भैस पर नहीं, सिंह पर ही सवार रहेगी मां दुर्गा, प्रभात खबर के रिपोर्टर ने शायद मेरी बात समझने में भूल की – मुनचुन राय
भाई वो प्रभात खबर है, वो कुछ भी कर सकता है, पूजा समितियां चाहे जो कहे, वो मां दुर्गा को भैस पर सवार कराकर पंडाल में भी बुला सकता है। जरा देखिये न, आज का प्रभात खबर का पेज लाइफ सिटी, पृष्ठ संख्या – 9, का सिटी-एक्टिविटी। समाचार है, तैयारी – ‘अमृत दुर्गोत्सव’ मना रही रांची रेलवे स्टेशन दुर्गा पूजा समिति, बन रहा मशरूमनुमा पंडाल। हेडिंग है – भैस पर सवार बादलों के बीच से आशीष देंगी मां दुर्गा।
जैसे ही मैंने ये हेडिंग और अंदर के समाचार देखे, मेरा दिमाग चकराया। मैंने तुरन्त रांची रेलवे स्टेशन दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष मुनचुन राय को फोन लगाया और पूछा कि क्या उनके यहां इस बार पंडाल में भैस पर सवार होकर मां दुर्गा आयेंगी और भक्तों को आशीर्वाद देंगी। उनका कहना था कि नहीं मां सिंह पर ही बैठी नजर आयेंगी, भैस पर सवार नहीं दिखेंगी, भैस तो मां के पांवों के नीचे दबा होगा।
तब मैने फिर मुनचुन राय से पूछा कि फिर ये खबर कैसे प्रभात खबर में छप गई कि आपके पंडाल में भैस पर सवार होकर मां दुर्गा बादलों के बीच आशीष देंगी। उनका कहना था कि शायद उक्त अखबार का संवाददाता समझ नहीं पाया होगा। विद्वानों का मानना है कि ऐसे भी मां दुर्गा का भैस पर बैठकर आने/जाने का प्रमाण कहीं नहीं हैं। हां भैंसा पर सिर्फ जाने का प्रमाण है पर यह प्रमाण का अर्थ जब आप सुनेंगे तो पायेंगे कि इससे आशीर्वाद नहीं प्राप्त होता, बल्कि आशीर्वाद की जगह रोग व शोक का समाज में प्रार्दुभाव हो जाता है, तो ऐसे में कोई मां दुर्गा को भैस या भैंसा पर क्यों बुलायेगा?
आचार्य मिथिलेश कुमार मिश्र कहते है शास्त्रों में कहा गया है कि रविवार और सोमवार को देवी भैंसा (भैस नहीं) की सवारी से जाती है, तो देश में रोग और शोक बढ़ता है। मां दुर्गा का ऐसे भी प्रमुख रुप से वाहन सिंह ही हैं, जो धर्म का प्रतीक है, इसलिए भैस पर मां को बैठाना भी शास्त्र सम्मत नहीं है, अगर कोई ऐसा करता है, तो उसके परिणाम किसी भी हालत में सुखद नहीं हो सकते।
मुनचुन राय की मानें तो इस बार उन्होंने प्रकृति को केन्द्र में रखकर पंडाल और मूर्ति निर्माण का कार्य उन्होंने शुरु किया है, जो निश्चय ही मां दुर्गा के भक्तों को हमेशा की तरह आकर्षित करेंगी, ऐसे भी दो सालों के अंतराल के बाद इस बार दुर्गा पूजा उत्सव के रूप में मन रहा है, आशा है मां के भक्तों के लिए यह वर्ष खुशियों से भरा होगा।