या हैं? जब उन्हें इनके साथ फोटो खींचाने में ही वह सब कुछ प्राप्त हो जाता है, जो उन्हें चाहिए तो भला एक सेल्फी खीचवानें या फोटो खींचाने में क्या जाता हैं। एक समय था, जब पत्रकार किसी भी नेता या व्यापारी के साथ फोटो खींचाने से बचते थे, पर अब तो ये खेल खुला फर्रुखाबादी है। खाना भी खायेंगे, फोटो भी खिंचवायेंगे, लाभ भी लेंगे, और फोटो के माध्यम से अपने लोगों को बतायेंगे कि देखों हमारी कितनी चलती है, हम तो सीएम आवास आते-जाते रहते है, अगर कुछ काम हो तो बताना। मतलब समझे।
Rightly pointed out, journalists today are flaunting their connections by clicking pics with politicians, bureaucrats and businessmen. This trend is dangerous for our democratic set up, as it raises a question mark on the neutrality of Press. It’s no big deal for any journalist to pose with CM or any power that be, because they are simply doing their duties by taking the views on some subject matter or conducting interview on behalf of the newspaper or news channel they represent. To get near CM and posing for pic is something where they are crossing the limit of their duty and apparently indulging in shychophancy, which in unacceptable.
I support krishna B. mishra, sir you the Ravish kumar of Jharkhand. The state is really in need of you, I am proud of you, the Lord’s blessing is upon you, I believe not only I but the whole people Jharkhand are with you, specifically Adivasies. now people don’t expect saviour from above but like you are the saviours. Sir continue your job success will come to the feet. Jai Jharkhand.