लाल झंडा और सजायाफ्ता सांसद ढुलू के आगे झूके मोदी-शाह, बाघमारा से दिया शत्रुघ्न महतो को टिकट, जो ऐसी संस्था से जुड़ा है, जो उठते-बैठते मोदी-शाह और भाजपा/संघ की नीतियों के खिलाफ आग उगलता रहा है
धनबाद का सजायाफ्ता सांसद ढुलू महतो जिसके आगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह तक की नहीं चलती, तो केन्द्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश के बाबूलाल मरांडी जैसे नेताओं की क्या औकात? तभी तो खुद सांसद भी बन गया और अब अपने भाई यानी सांसद प्रतिनिधि शत्रुघ्न महतो को अब सीधे विधायक बनाने में लगा हुआ है, लेकिन ऐसा हो ही जायेगा, इसकी संभावना फिलहाल बाघमारा में कहीं भी दूर-दूर तक नजर नहीं आती, क्योंकि शायद इस बार बाघमारा की जनता ने संकल्प कर लिया है कि उसका बाघमारा से इस बार प्रतिनिधि कोई ऐसा होगा, जिस पर कोई दाग न हो।
विद्रोही24 ये बात ऐसे ही नहीं लिख रहा है। याद करिये 2014, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्या कहा था? कहा था कि जो भी व्यक्ति भाजपा के टिकट पर सांसद/विधायक बने हैं। वे अपने परिवार के किसी भी सदस्य को अपना सांसद/विधायक प्रतिनिधि नियुक्त नहीं करेंगे। लेकिन जैसे ही उत्तर प्रदेश के बाराबंकी लोकसभा सदस्य प्रियंका रावत द्वारा उनके पिता को सांसद प्रतिनिधि बनाने का मामला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास आया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें स्वयं हटवाया।
लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इतनी हिम्मत नहीं हुई कि तब के बाघमारा विधायक और अब सांसद बने सजायाफ्ता ढुलू महतो के कभी विधायक प्रतिनिधि और अब सांसद प्रतिनिधि बने, उसके भाई शत्रुघ्न महतो को विधायक/सांसद प्रतिनिधि पद से मुक्त करवा सकें। यहीं नहीं गृह मंत्री तो उसके उपर हुए पचास से भी अधिक केसों से इतने खुश हैं कि उन्होंने ढुलू महतो के इस चरित्र से खुश होकर, अपनी ओर से विशेष वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करवा दी, ताकि वो और भी ऐसे लोगों पर जूल्म करें, जो इसके जूल्म से अब तक त्राहिमाम कर रहे हैं।
आश्चर्य तो यह भी है कि जिस सजायाफ्ता सांसद ढुलू महतो के भाई शत्रुघ्न महतो को बाघमारा से भाजपा का टिकट दिया गया है। वो यूनाईटेड कोल वर्कर्स यूनियन (जो एटक से संबंधित है) का भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) क्षेत्र का एरिया सचिव है। यानी वो एटक (ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस) जो भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी का एक श्रमिक इकाई है। जो उठते-बैठते भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नीतियों पर अंगूलियां उठाती रहती हैं, उसे गालियां देती रहती हैं। वैसी संस्थाओं से जुड़े इस शत्रुघ्न महतो को यह कहकर टिकट दिया कि आप ही मेरे प्राणाधार हो, आप हो तो भाजपा है, आप नहीं तो भाजपा नहीं, नरेन्द्र मोदी नहीं, अमित शाह नहीं।
उस इलाके के लोग तो आज भी कहते हैं कि यही भाजपा का सजायाफ्ता सांसद ढुलू महतो, जिसने सलानपुर कोलियरी में स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की श्रमिक इकाई का कार्यालय जो भारतीय मजदूर संघ का कार्यालय था, उस पर लाल झंडा लगाकर कब्जा करने की कोशिश की थी और उसे एटक का कार्यालय बनाने की कोशिश की थी। लेकिन बाद में भारतीय मजदूर संघ के समर्पित नेताओं/कार्यकर्ताओं ने आंदोलन की, तो बाद में जाकर ये ढूलू महतो उस कार्यालय पर से अपना लाल झंडा हटवाया।
राजनीतिक पंडित तो साफ कहते हैं कि भाजपा में अब वैचारिक शून्यता आ गई हैं। अब भाजपा जिसकी लाठी उसकी भैस पर विश्वास करती है। भाजपा के नरेन्द्र मोदी और अमित शाह जैसे लोगों को लगता है कि ढुलू महतो की लाठी इस धनबाद में मजबूत हैं तो उनलोगों ने उसकी लाठी पर विश्वास किया हैं, ताकि मतदाताओं को वो अपनी ताकत द्वारा हांक सकें। बेचारी मतदाता अगर इस बार लाठी से हंका गई तो उसका भाई जीत गया और नहीं उलटे उसकी लाठी का जवाब देने के लिए भिड़ गई तो क्या परिणाम आयेगा, वो नरेन्द्र मोदी भी अच्छी तरह से समझ जायेंगे।
राजनीतिक पंडित तो ये भी कहते है कि सभी दिन कभी एक समान नहीं हुआ है। जो कल तक बहुत ताकत वाले थें आज उन्हें कोई नहीं पूछ रहा। एक दिन ऐसा भी आयेगा कि ये सजायाफ्ता ढुलू और उसकी ताकत भी कही की नहीं रहेगी। बस समय का इंतजार करिये। जब भारत का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी बैठक में ढुलू महतो को अपने निकट बुलवाकर बिठाता हैं तो आपकी और हमारी ताकत की क्या बिसात? इसलिए वक्त का इंतजार ही बेहतर है। ऐसे भी इस बार की विधानसभा चुनाव की आहट बता रही है कि भाजपा का निकट समय आ गया है। पतन की ओर जा रही है। तभी तो कोई पत्नी, कोई बहू, कोई बेटा और कोई भाई के लिए दिमाग लगा रहा हैं। इनके लिए देश और समाज कहां है? इनका असली चरित्र तो अब जनता देख रही हैं।
जितना बड़ा अपराधी टिकट मिल्नेकी संभावना उतनी ज़्यादा