अपनी बात

पूरे झारखण्ड में हर्ष व उल्लास के बीच ज्यादातर लोगों ने अपने ही घरों में मनाया छठ, सरकार के पूर्व के गाइडलाइन्स का किया पालन

पूरे राज्य में हर्ष व उल्लास के बीच ज्यादातर लोगों ने अपने ही घरों में छठ मनाया, तथा राज्य सरकार द्वारा जारी पूर्व के गाइडलाइन्स की ज्यादा महत्व दिया। सभी समुदायों के ज्यादातर लोगों ने अपने ही घरों में छठ को संपन्न करने में ज्यादा बुद्धिमानी दिखाई। ज्यादातर घाटों में जहां पूर्व में भारी भीड़ दिखाई देती थी, वहां अपेक्षाकृत कम लोग दिखे।

हालांकि छठ को लेकर सरकार और भाजपाइयों व हिन्दू संगठनों में जमकर तू-तू, में- में हुई थी। सभी ने एकस्वर से मिलकर सरकार के उस अनुरोध की आलोचना की थी, जिसमें सरकार ने घाटों पर अर्घ्य देने पर रोक लगा दी थी, पर छठ के दिन विद्रोही24 ने देखा कि जो लोग कल तक सरकार का विरोध कर रहे थे, वे ही हेमन्त सरकार के पूर्व के गाइडलाइन्स को फौलो करने में ज्यादा दिमाग लगा रहे थे। जिसे देख राजनीतिक पंडित भी हैरान दिखे।

हालांकि भाजपाइयों के इस हरकत को झामुमो ने आज संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से पत्रकारों के समक्ष उजागर कर दिया, जो पूरे राज्य में चर्चा का विषय है। विद्रोही24 ने कल ही इस मुद्दे को सार्वजनिक कर दिया था। कई अखबारों में प्रमुख पदों पर विराजमान संपादकों व खेल संस्थाओं से जुड़े लोगों के घरों में ही इस बार छठ मनाया गया। भाजपा नेता सीपी सिंह जो छठ को लेकर सरकार के खिलाफ थे, उन्होंने भी अपने घर में ही छठ मनाया।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि खासकर धर्म, व्रत, उपवास आदि मामलों में किसी भी राजनीतिक दल को बचना चाहिए। चूंकि अभी कोरोना काल है, ऐसे में राज्य व केन्द्र की पहली प्राथमिकता हैं, लोगों की जान बचाना। अगर ऐसे में केन्द्र व राज्य सरकार मिलकर कोई कार्य कर रही हैं, तो उसमें सहयोग देने की जरुरत नहीं है, न कि बाधक बनने की।

राजनैतिक पंडितों का कहना है खुशी इस बात की है कि जनता यहां की जागरुक है और वो इस प्रकार के पचड़ों में पड़ने को तैयार नहीं, वो खुद निर्णय ली और ज्यादातर लोगों ने घाटों से खुद को किनारा किया, घरों में ही छठ व्रत संपन्न किये, ज्यादातर प्रमुख भाजपा नेता भी घरों पर ही अर्घ्य दिये, ये देखकर भी अच्छा लगा, चलो देर से ही सही भाजपाइयों को सद्बुद्धि तो आई।