निशिकांत की नजरों में, मोमेंटम झारखण्ड और शादी-विवाह में हुआ खर्च दोनो समान
थोड़े दिनों की ही बात है, भाजपा के ही वरिष्ठ नेता प्रेम कटारुका ने फेसबुक पर लिखा था कि अब हमलोग थेथरोलॉजी में पीएचडी करने जा रहे हैं। उनके इस पोस्ट पर कई बुद्धिजीवियों ने इस पोस्ट के लिए यह कहकर उन्हें बधाईयां एवं शुभकामनाएं दी कि उन्होंने सच्चाई को स्वीकार किया। इधर देखने में आ रहा है कि थेथरोलॉजी में पीएचडी करनेवाले भाजपा नेताओं की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हो रही हैं। वे ये सिद्ध करने में लगे है कि उनके जैसा बात बनानेवाला तथा थेथरई में पारंगत कोई दूसरे दल का व्यक्ति या नेता हो ही नहीं सकता।
थेथरोलॉजी के ताजा उदाहरण है गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दूबे। इनको इस बात का गुमान है, झारखण्ड मे कोई सांसद हैं तो बस वे ही हैं, वे ही हैं और दूसरा कोई नहीं। ऐसे – ऐसे बयान देते है कि इनका बयान सुनकर आप हंसे बिना नहीं रह पायेंगे। हाल ही में इनका बयान आया था कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने गढ़वा में ब्राह्मणों के खिलाफ कोई आपत्तिजनक बयान नहीं दिया था, जबकि सबके पास, विजूयल मौजूद हैं, कि सीएम रघुवर दास ने गढ़वा में ब्राह्मणों के लिए कौन से आपत्तिजनक शब्द उपयोग किये, चूंकि इन्हें ब्राह्मणों या जनता से तो मतलब हैं नहीं, इन्हें तो सत्ता से मतलब है, क्योंकि ईश्वर ने उन्हें यह जीवन ही सत्ता का स्वाद चखने के लिए दिया है, इसलिए राजभोग भोग रहे हैं, जनता की इज्जत की बांट लगे, उससे उन्हें क्या मतलब?
अभी इनका नया – नया बयान आया है, इनका कहना है कि मोमेंटम झारखण्ड ठीक उसी तरह रहा, जिस तरह किसी के घर में शादी विवाह होता है, कितने का खाना बनता है, कितने का बचता है, यह नहीं देखा जाता। मोमेंटम झारखण्ड इन्वेस्टर को बुलाने के लिए था। चार्टेड प्लेन जब हम लेते है, तो एक आये या छह, यह देखने का नजरिया है। कमाल है, एक जिम्मेदार व्यक्ति जो सांसद है, वह मोमेंटम झारखण्ड की तुलना और उसमें हो रहे खर्च को शादी-विवाह से जोड़ता हैं और वह भी थेथरई के साथ कहता है कि शादी में कितने का खाना बनता हैं, कितने का बचता है, यह नहीं देखा जाता।
इसका मतलब है कि जैसे गोड्डा के सांसद के घर पर उसके यहां शादी-विवाह में खाने की बर्बादी की जाती है, वैसा सभी के यहां होता है, अगर ये विचार एक सांसद के हैं, तो समझिये, गोड्डा की जनता के सम्मान की यह व्यक्ति कैसे धज्जियां उड़ रहा हैं? सांसद महोदय निशिकांत दूबे जी, आप खाने की बर्बादी कर सकते हैं, आपके यहां शादी में खर्चे का हिसाब-किताब नहीं होता होगा, पर हमारे यहां फिजूलखर्ची नहीं होती, देश के किसान-मजदूरों के घरों में चाहे शादी-व्याह हो, या कोई भी कार्य प्रयोजन वहां हमेशा अनाज का सम्मान होता है, और अनाज को बर्बादी से बचाया जाता है, पर आप समझेंगे कैसे? कभी जिंदगी में आपने खेती की हैं, अनाज उपजाया है, आप क्या जाने, अनाज की कीमत। मस्ती मारिये, और बयान देते रहिये, आपको जनता के सम्मान से भी क्या मतलब? चुनाव होगा, मोदी लहर चलेगी, आप जीत जायेंगे, और फिर शुरु होगा आपकी मस्ती का दौर…