शत्रुघ्न ने पीएनबी घोटाले पर मोदी सरकार को घेरा, जेटली ने आडिटर्स को दोषी ठहराया
पंजाब नेशनल बैंक-नीरव मोदी कांड और रोटोमैक-कोठारी कांड स्पष्ट रुप से बता रहा हैं कि भारत आर्थिक आतंकवाद की चपेट में आ गया है। इस आर्थिक आतंकवाद से भारत को मुक्त करने के लिए मोदी सरकार इनसे जुड़े छोटे-छोटे कर्मचारियों को गिरफ्तार करने में लगी है, क्योंकि जिन्होंने गड़बड़ियां की हैं, उनके मालिकों को गिरफ्तार करने की ताकत मोदी सरकार में नहीं है जबकि सच्चाई यह है कि भारत को आर्थिक आतंक की चपेट में लाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार को ही जाता है।
कमाल की बात है, कि जिन्हें इस मामले में बोलना चाहिए, वे चुप्पी साध रहे हैं और मोदी सरकार के अन्य मंत्रियों का समूह एक-एक कर बिल से निकलकर दिये जा रहे हैं। जनता, विपक्ष तथा अन्य लोग प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री का बयान सुनना चाहते हैं, पर प्रधानमंत्री को कर्णाटक और त्रिपुरा विधानसभा चुनाव से फुर्सत नहीं है। स्थिति गजब हो गई हैं कि देश में रेल मंत्री, खेल मंत्री का जवाब देता हैं और खेल मंत्री रेलमंत्री का जवाब दे रहा हैं।
अभी तक इस पूरे प्रकरण पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, रेलमंत्री पीयूष गोयल दिये जा रहे है, पर पीएम नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली के मुंह सीले हुए हैं। भाजपा सांसद एवं सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने इस पूरे प्रकरण के लिए अपने ही लोगों को जिम्मेवार ठहराया, उनका साफ कहना था कि भाई, इस प्रकरण पर जिसे बोलना चाहिए वह बोल क्यों नहीं रहा, आखिर दिक्कत क्या हैं? उनका इशारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर था।
इधर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक कार्यक्रम में भाषण दिया है कि सीए/आडिटर्स ने ठीक ढंग से काम नहीं किया, इस मामले में पूरी तरह से लापरवाही बरती, जिसका नतीजा सामने है, उनका कहना था कि एजेंसियों को फिर से विचार करना होगा कि ताकि ऐसे मामले दुबारा न आये।
कांग्रेस के मणीष तिवारी ने तो रेलमंत्री पीयूष गोयल के उस बयान की यह मामला इसलिए आया क्योंकि सरकार बेहतर ढंग से काम कर रही हैं, जिसके कारण घोटाले का मामला उजागर हो रहा है, पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पीयूष गोयल को बहस करने की क्षमता ही नहीं है, उन्होंने यह भी कहा कि पीयूष गोयल की हिम्मत हैं तो वे स्थान और समय सुनिश्चित करें, वे इस मामले पर बहस करने को तैयार हैं, यहां तो सरकार ही गजब कर दी हैं, जिस मंत्री को इस विषय पर बोलने से बचना चाहिए, वह दिये जा रहा हैं।
इधर देश की स्थिति बहुत ही खराब हैं, आर्थिक आतंकवाद ने पूरे देश को इस प्रकार जकड़ लिया है कि एक-एक व्यक्ति नरेन्द्र मोदी सरकार से दहशत में हैं, फिर भी आम जनता इस आशा में हैं कि कहीं से कोई आशा की किरण दिखाई पड़ेगी, जिससे देश का भला हो, पर फिलहाल वह आशा की किरण दिखाई नहीं पड़ रही।